
14/07/2025
ॐ (ओम्) ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जिसे हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख परंपराओं में सृष्टि का आदि नाद माना गया है। यह सृष्टि (अ), पालन (उ) और संहार (म्) — ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति का प्रतीक है। प्राचीन भारत के वेदों से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया के मंदिरों और शिलालेखों तक, ॐ एक ऐसी पवित्र ध्वनि और प्रतीक है जो समय, भाषा और सीमाओं से परे है। यह देवनागरी, तिब्बती, तमिल, जावानीस, खमेर, थाई, सिंहल, चीनी और कोरियाई जैसी कई लिपियों में पाया जाता है, जो विभिन्न सभ्यताओं में इसके व्यापक प्रभाव को दर्शाता है। ध्यान और साधना में इसका उच्चारण आत्मा को ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ता है, शांति, संतुलन और जागरूकता लाता है। चाहे ग्रंथों में लिखा गया हो, पत्थरों पर उकेरा गया हो या मौन प्रार्थनाओं में गूंजा हो — ॐ एक शाश्वत, सार्वभौमिक और दिव्य ध्वनि है।