19/04/2025
साल भर के भीतर लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री का मिथिला की धरती पर आगमन राष्ट्रीय स्तर मिथिला की मजबूत होती राजनीतिक पकड़ का परिचायक है। आजादी के 70 साल के इतिहास में ऐसा पहलीवार देखा जा रहा है कि केंद्र सरकार का शीर्ष नेतृत्व जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, वित्तमंत्री और कृषि मंत्री शामिल हैं, मिथिलांचल का न सिर्फ लगातार दौरा कर रहे हैं बल्कि विकास का एक से बढ़कर एक सौगात भी दे रहे हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहलीवार दिख रहा है कि बाढ़, सुखार, पलायन, बेकारी एवं बेरोजगारी का पर्यायवाची रहा मिथिलांचल को विकास एवं रोजगार के रास्ते पर ले चलने को लेकर राज्य एवं केंद्र की दोनों सरकार संकल्पित दिख रही है। पहली वार देश की वित्तमंत्री का दरभंगा, झंझारपुर एवं मधुबनी का आधिकारिक दौरा करना, झंझारपुर में रात्रि विश्राम कर स्थानीय विकास, कौशल एवं स्वरोजगार की संभावनाओं को तलाशना फिर उपहार में प्राप्त मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर न बजट पेश करना अपने आप में एक एतिहासिक घटनाक्रम है। पहली बार बजट भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मिथिला का जयघोष करते हुए मखाना बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण बोर्ड के गठन के साथ साथ बाढ़ सुखार से स्थाई निदान पर के कई अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर काम करने की घोषणा करना भी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण कदम है।। दरभंगा एम्स के शिलान्यास के बाद अब दरभंगा एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा की माँग एवं राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में जमीन अधिग्रहण के लिए त्वरित राशि विमुक्ति मिथिला के विकास को अच्छाखासा स्पीड देता दिख रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी 24 अप्रैल की झंझारपुर की सभा में दरभंगा एयरपोर्ट का अंतरराष्ट्री एयरपोर्ट की घोषणा कर दे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। निःसंदेह झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से काफी समृद्ध, सक्रिय एवं प्रभावशाली रहा है। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में शामिल स्व0 डॉ जगन्नाथ मिश्र एवं स्व0 कर्पूरी ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। झंझारपुर के विधायक के रूप में डॉ मिश्र तो तीन तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाबजूद इसके एक आध चुनावी सभाओं को छोड़ ऐसा संयोग कभी नहीं बना केंद्र सरकार की शीर्ष नेतृत्व कभी झंझारपुर की धरती पर कदम रखा हो। पहली बार देश का कोई प्रधानमंत्री झंझारपुर की धरती पर सरकारी यात्रा पर आ रहे हैं, जहां से वे विकास का एक नया पैगाम दे सकते हैं, मिथिला के मजबूत राजनीतिक विरासत का जयघोष कर सकते हैं। सूत्रों की माने तो नेशनल हाईवे, तीन तीन एक्सप्रेस हाइवे एवं दो दो एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी से जुड़ा NH 27 के दरभंगा से लेकर पूर्णिया तक एक विशेष बिजनेस जोन के रूप में विकसित होगा, जो पलायन एवं बेरोजगारी से जूझ रही मिथिलांचल को समृद्ध एवं सशक्त बनाएगा। हालांकि बीते 20 वर्षों से राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार मिथिलांचल के विकास को लेकर सक्रिय रहे हैं और डॉ जगन्नाथ मिश्र के बाद नीतीश कुमार एक मात्र एक ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जो मिथिला के नहीं रहने के बाबजूद अपने कार्यकाल में कई बार झंझारपुर विधानसभा (अररिया संग्राम) में रात्रि विश्राम कर स्थानीय विकास में मजबूत योगदान देते रहे हैं। लेकिन केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार के इस तीसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार की एकाएक बढ़ी इस मिथिला प्रेम को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगो का मानना है कि जद यूं के बैसाखी के सहारे तीसरीवार सत्ता में लौटी मोदी सरकार एवं जद यूं के शीर्ष नेतृत्व में शामिल झंझारपुर अररिया संग्राम निवासी सांसद एवं पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा के बीच शानदार लाइजनिंग केंद्र सरकार के इस मिथिला प्रेम में सेतु का काम कर रहा है। सालभर के भीतर मिथिलांचल में वह भी चालीस किलोमीटर की सीमारेखा के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरी बार कार्यकम होना इस बात का स्पष्ट संकेत है केंद्र सरकार भी अब मानने लगी है कि मिथिलांचल के विकास के बिना एक विकसित बिहार और विकसित भारत की कल्पना असंभव है। आने वाला समय मिथिलांचल के विकास का एक नया कीर्तिमान रचेगा। जिसकी एक झलक प्रधानमंत्री की 24 अप्रैल की सभा में दिखे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।