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एक बार जरूर पढ़ें, पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें हिंदू राष्ट्र या सिर्फ एक राजनीतिक चाल?पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन द...
30/11/2024

एक बार जरूर पढ़ें, पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें
हिंदू राष्ट्र या सिर्फ एक राजनीतिक चाल?

पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों “हिंदू राष्ट्र” के नारे और यात्राएं निकाल रहे हैं। उनका संदेश है, “जातिपाती की करो विदाई, हम सब हैं भाई-भाई।”
लेकिन सवाल है—क्या यह वाकई समाज सुधार का प्रयास है, या सिर्फ राजनीतिक एजेंडा?

🔸 स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का आरोप

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री की हिंदू राष्ट्र यात्रा पर तीखा प्रहार किया।
उन्होंने इसे पूरी तरह से बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताया।
स्वामी जी का कहना है कि बीजेपी जातियों के बीच के विरोधों को खत्म कर, सभी हिंदुओं को एकजुट कर, अपने लिए पूरा वोट बैंक बनाना चाहती है।

🔸 सनातन व्यवस्था और जाति

स्वामी जी ने स्पष्ट कहा, “सनातन धर्म की पहचान जाति व्यवस्था से होती है।
हिंदू धर्म में जाति का महत्व इतना गहरा है कि विवाह जैसे संबंध भी जाति के आधार पर तय होते हैं।
क्या आप अपनी बहन या बेटी का विवाह बिना जाति पूछे कर सकते हैं?”
यह सवाल सामाजिक हकीकत को उजागर करता है, जिसे नारेबाजी से बदलना मुश्किल है।

🔸 धीरेंद्र शास्त्री का असली उद्देश्य

धीरेंद्र शास्त्री जातिवाद खत्म करने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या यह संभव है?
क्या उनका हिंदू राष्ट्र जातियों को मिटाकर समानता लाने का प्रयास है, या सिर्फ धर्म और जाति के नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने का तरीका?

🔸 स्वामी जी की चुनौती

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने धीरेंद्र शास्त्री को सीधी चुनौती दी:
“देश छोड़ो, एक जिला हिंदू राष्ट्र बनाकर दिखाओ, जहां जाति का भेदभाव न हो।
जहां लोग बिना जाति पूछे शादी करें, सामाजिक संबंध बनाएं। तभी इस आंदोलन की सच्चाई पता चलेगी।”

🔸 सोचने का समय

जातिवाद खत्म करना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे राजनीतिक यात्राओं और नारों से नहीं, बल्कि समाज के भीतर गहरे सुधार से हल किया जा सकता है।
जाति मुक्त समाज का निर्माण शिक्षा, समानता और सहिष्णुता के जरिए ही संभव है।

यह आंदोलन जातिवाद खत्म करने का प्रयास है या सिर्फ एक और राजनीतिक खेल?
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Ten Unknown Facts About   1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germ...
07/10/2024

Ten Unknown Facts About

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.






Asaduddin Owaisi 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝

Our HonourOur Prophet ﷺ Our PrideOur Prophet ﷺ Our QayadOur Prophet ﷺ Our LeaderOur Prophet ﷺ Our LifeOur Prophet ﷺ Our ...
05/10/2024

Our Honour
Our Prophet ﷺ Our Pride
Our Prophet ﷺ Our Qayad
Our Prophet ﷺ Our Leader
Our Prophet ﷺ Our Life
Our Prophet ﷺ Our Heart 💖

We Will Not Accept Any Disgusting Talk About Our Beloved Prophet Muhammad ﷺ❤️

ये हैं राजीव दुबे और रश्मि दुबे…इन्होंने दावा किया कि इजराइल के वैज्ञानिकों ने एक ऑक्सीजन थैरेपी निकाली है जिस थेरेपी को...
05/10/2024

ये हैं राजीव दुबे और रश्मि दुबे…

इन्होंने दावा किया कि इजराइल के वैज्ञानिकों ने एक ऑक्सीजन थैरेपी निकाली है जिस थेरेपी को लेने के बाद 65 साल के बूढ़े भी 25 साल के जवान की तरह दिखने लगेंगे, थैरेपी पैकेज प्रति व्यक्ति 90 हजार रुपए…

इस तरह राजीव दुबे और रश्मि दुबे ने 35 करोड़ रुपए लोगों से लिए और भाग निकले लेकिन अभी तक कोई भी बुड्ढे जवान नहीं हुए…

किसी ने भी शिकायत इसलिए नहीं की क्योंकि ये बात सामने आने पर उनका मजाक बनना तय था…
जैसे-तैसे एक महिला कानपुर पुलिस के पास पहुंची, FIR हुई, तो 65 वर्ष की उम्र में भी 25 वर्ष के जवान बनाने का खुलासा हुआ…
"बाकि सब खैरियत है"






Ten Unknown Facts About   1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germ...
04/10/2024

Ten Unknown Facts About

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.






Asaduddin Owaisi 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝

अंधभक्त किसी को भी अपना बाप बना लेते हैं 😂😂
04/10/2024

अंधभक्त किसी को भी अपना बाप बना लेते हैं 😂😂

भारतीय बल्लेबाज सरफराज खान ने इतिहास रच दिया है। मुंबई के लिए खेलते हुए उन्होंने शानदार दोहरा शतक जमाया और रेस्ट ऑफ इंडि...
02/10/2024

भारतीय बल्लेबाज सरफराज खान ने इतिहास रच दिया है। मुंबई के लिए खेलते हुए उन्होंने शानदार दोहरा शतक जमाया और रेस्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ धागा खोल दिया। ईरानी ट्रॉफी में मुंबई के लिए वह दोहरा शतक जमाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं।

Ten Unknown Facts About

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.





हमला बंद हो गया हो तो बाहर आ जाऊँ क्या 😄
01/10/2024

हमला बंद हो गया हो तो बाहर आ जाऊँ क्या 😄

I've received 280,000 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉
30/09/2024

I've received 280,000 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉

*सवाल* :- *दो राष्ट्र सिद्धान्त के जनक कौन? क्या मुस्लिमों ने देश के टुकड़े किये?**जवाब*- हमेशा से ही देश के विभाजन का आर...
30/09/2024

*सवाल* :- *दो राष्ट्र सिद्धान्त के जनक कौन? क्या मुस्लिमों ने देश के टुकड़े किये?*

*जवाब*- हमेशा से ही देश के विभाजन का आरोप मुस्लिमों पर लगाया जाता है जबकि आप इतिहास का अध्ययन करे तो आप इस तथ्य से अवगत होंगे की *दो राष्ट्र की बुनियाद हिंदू राष्ट्रवादी सोच के लोगों ने रखी थी।*

यह बात बिल्कुल प्रमाणित है कि मुस्लिम लीग की दो देश की बात उठाए जाने से बहुत पहले अट्ठारवीं सदी में ही हिन्दू राष्ट्रवादियों ने इस सिद्धांत की बुनियाद डाल दी थी। जो कि उन्नीसवीं सदी के आते आते बहुत मुखर होती गई। उनके मशहूर और उभरते हुए नेताओं के ईसाईयों और खास तौर से मुसलमानों को लेकर दिए जा रहे ज़हरीले भाषण भी बढ़ते गए।

भाई परमानंद, राजनारायण बसु (1826-1899), उनके साथी नवगोपाल मित्र, लाला लाजपत राय, डॉ. बी.एस. मुंजे, वी.डी. सावरकर, एम.एस. गोलवलकर आदि हिंदूवादी लोग लगातार एक हिन्दू राष्ट्र की कल्पना कर रहें थे। *एक ऐसे हिन्दू राष्ट्र की कल्पना जिसमें ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदुओं की दया पर पले।*

1899 में लाला लाजपतराय जी ने हिंदुस्तान रिव्यू नामक पत्रिका में एक आलेख लिखा और बताया कि हिंदू अपने-आप में एक राष्ट्र हैं। भाई परमानन्द ने तो अपनी आत्मकथा में अफगानिस्तान और सीमावर्ती इलाकों को मिलाकर अलग मुस्लिम राष्ट्र कि योजना तक प्रस्तावित कर दी थी।

गोलवलकर ने तो जर्मनी के नाज़ियों और इटली के फासिस्टों द्वारा यहूदियों के सफ़ाये की तर्ज़ पर भारत के मुसलमानों और ईसाईयों को चेतावनी दी कि,

*"अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे राष्ट्र की तमाम संहिताओं और परम्पराओं से बंधे, राष्ट्र की दया पर टिकें, जिनको कोई विशेष सुरक्षा का अधिकार नहीं होगा, विशेष अधिकारों या अधिकारों की बात तो दूर रही । इन विदेशी तत्वों के सामने सिर्फ़ दो ही रास्ते हैं, या तो वो राष्ट्रीय नस्ल में मिल जाए और उसकी तहज़ीब को अपनाए या उसकी दया पर ज़िंदा रहें जब तक कि राष्ट्रीय नस्ल उन्हें इजाज़त दे और जब राष्ट्रीय नस्ल की मर्ज़ी हो तब वे देश को छोड़ दें।....*

*विदेशी नस्लों को चाहिए कि वे हिन्दू तहज़ीब और ज़बान को अपना ले...*

*हिन्दू राष्ट्र के अलावा दूसरा कोई विचार अपने दिमाग़ में न लायें और अपना अलग अस्तित्व भूलते हुए हिन्दू नस्ल में मिल जाये या देश में हिन्दू राष्ट्र के साथ दोयम दर्जे के आधार पर रहें, अपने लिए कुछ न मांगे, अपने लिए कोई खास अधिकार न मांगे यहां तक कि नागरिक अधिकारों की भी चाहत न रखें।"*
(एम.एस. गोलवलकर : वी ऑर अवर नेशनहुड डिफाइंड)

हिन्दू महासभा के बालकृष्ण शिवराम मुंजे ने भी ऐसी ही घोषणा की थी।

डॉ. बी. एस. मुंजे ने हिन्दू महासभा के फलने फूलने और उसके बाद आर.एस.एस. के बनने में मदद की थी। सन 1923 में अवध हिन्दू महासभा के तीसरे सालाना जलसे में उन्होंने ऐलान किया-

*"जैसे इंग्लैंड अंग्रेज़ो का, फ्रांस फ्रांसीसियों का और जर्मनी जर्मन नागरिकों का है, वैसे ही भारत हिंदुओ का है। अगर हिन्दू संगठित हो जाए, तो वो मुसलमानों को वश में कर सकते हैं।"*
(उध्दृत जे.एस. धनकी, 'लाला लाजपत राय ऐंड इंडियन नेशनलिज़्म')

सावरकर ने हमेशा से ईसाई और मुस्लिम समुदाय को विदेशी मानते हुए सन 1937 में अहमदाबाद में हिंदु महासभा के 19 वें सालाना जलसे में अपने भाषण में कहा-

*"आज यह कतई नहीं माना जा सकता कि हिंदुस्तान एकता में पिरोया हुआ राष्ट्र है, जबकि हिंदुस्तान में खास तौर से दो राष्ट्र है- हिन्दू और मुसलमान।"*
(समग्र सावरकर वांग्मय: हिन्दू राष्ट्र दर्शन, खंड 6)

*बाबा साहेब अंबेडकर* इस तरह के भाषणों से होने वाले एक बड़े नुकसान के खतरे को समझ रहे थे, उन्होंने इस संदर्भ में परिस्थितियों को देखते हुए साफ लिख दिया था-

*"ऐसे में देश का टूटना अब ज़्यादा दूर की बात नहीं रह गया। सावरकर मुसलमान क़ौम को हिन्दू राष्ट्र के साथ बराबरी से रहने नहीं देंगे। वो देश में हिंदुओं का ही दबदबा चाहते है, और चाहते हैं कि मुसलमान उनके अधीन रहे। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी का बीज बोने के बाद सावरकर अब क्या चाहेंगे कि हिन्दू मुस्लिम एक ही सविंधान के तले एक अखंड देश में होकर जिएं, इसे समझना मुश्किल है।"*
(बी.आर.अंबेडकर: पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन)

इसी तरह के भाषणों, बिगड़ते माहौल और क्रिया प्रक्रिया स्वरूप अंत में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का प्रस्ताव सन् 1940 में पारित किया था, वो भी तब जब अकसर नेताओं के भाषण से उन्हें लगा कि अब भारत में रहना आसान नहीँ होगा।

दरअसल 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों को यह समझ आगया था की देश पर राज जारी रखने के लिए यह युक्ति करना ज़रूरी है कि हिन्दू-मुस्लिम फिर कभी एक ना हो पाएं इसी के फलस्वरूप इस एजेंडे की शुरुआत हुई ।

आज जनता को समझना होगा कि आज जो लोग देश के बंटवारे का आरोप लगाते हैं उनका खुद का बंटवारे में कितना बड़ा हाथ था? और आज भी जो नफरत फैलाने वाले लोग कर रहे हैं यह उसी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं जो देश के लिये हितकारी नहीं है






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पैरासीटामॉल   -   पैनटॉप DSRये शायद आज भारत की सबसे ज़्यादा बिकने वाली दवाएं हैंऔर ये दोनों ही आज क्वालिटी टेस्ट में फेल...
27/09/2024

पैरासीटामॉल - पैनटॉप DSR

ये शायद आज भारत की सबसे ज़्यादा बिकने वाली दवाएं हैं

और ये दोनों ही आज क्वालिटी टेस्ट में फेल हुईं

छोटे से छोटा बुखार हो या बड़े से बड़ा
वायरल हो डेंगू हो मलेरिया हो या टाइफाइड

बच्चे को हो जवान को हो या बुड्ढे को हो

एक चीज इनमे हमेशा कॉमन = पैरासीटामोल

किसी भी प्रकार की गैस की समस्या हो
ओपरेशन हुआ हो या हड्डी टूटी हो या कैंसर हो या हार्ट का पेसेंट बीमारी किडनी की हो या लीवर की, अस्पताल किसी कस्बे का हो या दिल्ली मुंबई का

एक tab हमेशा कॉमन - खाली पेट पैनटॉप DSR

आज भारत सरकार को बड़ा action लेने की जरूरत है इन दोनों टेबलेट्स को बनाने वाली कम्पनियों के खिलाफ, ये अपने कुछ फायदे मात्र के लिए करोङो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा था, इनके साइडइफेक्ट अब लोग झेलेंगे...
क्या ये कम्पनी झेलेगी इनके साइडइफेक्ट पर होने वाले खर्चो को...

सिर्फ टेबलेट बंद करने से कोई फायदा नहीं
ये दूसरे नाम से मार्किट में आ जाएगी और इनकी MR टीम उसे घर घर पंहुचा देगी

इसलिए ऐसी कम्पनी को बंद करना ही एकमात्र सलूशन है जिससे दूसरों को सबक मिले.

यदि ये सन्देश भारत सरकार तक पंहुचाने में
आप मेरी मदद करना चाहते हैं तो शेयर करें.





24/09/2024

*सवाल :– *एक पोस्ट में कहा जा रहा है कि "फला" समाज में एक भी भिखारी नहीं है क्योंकि उनकी इबादतगाह के बाहर एक भी भिखारी नहीं मिलता। लेकिन मस्जिदों के बाहर भिखारियों की लाइन लगी होती है इसलिए ये सबसे गरीब कौम है?
🌼 🌸 🌻 🌹 🏵 🌼 🌸 🌻 🌹 🏵

✦ *इस तरह के सवालों के जवाब पाने के लिए जुड़िये हमारे WhatsApp चैनल से 👇
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*जवाब* - भिखारियों का कोई धर्म नहीं होता, जिस नाम पर और जिस जगह से उन्हें भीक मिलती है वह वही नाम लेते हैं और उसी जगह जाते हैं।

इसीलिए मस्जिदों के बाहर भिखारियों की तादाद ये साबित नहीं करती कि भिखारी मुस्लिम होते हैं बल्कि ये बताती है कि मुस्लिम कितने दानी/देनदार होते हैं, और गरीबों को कितना ज्यादा दान देने वाले होते हैं।

जबकि जिन संस्थानों के सामने भिखारी नहीं जाते उस से यही साबित होता है कि भिखारियों को भी यह पता है कि इस कौम के लोग दान करने में इतने कंजूस हैं कि वहाँ से कुछ मिलने वाला नहीं है, इसलिए भिखारी भी वहां जाकर अपना टाइम खराब नहीं करते।

दरअसल, मुसलमानों का ये दान करना और गरीबों की मदद करना कुरान और हदीसों में मिले बार बार आदेश की वजह से है।

इस्लाम में "अल्लाह पर" या मस्जिद में कोई "चढ़ावे" की कोई प्रथा नहीं है बल्कि जब भी अल्लाह खर्च करने का या दान करने का हुक्म देता है तो वह गरीबों, बेसहरा और सोशल कॉज के लिए ही होता है

फरमाया कुरआन में

*ऐ ईमान लाने वालो! अपनी कमाई की पाक और अच्छी चीज़ों में से ख़र्च करो और उन चीज़ों में से भी जो हमने धरती से तुम्हारे लिए निकाली हैं।*
_(कुरान 2:267)_

*यदि तुम खुले रूप में सदक़े दो तो यह भी अच्छा है और यदि उनको छिपाकर मुहताजों को दो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। और यह तुम्हारे कितने ही गुनाहों को मिटा देगा। और अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है, जो कुछ तुम करते हो।*
_कुरान 2:271_

*जो लोग अपना माल दिन-रात ख़ैरात में ख़र्च करते हैं, छिपकर और खुले तौर पर, उनका बदला उनके रब के पास है, और उनके लिए कोई डर नहीं होगा और न ही वे शोक मनाएँगे।*
_कुरान 2:274_

और जो दान ज़कात नहीं देते उन लोगों को आगाह भी किया गया है।

*हदीस* - *हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जो सोने और चांदी का मालिक हुआ और उसने उसका हक़ अदा ना किया यानि ज़कात ना दी तो क़यामत के दिन आग के बने हुए पतरों से उसकी पेशानी और पहलु और पीठ को दागा जायेगा,और जिन्होंने अपने जानवरों की ज़कात ना दी तो क़यामत के दिन उसके ऊपर से तमाम जानवरों को गुज़ारा जायेगा जिससे कि वो रौंदा जायेगा !*

_(बुखारी,जिल्द 1,सफह 188)_

इस्लाम में दान देने पर इतना ज्यादा जोर दिया गया है कि कुछ दानों को तो मैंडेटरी (अनिवार्य) बना दिया है जैसे ज़कात, फित्रा वगेरह और उनके दे देने के बाद भी इस्लाम गरीबों और बे सहाराओ की मदद के लिए बार बार कहता है ।
किसी भी धर्म में दान देने पर इतना फोकस और इतना categorization नहीं किया गया है जितना के इस्लाम में। सदका, खैरात, इमदाद, मदद हर तरह से अपने माल में से गरीबों को देने की बात कही गई है।
इसलिए मुसलमानों के त्योहार भी फिजूल खर्ची नहीं बल्कि दान देने से ही जुड़े होते हैं।

जैसे की ईद उल फ़ित्र जिसे मीठी ईद कहा जाता है उस दिन भी मुसलमान पर अनिवार्य होता है कि ईदगाह में जाने से पहले वो घर के हर एक मेंबर के हिसाब से गरीबों को फित्रा देकर जाएं। इसलिए आप ईदगाह के आसपास मांगने वालों की भीड़ देखते हैं।

अब तो , मुस्लिमों के इस देने के जजबे से मांगने वाले भी इतने वाकिफ हो चुके हैं कि आजकल मस्जिदों के बाहर भिखारी भेस बदलने की भी ज़रूरत नहीं समझते और मस्जिदों के बाहर आज कितने ही मांगने वाले बिंदी, साड़ी या साधु के पहनावे में दिख जाते हैं क्योंकि वे भी जानते हैं कि मुस्लिम इतने दानवीर हैं कि उन्हें इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मांगने वाला कौन से धर्म का है।

लेकिन यहाँ मुस्लिमो को भी एक बात ध्यान रखना चाहिए कि अल्लाह ने जहाँ दान देने का हुक्म दिया है तो उसे सही जगह देने का भी हुक्म दिया है, दान देकर लोगों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए ,बे सहाराओ की मदद करना चाहिए लेकिन बेवजह हट्टे कट्टो को भीख देकर काम चोर नहीं बनना चाहिए । इस से मना किया गया है।

साथ ही आज कितने ही ऐसे गिरोह सिर्फ इस साल ही पकड़े गए हैं जिन्होंने मस्जिदों में लाचार और गरीबी का झूठा दिखावा कर के लाखों रुपये चंदा इकट्ठा कर लिया। एक गिरोह तो ऐसा पकड़ा गया जो गरीब मदरसों और बच्चों के नाम से मस्जिदों में चंदा इकट्ठा कर रहा था और वह दरअसल में एक फ्रॉड गिरोह था। तो मुस्लिमो को सचेत होना चाहिए और अपने माल को सही जगह ही दान करना चाहिए।

इसके साथ ही उन लोगो को भी थोड़ी शर्म करना चाहिए जो इस्लाम और मुस्लिमो को बदनाम करने में इतने नीचे गिर चुके हैं की मुस्लिम समाज के इस दान भाव की तारीफ नही कर सकते तो कम से कम उसमे भी झूठ फैला कर बदनाम करने की कोशिश तो ना करें।
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