Nitu Singh

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25/03/2025

परीक्षा
रविवार के दिन मैं अपने घर से बाहर सुबह-सुबह निकाली थी मैंने देखा कि सड़क पर बहुत भीड़ है पहले तो मैं जायजा लेने की कोशिश की, फिर मुझे पता चला कि आज रविवार के दिन हमारे पड़ोस की स्कूल में परीक्षा चल रही है यह उसी की भीड़ है।एक बार फिर मन सोचने पर मजबूर हो गया यह जीवन भी कितना अजीब है ना हर मोड़ पर परीक्षा जब तक जान है तब तक देनी है परीक्षा।बस एक मन का भ्रम है या फिर कहें तो खुद को संतुष्ट करने के लिए हम बोल देते हैं यह हमारा आखिरी परीक्षा है पर क्या यह संभव है सोच कर देखिए । जीवन ki परीक्षा खत्म ही नहीं होती हम स्कूल से निकलते हैं तो कॉलेज की परीक्षा,कॉलेज से निकलते हैं तो नौकरी की नौकरी से निकले तो पारिवारिक जीवन की, फिर अपने आप को एक सक्षम इंसान बनाने की परीक्षा,शादी के बाद बच्चों के लालन- पालन ढंग से करने की परीक्षा और जब इन सारी परीक्षाओं से हम मुक्ति पातें है तब हमें पता चलता है कि हम वृद्धावस्था में पहुंच गए और तब हमारी अंतिम परीक्षा होती है भगवान से मिलने की परीक्षा दिन-रात मरण सैया पर पड़े हुए यही प्रार्थना करना पड़ता है भगवान दया कर बहुत दिखाई इस संसार को अब तो अपने पास बुला ले सब तो सब मारने के बाद भी स्वर्ग मिलेगा या नरक इसकी भी परीक्षा। बात आज यही समझ में आई की जीवन प्रयत्न चलने वाला है परीक्षा कभी खत्म ही नहीं होता जीवन खत्म हो जाता है पर परीक्षा नहीं क्योंकि हम जन्म से ही अपने महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाते जाते हैं मनुष्य की कभी mahatwakansha खत्म नहीं होती शायद इसीलिए हमारी परीक्षा भी नहीं खत्म होती।उम्मीद है कि आप लोग भी हमारे बातों से सहमत होंगे🙏

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