08/07/2025
गुलफिशा फातिमा — एक औरत, एक आवाज़, एक आंदोलन
दिल्ली की एक आम लड़की।जामिया से पढ़ाई कर रही थी।
कोई नेता नहीं, कोई बड़े खानदान से नहीं।बस संविधान के लिए खड़ी हुई थी।
CAA-NRC के खिलाफ जब आवाज़ें उठनी शुरू हुईं, गुलफिशा फातिमा ने भी पूछा ।
क्या मेरे मुल्क में मेरा वजूद कागज़ों का मोहताज होगा?
लेकिन सरकार को सवाल पसंद नहीं आते।
9 अप्रैल 2020 — गुलफिशा को गिरफ्तार किया गया। UAPA जैसा कठोर आतंकवाद कानून लगा दिया गया,
क्यों। क्योंकि वो एक लड़की थी जो संविधान बचाने के लिए बाहर निकली थी।
मैंने देश से ग़द्दारी नहीं की , मैंने मोहब्बत की थी अपने वतन से।
गुलफिशा फातिमा, कोर्ट में जज के सामने कहा
तीन साल तक तिहाड़ जेल की सलाखों में रही,बिना कोई ठोस सबूत, बिना कोई मुकम्मल सुनवाई।औरत होते हुए भी उसकी आवाज़ सबसे बुलंद रही।
गुनाह क्या था? विरोध करना, सवाल पूछना, सड़कों पर बैठना
संविधान की रक्षा करना
आज गुलफिशा फातिमा सिर्फ एक नाम नहीं,
वो उस दौर की गवाही है, जब सवाल पूछना सबसे बड़ा जुर्म था।
जब बेटियाँ तालीम के साथ-साथ तहज़ीब, हिम्मत और हक़ की लड़ाई भी लड़ रही थीं।
हमें भूलना नहीं है कि किसे कैद किया गया, क्यों किया गया।