31/07/2025
गणपति बप्पा की मूर्ति या तस्वीर में उनकी सूंड की दिशा का बहुत गहरा रहस्य और महत्व है। यह केवल एक कलात्मक भिन्नता नहीं, बल्कि इसके पीछे धार्मिक, ज्योतिषीय और वास्तु संबंधी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। गणेश जी को वक्रतुंड भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है टेढ़ी सूंड वाला। उनकी सूंड की दिशा मुख्यतः तीन प्रकार की होती है:
1. बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड (वाममुखी गणेश)
यह सबसे सामान्य और गृहस्थ लोगों के लिए सबसे शुभ मानी जाने वाली सूंड की दिशा है।
महत्व:
शांति और समृद्धि: बाईं सूंड वाले गणेश जी को सौम्य और शांतिपूर्ण माना जाता है। इनकी पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है।
चंद्र प्रभाव: बाईं सूंड इड़ा नाड़ी और चंद्रमा के प्रभाव से जुड़ी है, जो शीतलता, मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन प्रदान करती है।
स्थायी कार्य: इनकी पूजा स्थायी कार्यों जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय में उन्नति, संतान सुख, विवाह और पारिवारिक खुशहाली के लिए बहुत फलदायी होती है।
नियमों की सरलता: इनकी पूजा के नियम अपेक्षाकृत सरल होते हैं और इन्हें घर के पूजा घर या मुख्य द्वार पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। ये नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकते हैं।
कहां स्थापित करें: घर के पूजा घर में, मुख्य द्वार पर।
2. दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड (दक्षिणावर्ती गणेश या सिद्धिविनायक)
दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश जी को दक्षिणावर्ती गणेश या सिद्धिविनायक कहा जाता है। इन्हें अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है।
महत्व:
सूर्य प्रभाव: दाईं सूंड पिंगला नाड़ी और सूर्य के प्रभाव से जुड़ी है, जो ऊर्जा, तेज, और विजय का प्रतीक है।
तीव्र परिणाम: इनकी पूजा से तीव्र परिणाम मिलते हैं, लेकिन इनके नियमों का पालन करना थोड़ा कठिन और कठोर होता है। जरा सी गलती से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।
उग्र साधना: ये शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र साधना और शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं।
शुभ कार्य सिद्धि: यह मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से हर कार्य सिद्ध हो जाता है।
कहां स्थापित करें: आमतौर पर ऐसी मूर्तियां मंदिरों में स्थापित की जाती हैं, जहां पुजारी कठोर नियमों और विधियों का पालन करते हुए पूजा करते हैं। घर में इन्हें स्थापित करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है।
3. सीधी सूंड (दुर्लभ)
सीधी सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमाएं बहुत दुर्लभ होती हैं।
महत्व:
संतुलन: सीधी सूंड सुषुम्ना नाड़ी से संबद्ध है, जो शरीर और ऊर्जा को संतुलित करने का प्रतीक है।
मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति: यह स्वरूप विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति, ध्यान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।
दुर्लभता: ऐसी प्रतिमाएं कम ही मिलती हैं और इनकी पूजा भी विशिष्ट परिस्थितियों में की जाती है।
सामान्य मान्यताएं और निष्कर्ष:
गणेश जी की सूंड का हिलना-डुलना उनके हर पल सक्रिय रहने और हमें जीवन में सदैव सक्रिय रहने का संकेत देता है।
घर में आमतौर पर बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह सुख, शांति और समृद्धि लाती है और इनकी पूजा के नियम अपेक्षाकृत सरल होते हैं।
दक्षिणावर्ती गणेश जी की मूर्ति को घर में रखने से पहले उनकी स्थापना और पूजा के नियमों को भली-भांति जान लेना चाहिए।
गणपति बप्पा की सूंड की दिशा का रहस्य हमें यह सिखाता है कि किस स्वरूप की पूजा किस उद्देश्य के लिए अधिक फलदायी होती है, और यह हमारी भावनाओं, ऊर्जा और लक्ष्यों के साथ कैसे संरेखित होती है।