
06/09/2025
नमः सूर्याय संजाताय कोणस्थाय च वै नमः।
नमः शूलप्रहाराय चन्द्रमण्डलविच्चुटे
जो सूर्यदेव के पुत्र हैं,
जो नवग्रहों में अपने विशेष कोण (स्थिति) में विराजमान हैं,
जो त्रिशूलधारी हैं,
जिनकी चमक चंद्रमा की आभा को भी फीकी कर देती है,
ऐसे शनिदेव को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।" 🙏