30/01/2025
बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। विनम्र श्रद्धांजलि, गांधी कभी विस्मृत नहीं किए जा सकते।
" #तेरा_विराट_यह_रूप_कल्पना,
ीं_समाता_है ।
#जितना_कुछ_कहूँ_मगर,
#कहने_को_शेष_बहुत_रह_जाता_है"
बापू भारत के मूल में समाहित हैं, पीढियां अपना पुरषार्थ खपा देगी लेकिन उनकी विचाराधारा को चुनौती नहीं दे पाएगी। सत्य और अहिंसा के आदर्श गांधी के संपूर्ण दर्शन को रेखांकित करते हैं तथा यह आज भी मानव जाति के लिये अत्यंत प्रासंगिक है।
गांधीवादी दर्शन एक दोधारी तलवार है जिसका उद्देश्य सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के अनुसार व्यक्ति और समाज को एक साथ बदलना है।
गांधी जी की स्वतंत्रता संबंधी अवधारणा राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं थी, वह एक व्यापक अवधारणा थी। जो स्वतंत्रता की समग्रता का विश्व-दर्शन है, जिसको आज भी आत्मसात करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जरूरत है ।आप विश्व के किसी भी कोने में चलें जाएं तो, एक अलग पहचान रहेगी की आप गांधी के देश से आए हैं ।
एक साधारण मानव से असाधारण-विराट व्यक्तित्व बनने तक की यात्रा में उनकी सबसे बड़ी ताकत रही सत्य के प्रति दृढ़ता और नैतिक बल, गांधी जैसी नैतिकता या नैतिक बल का अर्थ है इंसान के वे सद्गुण, जो उसके भीतर हमेशा से मौजूद हैं। इसी से वह पहचान बनाता है। यह इंसान का वैसा ही सहज गुण है, जैसा कि आग अपनी गर्मी के कारण और पानी अपनी शीतलता के कारण जाना जाता है।
हम लोग आदर्शवादी बातों को अच्छा मानते हैं, उनको अमल में लाने की बात भी करते हैं, लेकिन जल्द ही यह श्मशानी वैराग्य साबित होता है। श्मशानी वैराग्य यानी कुछ पल की विरक्ति और क्षणिक संकल्प के बाद दोबारा पूर्ववत हो जाना। लेकिन गांधी अलग मिट्टी के बने थे। उनकी खासियत थी कि वे अपने संकल्प को हर हाल में बनाए रखने का प्रयास करते और सफल भी होते।
"गाँधी और पश्चिमी साम्राज्यवाद"
साम्राज्यवाद के सम्वन्ध में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यह किसी देश का आर्थिक दोहन ही नहीं करता बल्कि उसकी सोच उसके चिंतन उसकी संस्कृति उसके सामाजिक संबंध सभी को बदल डालता है । लेकिन गांधी के स्वराज प्राप्त के तरीकों ने भारत में पश्चिमी साम्राज्यवाद का समूल खात्मा कर दिया ।
गांधी के देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है ।
देश में आज भी सरकार के तानाशाही रवैए के खिलाफ गांधीवादी आंदोलन की जरूरत है। अहिंसा के रास्ते हीं कोई भी आंदोलन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है ।