10/05/2024
आज के दिन .... 10 मई-1857... हिन्दुस्तान की तारीख़ का अहम दिन!!
(जंगे आजादी पर खास पेशकश)
24 अप्रैल 1857, मेरठ परेड ग्राउंड में रोजाना की तरह परेड चल रही थी। आज 90 सिपाहियों को नए कारतूस बांटे जाने थे। इन नब्बे सिपाहियों में से हिंदू मुसलमान लगभग बराबर तादाद में थे। ये अफवाह तो सब जगह फैली थी कि नए कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी मिली हुई है। इसलिए पाँच सिपाहियों को छोड़कर सभी ने कारतूस लेने से इनकार कर दिया।
अपने अफसर का हुक्म न मानने के कारण इन 85 सिपाहियों को दस साल की कठोर कारावास की सजा हुई।
9 मई को परेड ग्राउंड में सभी सजायाफ्ता सिपाहियों की पेशी हुई। सभी की वर्दी उतरवाई गई और मैडल छीन लिए गए। इन्हे बेडियों में डालकर सरे बाज़ार जेल ले जाया गया था.. इसलिए बाकी सिपाहियों में गुस्से की लहर दौड़ गई !
10 मई 1857 । सुबह सुबह ही अफवाह फ़ैल गई कि आज बाकी बचे सिपाहियों से भी हथियार छीन लिए जायेंगे। आज रविवार था। सभी अंग्रेज अफसर अपने परिवार के साथ मौज मस्ती मना रहे थे। उधर मेरठ छावनी के सिपाहियों ने शस्त्रागार पर हमला करके हथियार लूट लिए। इसके बाद उन्होंने जेल में बंद अपने सभी साथियों को आजाद कर लिया।
अब सभी सिपाहियों और आजाद कैदियों ने मेरठ शहर और छावनी में जो भी अंग्रेज दिखा, उसे मौत के घाट उतार दिया। आस पास के गावों से भी लोग बाग़ इस फसाद में शामिल हो गए। जिन्होंने भी इन को समझाने की कोशिश की, वो भी मार डाला गया। अब अंग्रेजों ने योजना बनाई कि रात को तोप का इस्तेमाल करके सभी बागियों को मार डाला जाए। लेकिन रात होने तक सभी सिपाही मेरठ को छोड़कर दिल्ली की और कूच कर चुके थे।
11 मई को मेरठ के क्रान्तिकारी सैनिकों ने दिल्ली पहुँचकर, 12 मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया। इन सैनिकों ने मुग़ल सम्राट बहादुरशाह जफ़र... को दिल्ली का सम्राट घोषित कर दिया।
जल्द ही विद्रोह लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, बरेली, बनारस, बिहार तथा झांसी में भी फैल गया...और होते होते सारे देश में बगावत फैल गई।
1857 की क्रांति की देशव्यापी शुरूआत के लिए 31 मई 1857 का दिन निर्धारित किया गया था। एक ही दिन क्रांति शुरू होने पर उसका व्यापक प्रभाव होता। मगर.... फौजियों ने आक्रोश में आकर तयशुदा वक्त से पहले.... 10 मई, 1857 को ही विद्रोह कर दिया।
फौजियों की इस जल्दबाजी की वजह से... क्रांति की योजना अधूरी रह गयी। निश्चित समय का पालन नहीं होने के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति की शुरूआत अलग-अलग दिनों में हुई। इससे अंग्रेजों को क्रांतिकारियों का दमन करने में काफी मदद मिली ।
बहुत सी जगहों पर तो 31 मई का इन्तजार कर रहे सैनिकों के हथियार छीन लिए गए। अगर सभी क्षेत्रों में क्रांति का सूत्रपात एक साथ हुआ होता, तो तस्वीर कुछ और ही होती।
लॉर्ड कैनिंग के गवर्नर-जनरल के रूप में शासन करने के दौरान ही 1857 ई. की महान क्रान्ति हुई। इस क्रान्ति का आरम्भ 10 मई, 1857 ई. को मेरठ से हुआ, जो धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि स्थानों पर फैल गया। इस क्रान्ति की शुरुआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई, परन्तु कालान्तर में उसका स्वरूप बदल कर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एक जनव्यापी विद्रोह के रूप में हो गया, जिसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया।
M.s. Rana साब के वाल से