Sekhawati Bittu

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30/09/2025

Maa ke dware pr #फेसबूक fans

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Comment में जय माता दी जरूर लिखें नवरात्रि में मां दुर्गा की कथा बहुत पावन मानी जाती है। यह कथा बताती है कि कैसे कठिन पर...
28/09/2025

Comment में जय माता दी जरूर लिखें
नवरात्रि में मां दुर्गा की कथा बहुत पावन मानी जाती है। यह कथा बताती है कि कैसे कठिन परिस्थितयों में भक्ति और व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों का निवारण होता है���।नवरात्रि की मुख्य कथाबहुत समय पहले एक ब्राह्मणी थी, जिसका नाम सुमति था। उसके पूर्वजन्म में वह भीलनी थी और अपने पति के साथ एक दिन चोरी के आरोप में गिरफ्तार हो गई। दोनों को जेल में डाल दिया गया, जहां न तो कुछ खाया, न ही पानी पिया। इसी तरह नौ दिन तक भूखे-प्यासे रहकर बिना इच्छा के उसने नवरात्र का व्रत कर लिया। उस व्रत के प्रभाव से मां दुर्गा प्रसन्न हुईं और वरदान दिया कि उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।जब मां दुर्गा ने दर्शन दिए तो ब्राह्मणी ने प्रार्थना की कि उसके पति का कुष्ठ रोग ठीक कर दिया जाए। देवी ने कहा कि उसके व्रत के पुण्यबल से उसका पति शीघ्र ही निरोग हो जाएगा। जैसे ही ब्राह्मणी ने व्रत का पुण्य अर्पण किया, उसका पति स्वस्थ और सुंदर हो गया।इसके बाद ब्राह्मणी ने मां दुर्गा की भक्ति और स्तुति की। मां दुर्गा ने उसे एक बुद्धिमान, धनवान एवं कीर्तिवान पुत्र देने का आशीर्वाद दिया, और साथ ही नवरात्र व्रत की विधि भी बतायी। देवी मां ने समझाया कि नवरात्र के नौ दिनों में संकल्प लेकर पूजा, उपवास और घट स्थापना करनी चाहिए। हर दिन देवी के विविध रूपों की साधना करनी चाहिए जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।जातीय संदेशमाँ दुर्गा की कथा से यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति, श्रद्धा और कठिन समय में भी आस्था रखने से सभी दुखों का निवारण संभव है���।नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा, नियमपूर्वक व्रत और ध्यान करने से मनुष्य को सुख, स्वास्थ्य, धन और संतान जैसे वरदान मिलते हैं।यह कथा नवरात्रि के सभी नौ दिनों की पूजा, साधना और देवी के महात्म्य का प्रतीक है #फेसबूक

25/09/2025

Mata meri laaz rakh le #फेसबूक Follower

24/09/2025

नवरात्रि में जीण माता का दर्शन करके जय माता दी लिखना ना भूलें #फेसबूक

 संघर्ष से सफलता तक: लक्ष्मी और राहुल की कहानीसूरजपुर गाँव, राजस्थान के एक छोटे कोने में बसा था। यहाँ की ज़िंदगी साधारण ...
24/09/2025


संघर्ष से सफलता तक: लक्ष्मी और राहुल की कहानीसूरजपुर गाँव, राजस्थान के एक छोटे कोने में बसा था। यहाँ की ज़िंदगी साधारण थी, पर कुछ परिवारों के लिए हर दिन एक जंग की तरह था। उसी गाँव के छोर पर, एक कच्ची झोपड़ी में लक्ष्मी अपने दस वर्षीय बेटे राहुल के साथ रहती थी। लक्ष्मी एक साधारण महिला थी, जिसने कम उम्र में ही जीवन के कई थपेड़े झेले थे। पति की मृत्यु के बाद ज़िम्मेदारी का पूरा भार उसी के कंधों पर था। ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा, जिसे उसका परिवार जोतता था, शायद ही महीने भर का राशन दे पाता।राहुल बहुत होशियार और मेहनती बच्चा था। अपनी माँ की मदद के लिए वह स्कूल के बाद खेतों में हाथ बँटाता, कभी घर के बर्तनों की सफाई करता, कभी गाँव के कुएं से पानी लाता। परिस्थितियाँ भले ही कठिन थीं, लेकिन राहुल की आँखों में हमेशा बड़े सपने चमकते रहते।एक सुबह की शुरुआतएक दिन राहुल की स्कूल की फीस भरने का समय आया, लेकिन घर में पैसे नहीं थे। लक्ष्मी ने गाँव में काम मांगने की बहुत कोशिश की, पर मौसम की मार के कारण काम भी कम मिला। हताश होकर, एक रात माँ-बेटे की आँखों में नींद नहीं थी। राहुल बोला, ‘‘माँ, अगर मैं पढ़-लिख जाऊँगा, तो हम भी अच्छा घर बना सकते हैं...’’ लक्ष्मी ने राहुल के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, मेहनत से कभी हार मत मानना। भगवान जरूर मदद करेगा।’’छोटी-सी कोशिश, बड़ी उम्मीदअगली सुबह राहुल स्कूल पहुँचा। उसकी अध्यापिका, मिसेज़ शर्मा ने पढ़ाई में उसकी लगन देखी थी। उन्होंने राहुल से बात की और उसकी आर्थिक स्थिति समझी। उन्होंने स्कूल के फंड से उसकी फीस भरवा दी, लेकिन शर्त रखी—‘‘राहुल, अगर तुम हर महीने क्लास में टॉप करोगे, तो आगे की फीस भी माफ हो जाएगी।’’यह सुनकर राहुल की मेहनत दोगुनी हो गई। सुबह जल्दी उठकर खेत में माँ की मदद, फिर स्कूल की पढ़ाई—रोज़ की दिनचर्या यही थी। गाँव के कुछ बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन राहुल ने किसी की नहीं सुनी।पहला इनामतीन महीने बाद जब रिजल्ट आया, राहुल पूरे स्कूल में पहली बार प्रथम आया। उसे पुरस्कार में किताबें मिलीं, और गाँव के प्रधान ने भी उसकी सराहना की। लक्ष्मी की आँखों से खुशी के आँसू बह निकले।मुश्किलें फिर भी आईंपर खेल यहीं समाप्त नहीं हुआ। अगला साल और कठिन था—सूखा पड़ने के कारण फसल भी चौपट हो गई। कई बार खाना भी नहीं मिलता था। राहुल कभी-कभी घर की आर्थिक मदद के लिए गाँव में अखबार भी बाँटने लगा। फिर भी वह शाम को पढ़ाई करता, थककर माँ के पास सिर रखकर कहता, ‘‘मैं हार नहीं मानूँगा।’’एक छोटी जीत, बड़ा बदलावराहुल का नाम एक इंटर-स्कूल क्विज़ में भीज गया। लाखों बच्चों में उसका चयन हुआ। प्रतियोगिता वाले दिन, जयपुर पहुँचना थी, पर रेल टिकट के भी पैसे नहीं थे। गाँव के मास्टर साहब और कुछ गाँव वालों ने चंदा इकट्ठा कर राहुल को ट्रेन का टिकट दिलवाया।राहुल ने प्रतियोगिता में भाग लिया और पूरे जिले में अव्वल आया। उसे स्कॉलरशिप व पहचान मिली। आज वही गाँव का गरीब बच्चा जयपुर के नामी स्कूल में पढता है—पूरी फीस माफ और हॉस्टल की व्यवस्था।नई उड़ानकुछ सालों बाद, राहुल ने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस निकाला। सरकारी मदद से उसका दाखिला हुआ। आज वह मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है और अपनी माँ को शहर बुला लिया है। गाँव के बच्चों को वह समय-समय पर शिक्षा की प्रेरणा देता है और कठिन हालात में हिम्मत न हारने की सलाह देता है।कहानी से शिक्षाहालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत और खुद पर विश्वास से कोई भी सपना पूरा हो सकता है।जब निराशा महसूस हो, तो समझो कि यही असली परीक्षा है।परिवार, गाँव और समाज में असली बदलाव—इसी हौसले और लगन से आता है।आर्थिक तंगी, समाज का ताना—कुछ भी आपको रोक नहीं सकता, जब तक आप खुद न हार मानो।दूसरों की मदद, जैसे राहुल को गाँव के लोगों ने की—किसी की लाइफ बदल सकती है��।यह कहानी हम सबको यही प्रेरणा देती है कि मेहनत और उम्मीद कभी साथ नहीं छोड़नी चाहिए। हर कठिनाई के बाद, सफलता जरुर मिलती है

#हम #हम

संघर्ष से सफलता तक: लक्ष्मी और राहुल की कहानीसूरजपुर गाँव, राजस्थान के एक छोटे कोने में बसा था। यहाँ की ज़िंदगी साधारण थ...
24/09/2025

संघर्ष से सफलता तक: लक्ष्मी और राहुल की कहानीसूरजपुर गाँव, राजस्थान के एक छोटे कोने में बसा था। यहाँ की ज़िंदगी साधारण थी, पर कुछ परिवारों के लिए हर दिन एक जंग की तरह था। उसी गाँव के छोर पर, एक कच्ची झोपड़ी में लक्ष्मी अपने दस वर्षीय बेटे राहुल के साथ रहती थी। लक्ष्मी एक साधारण महिला थी, जिसने कम उम्र में ही जीवन के कई थपेड़े झेले थे। पति की मृत्यु के बाद ज़िम्मेदारी का पूरा भार उसी के कंधों पर था। ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा, जिसे उसका परिवार जोतता था, शायद ही महीने भर का राशन दे पाता।राहुल बहुत होशियार और मेहनती बच्चा था। अपनी माँ की मदद के लिए वह स्कूल के बाद खेतों में हाथ बँटाता, कभी घर के बर्तनों की सफाई करता, कभी गाँव के कुएं से पानी लाता। परिस्थितियाँ भले ही कठिन थीं, लेकिन राहुल की आँखों में हमेशा बड़े सपने चमकते रहते।एक सुबह की शुरुआतएक दिन राहुल की स्कूल की फीस भरने का समय आया, लेकिन घर में पैसे नहीं थे। लक्ष्मी ने गाँव में काम मांगने की बहुत कोशिश की, पर मौसम की मार के कारण काम भी कम मिला। हताश होकर, एक रात माँ-बेटे की आँखों में नींद नहीं थी। राहुल बोला, ‘‘माँ, अगर मैं पढ़-लिख जाऊँगा, तो हम भी अच्छा घर बना सकते हैं...’’ लक्ष्मी ने राहुल के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, मेहनत से कभी हार मत मानना। भगवान जरूर मदद करेगा।’’छोटी-सी कोशिश, बड़ी उम्मीदअगली सुबह राहुल स्कूल पहुँचा। उसकी अध्यापिका, मिसेज़ शर्मा ने पढ़ाई में उसकी लगन देखी थी। उन्होंने राहुल से बात की और उसकी आर्थिक स्थिति समझी। उन्होंने स्कूल के फंड से उसकी फीस भरवा दी, लेकिन शर्त रखी—‘‘राहुल, अगर तुम हर महीने क्लास में टॉप करोगे, तो आगे की फीस भी माफ हो जाएगी।’’यह सुनकर राहुल की मेहनत दोगुनी हो गई। सुबह जल्दी उठकर खेत में माँ की मदद, फिर स्कूल की पढ़ाई—रोज़ की दिनचर्या यही थी। गाँव के कुछ बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन राहुल ने किसी की नहीं सुनी।पहला इनामतीन महीने बाद जब रिजल्ट आया, राहुल पूरे स्कूल में पहली बार प्रथम आया। उसे पुरस्कार में किताबें मिलीं, और गाँव के प्रधान ने भी उसकी सराहना की। लक्ष्मी की आँखों से खुशी के आँसू बह निकले।मुश्किलें फिर भी आईंपर खेल यहीं समाप्त नहीं हुआ। अगला साल और कठिन था—सूखा पड़ने के कारण फसल भी चौपट हो गई। कई बार खाना भी नहीं मिलता था। राहुल कभी-कभी घर की आर्थिक मदद के लिए गाँव में अखबार भी बाँटने लगा। फिर भी वह शाम को पढ़ाई करता, थककर माँ के पास सिर रखकर कहता, ‘‘मैं हार नहीं मानूँगा।’’एक छोटी जीत, बड़ा बदलावराहुल का नाम एक इंटर-स्कूल क्विज़ में भीज गया। लाखों बच्चों में उसका चयन हुआ। प्रतियोगिता वाले दिन, जयपुर पहुँचना थी, पर रेल टिकट के भी पैसे नहीं थे। गाँव के मास्टर साहब और कुछ गाँव वालों ने चंदा इकट्ठा कर राहुल को ट्रेन का टिकट दिलवाया।राहुल ने प्रतियोगिता में भाग लिया और पूरे जिले में अव्वल आया। उसे स्कॉलरशिप व पहचान मिली। आज वही गाँव का गरीब बच्चा जयपुर के नामी स्कूल में पढता है—पूरी फीस माफ और हॉस्टल की व्यवस्था।नई उड़ानकुछ सालों बाद, राहुल ने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस निकाला। सरकारी मदद से उसका दाखिला हुआ। आज वह मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है और अपनी माँ को शहर बुला लिया है। गाँव के बच्चों को वह समय-समय पर शिक्षा की प्रेरणा देता है और कठिन हालात में हिम्मत न हारने की सलाह देता है।कहानी से शिक्षाहालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत और खुद पर विश्वास से कोई भी सपना पूरा हो सकता है।जब निराशा महसूस हो, तो समझो कि यही असली परीक्षा है।परिवार, गाँव और समाज में असली बदलाव—इसी हौसले और लगन से आता है।आर्थिक तंगी, समाज का ताना—कुछ भी आपको रोक नहीं सकता, जब तक आप खुद न हार मानो।दूसरों की मदद, जैसे राहुल को गाँव के लोगों ने की—किसी की लाइफ बदल सकती है��।यह कहानी हम सबको यही प्रेरणा देती है कि मेहनत और उम्मीद कभी साथ नहीं छोड़नी चाहिए। हर कठिनाई के बाद, सफलता जरुर मिलती है

#हम #हम #है

22/09/2025

Jai mata di #रील #फेसबूक ❤️❤️ ❤️❤️❤️❤️❤️ ❤️❤️❤️❤️❤️

Rajaji park    #रील  #फेसबूक
21/09/2025

Rajaji park #रील #फेसबूक

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