Osho the great

Osho the great Wellness

जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?जब न तुमसे स्नेह के दो कण मिले,व्यथा कहने के लिए दो क्षण मिले;...
05/10/2025

जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

जब न तुमसे स्नेह के दो कण मिले,
व्यथा कहने के लिए दो क्षण मिले;
जब तुम्हीं ने की सतत अवहेलना,
विश्व का सम्मान लेकर क्या करूं?
जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

एक आशा, एक ही अरमान था,
बस तुम्हीं पर हृदय को अभिमान था;
पर न जब तुम ही हमें अपना सके,
व्यर्थ यह अभिमान लेकर क्या करूं?
जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

दूं तुम्हें कैसे जलन अपनी दिखा?
दूं तुम्हें अपनी लगन कैसे दिखा?
जो स्वरित होकर न कुछ भी कह सकें,
मैं भला वे गान लेकर क्या करूं?
जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

शलभ का था प्रश्न दीपक से यही,
मीन ने यह बात जीवन से कही;
हों विलग तुम से न जो फिर भी मिटे;
मैं भला वे प्राण लेकर क्या करूं?
जब तुम्हीं अनजान बनकर रह गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

अर्चना निष्प्राण की कब तक करूं,
कामना वरदान की कब तक करूं,
जो बना युग-युग पहेली-सा रहे,
मौन वह भगवान लेकर क्या करूं?
जब तुम्हीं अनजान बनकर रहे गए,
विश्व की पहचान लेकर क्या करूं?

The great Western psychologist R. D. Lang introduced a new concept. Lang tried to prove that in Western mental asylums, ...
03/10/2025

The great Western psychologist R. D. Lang introduced a new concept. Lang tried to prove that in Western mental asylums, there are many people who, if they had been born in Eastern countries in the past, would have been considered great saints; people would have regarded them as ecstatic fakirs; they would have been worshipped. And when a thoughtful psychologist like R. D. Lang says something, it carries meaning. Having studied the insane throughout his life, he stated that many of those confined, if they had been in the East, would have been Ramakrishna. And be certain, if Ramakrishna had been in the West, he would have been kept in a hospital, considered a patient of hysteria. It was just a coincidence that he was born in India and it was fortunate that the time was right when he was born. If he were born now in Kolkata, he would not be at the Dakshineswar temple but in a hospital in the main market. And no matter how much he shouted, who would listen? No matter how much he shouted that he had attained knowledge, people would say, "Be calm, all mad people say that." No matter how much he said that he was having visions of goddess Kali, people would say, "Be calm, you are hallucinating."
🌹 Osho 🌹

चांद तो घर आ गया है, और तुम कहां हो? एक दीपक ने दसों दीपक जलाए, एक दूरी से विहग घर लौट आये; मैं स्वयं को एक मेला लग रही ...
01/10/2025

चांद तो घर आ गया है, और तुम कहां हो? एक दीपक ने दसों दीपक जलाए, एक दूरी से विहग घर लौट आये; मैं स्वयं को एक मेला लग रही हूं, आंख में सुकुमार सपने डगमगाए; प्राण यह घबरा गया है, और तुम कहां हो? चांद तो घर आ गया है, और तुम कहां हो? रात-रानी गंध के स्वर फूंकती है, प्राण में उन्मन पिकी-सी कूकती है; क्या कहूं मैंने हृदय पाया अजब है, जिंदगी हर बार यूं ही खिलती है; 🌕💫🌠 🌹osho 🌹

मुस्कुराता हुआ दीप मैं बन सकूंस्नेह इतना हृदय में भरो आज तुम!मोतियों से न रीती रहे आंख यहरागिनी कंठ में खो न जाए कहींभय ...
30/09/2025

मुस्कुराता हुआ दीप मैं बन सकूं
स्नेह इतना हृदय में भरो आज तुम!
मोतियों से न रीती रहे आंख यह
रागिनी कंठ में खो न जाए कहीं
भय मुझे है तिमिर की घनी छांह में
ज्योति धुंधली स्वयं हो न जाए कहीं,
जिंदगी में खिंची है परिधि मौत की
डगमगाता हुआ हर कदम चल रहा,
एक पल की मनुज की हंसी को यहां
डबडबाता हुआ हर नयन छल रहा,
चांदनी-सा मधुर हास बिखरा सकूं,
प्राण! उल्लास इतना भरो आज तुम!
मुस्कुराता हुआ दीप मैं बन सकूं
स्नेह इतना हृदय में भरो आज तुम!

फूल कुछ झर रहे हैं धरा पर अरे
नव कली का न घूंघट हटाओ अभी,
हंस सकें साथ ही मुस्कुरा घूमकर;
डाल के फूल यों मुस्कुराओ अभी;
आवरण रश्मि का फूल पर डाल दो
नव कली के नयन मुस्कुरा तो सकें,
हो नए राग का ही सृजन कुछ घड़ी
मुक्त मन से अधर गुनगुना तो सकें;
मैं गरल पी सकूं गीत गा-गा यहां
जीभ पर बूंद मधु की धरो आज तुम!
मुस्कुराता हुआ दीप मैं बन सकूं,
स्नेह इतना हृदय में भरो आज तुम!
🌹 Osho 🌹

23/09/2025

गंध से बोझिल पवन है,
और फिर चंचल चरण हैं।
कौन-सा मौसम लगा है?
दर्द भी लगता सगा है।।

अनमिली स्वर लहरियों के गीत जादू डालते हैं।
शारदी मेघों तले मैदान फूल उछालते हैं।

आज तो वश में न मन है।
गीत से भीगा गगन है।
प्राण को किसने ठगा है?
दर्द भी लगता सगा है।।

ओ उदासी की किरण! भटकी हुई क्या कह रही तू?
धुंधलके के पार यूं निस्सार ही क्यों बह रही तू?

प्रीत का कोई वचन है।
नित निभाना प्रणय प्रण है।
नयन में सपना जगा है।।
दर्द भी लगता सगा है।।

पूर्ण यौवन-भार खेतों में लचकती सांध्य-वेला।
बांसुरी के स्वर सरीखा एक मेरा स्वर अकेला।

टेरता मानो विजन है।
और तन मन में चुभन है।
कौन-सा मौसम लगा है?
दर्द भी लगता सगा है।।
Osho 🙏@ #@ #

अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत होती है। प्रेम और करुणा से हर अच्छा काम हो सकता है।- ओशोदैनिक भास्कर
06/07/2025

अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत होती है। प्रेम और करुणा से हर अच्छा काम हो सकता है।

- ओशो

दैनिक भास्कर

Say with love osho 🌹🌹
09/06/2025

Say with love osho 🌹🌹

20/04/2025

Jai bhim jai sanvidhan

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Monkey with baby

27/02/2025

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