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🙏👏🫡हर स्त्री शादी के पहले बेटी ही होती है |और शादी के बाद बहू बन जाती है |•सर पर पल्ला रखो ~ अब तुम बेटी नहीं बहू हो.......
06/04/2025

🙏👏🫡
हर स्त्री शादी के पहले बेटी ही होती है |

और शादी के बाद बहू बन जाती है |•

सर पर पल्ला रखो ~ अब तुम बेटी नहीं बहू हो.....•

कुछ तो लिहाज करो , पिता सामान ही सही पर ससुर से बात मत करो ~ तुम बेटी नहीं बहू हो......•

माँ ने सिखाया नहीं , पैताने बैठो ~ तुम बेटी नहीं बहू हो........•

घर से बाहर अकेली मत निकलो ~ तुम बेटी नहीं बहू हो.....•

अपनी राय मत दो , जो बड़े कहे वही मानो ~ तुम बेटी नहीं बहू हो......

और फिर उसने खुद को ठोंक – पीट के बहू के सांचे में अपने आप को ढाल लिया अब वो बेटी नहीं बहू थी |

समय पलटा , सास – ससुर वृद्ध हुए और अशक्त व् बीमार भी |

बिस्तर से लग गए |

बताओ कौन सा ट्रीटमेंट कराया जाए , राय दो ~ तुम बेटी ही तो हो सास से बिस्तर से उठा नहीं जाता~सिरहाना.पैताना मत देखो , अपने हाथ से खाना खिला दो ~ तुम बेटी ही तो हो ससुर सारा दिन अकेले ऊबते हैं

~ बातें किया करो , तुम बेटी ही तो ह.ससुर के कपडे बदलने में संकोच कैसा ~ तुम बेटी ही तो हो |
अब उसकी भी उम्र बढ़ चुकी थी |

बेटियाँ मुलायम होतीहै , लोनी मिटटी सी , बहुएं सांचे में ढली हुई , और तराश कर बनायी जाती हैं |

दुबारा बहू से बेटी में परिवर्तनअसहज लगा त्रुटियाँ रहने लगी..... |

सुना है घर के तानपुरे ने वही पुराना राग छेड़ दिया हैकुछ भी कर लो.....................

बहुएं कभी बेटियाँ नहीं बन सकती |

वाह क्या कहना समाज के उसूल ओर दस्तूर केबारे में आज भी जारी है कि चाहे ससुराल वाले बहु को बेटी न माने परंतु अपने स्वार्थ के लिए बहु से बेटी बनकरसेवा लेना चाहते है

लेकिन मेरा विचार है कि पहले आप बहु को बेटी की जगह दे और फिर बेटी जैसी होने की आशा। रखे ऐसा अवश्य होगा।

क्योंकि बेटी से बहु बनने में थोड़ी कठिनाई हो भी सकती है लेकिन बहु से बेटी बनने में तोकतई नहीं..."

जय हिन्द जय भारत ❤️🇮🇳🫡

हिन्दी लिखने वाले अक़्सर 'ई' और 'यी' में, 'ए' और 'ये' में और 'ऐं' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं।कहाँ क्या इस्तेम...
06/04/2025

हिन्दी लिखने वाले अक़्सर 'ई' और 'यी' में, 'ए' और 'ये' में और 'ऐं' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं।

कहाँ क्या इस्तेमाल होगा, इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए...।

जिन शब्दों के अन्त में 'ई' आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं,
जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई-बुझाई...।

इसलिए 'तुमने मुझे पिक्चर दिखाई' में 'दिखाई' ग़लत है... इसकी जगह 'दिखायी' का प्रयोग किया जाना चाहिए...।

इसी तरह कई लोग 'नयी' को 'नई' लिखते हैं...।
'नई' ग़लत है, सही शब्द 'नयी' है...
मूल शब्द 'नया' है, उससे 'नयी' बनेगा...।

क्या तुमने क्वेश्चन-पेपर से आंसरशीट मिलायी...?
('मिलाई' ग़लत है...।)

आज उसने मेरी मम्मी से मिलने की इच्छा जतायी...।
('जताई' ग़लत है...।)

उसने बर्थडे-गिफ़्ट के रूप में नयी साड़ी पायी...। ('पाई' ग़लत है...।)

अब आइए 'ए' और 'ये' के प्रयोग पर...।
बच्चों ने प्रतियोगिता के दौरान सुन्दर चित्र बनाये...। ('बनाए' नहीं...।)

लोगों ने नेताओं के सामने अपने-अपने दुखड़े गाये...। ('गाए' नहीं...।)

दीवाली के दिन लखनऊ में लोगों ने अपने-अपने घर सजाये...। ('सजाए' नहीं...।)

तो फिर प्रश्न उठता है कि 'ए' का प्रयोग कहाँ होगा..?
'ए' वहाँ आएगा जहाँ अनुरोध या रिक्वेस्ट की बात होगी...।

अब आप काम देखिए, मैं चलता हूँ...। ('देखिये' नहीं...।)

आप लोग अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी के विषय में सोचिए...। ('सोचिये' नहीं...।)
नवेद! ऐसा विचार मन में न लाइए...। ('लाइये' ग़लत है...।)

अब आख़िर (अन्त) में 'यें' और 'एँ' की बात...
यहाँ भी अनुरोध का नियम ही लागू होगा...
रिक्वेस्ट की जाएगी तो 'एँ' लगेगा, 'यें' नहीं...।

आप लोग कृपया यहाँ आएँ...। ('आयें' नहीं. ।)
जी बताएँ, मैं आपके लिए क्या करूँ? ('बतायें'नहीं।)
मम्मी, आप डैडी को समझाएँ...। ('समझायें' नहीं...।)

अन्त में सही-ग़लत का एक लिटमस टेस्ट...
एकदम आसान सा...

जहाँ आपने 'एँ' या 'ए' लगाया है, वहाँ 'या' लगाकर देखें...।

क्या कोई शब्द बनता है?
यदि नहीं, तो आप ग़लत लिख रहे हैं...।

आजकल लोग 'शुभकामनायें' लिखते हैं... इसे 'शुभकामनाया' कर दीजिए...।

'शुभकामनाया' तो कुछ होता नहीं, इसलिए 'शुभकामनायें' भी नहीं होगा...।

'दुआयें' भी इसलिए ग़लत है और 'सदायें' भी 'देखिये', 'बोलिये', 'सोचिये' इसीलिए ग़लत हैं क्योंकि 'देखिया', 'बोलिया', 'सोचिया' कुछ नहीं होते।

मूल पोस्ट : डॉ. राजश्री

Mahesh Sinha की पोस्ट से साभार

बात तो सही है आपकी क्या राय है??
06/04/2025

बात तो सही है आपकी क्या राय है??

मेरे चार्जिंग प्वाइंट में सिर्फ मोटी पिन का चार्जर चाहिए किसी के पास हो तो बताओ बहुत लो फील कर रही हूं
06/04/2025

मेरे चार्जिंग प्वाइंट में सिर्फ मोटी पिन का चार्जर चाहिए
किसी के पास हो तो बताओ
बहुत लो फील कर रही हूं

सलमान खान ने रश्मिका की जवानी का रस ऊपर से लेकर नीचे तक निचोड़ लिया है। फार्म हाउस पर ले जाकर वह रश्मिका को बिना कपड़ों ...
06/04/2025

सलमान खान ने रश्मिका की जवानी का रस ऊपर से लेकर नीचे तक निचोड़ लिया है। फार्म हाउस पर ले जाकर वह रश्मिका को बिना कपड़ों के रख रहे थे और लगातार 2 महीने तक उन्होंने रश्मिका की अच्छे से बजाई है। रश्मिका मंदांना भी जानती है कि अगर वह सलमान को खुश करेगी तो आगे उन्हें बॉलीवुड में काम मिलेगा जिसकी वजह से ही वह भी सलमान खान को खुश रखने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है।

इस खबर को पढ़ने के बाद एक कहानी याद आ गई कि एक जंगल में एक भैंस घबराहट में भाग रहा था। उसको भागते देखकर एक हाथी ने पूछा ...
04/04/2025

इस खबर को पढ़ने के बाद एक कहानी याद आ गई कि एक जंगल में एक भैंस घबराहट में भाग रहा था। उसको भागते देखकर एक हाथी ने पूछा कि क्यों, क्या हुआ? जो कि तुम इतना डरकर भाग रहे हो। तुम्हारे डरने की वजह क्या है? इस पर भैंस ने जवाब दिया कि अरे भाई वो लोग गायों को पकड़कर ले जा रहे हैं। इस पर हैरान हाथी ने पूछा कि तुम गाय कहां हो? इस पर भैंस ने जवाब दिया कि वो मुझे पता है, लेकिन मैं गाय नहीं हूं। भारत की अदालतों में मुझे यह साबित करने में पच्चीसों साल लग जाएंगे। इतना सुनते ही हाथी भी घबराकर भागने लगा। ऐसे ही एक घटना मथुरा में हुई जहां एक महिला खुद को जिंदा साबित करते-करते परलोक सिधार गई 👇

पत्रकारिता के पुरोधा : विद्यार्थी जीजो क़लम सरीखे टूट गए पर झुके नहीं, उनके आगे यह दुनिया शीश झुकाती है जो क़लम किसी क़ी...
26/03/2025

पत्रकारिता के पुरोधा : विद्यार्थी जी

जो क़लम सरीखे टूट गए पर झुके नहीं,
उनके आगे यह दुनिया शीश झुकाती है
जो क़लम किसी क़ीमत पर बेची नहीं गयी
वह तो मशाल की तरह उठायी जाती है

कानपुर ही नहीं पूरे देश के गौरव गणेश शंकर विद्यार्थी जी की आज पुण्य तिथि है । पत्रकारों के आदर्श विद्यार्थी जी के "प्रताप" ने राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में जो अलख जगायी उससे आज तक पत्रकार प्रेरणा लेते हैं । विद्यार्थी जी ने आज़ादी की लड़ाई में भी भाग लिया, कानपुर कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे, मज़दूरों और छात्रों के लिए भी काम किया, उनके लिए आंदोलन किए ।

इसी वर्ष दिसंबर माह में कानपुर में 25 हज़ार मिल मजदूरो ने मंहगाई के कारण हड़ताल कर दी। उस हड़ताल में विद्यार्थी जी और उनके प्रताप ने मजदूरों का पूरा साथ दिया। परिणामतः मजदूरों के वेतन में 15 प्रतिशत बढ़ोŸारी हुई। इस घटना से जनता से प्रताप की माँग बढ़ गयी तथा सन 1920 में वह दैनिक के रूप में निकलने लगे। सन 1921 में रायबरेली के मुंशीगंज, फुरसतगंज और कराया बाजार में किसानों और ताल्लुकेदारों व जमींदारों के बीच हुए झगड़े में गोलियाँ चलीं। जिसमें कई किसान घायल हुए। विद्यार्थी जी ने प्रताप में इस घटना को उजागर किया तथा किसानों का पक्ष लिया। इसका नतीजा यह निकला कि एक ताल्लुकेदार ने प्रताप पर मुकदमा चला दिया। इस मुकदमें में विद्यार्थी जी की ओर से गवाही देने के लिये पं. मोतीलाल नेहरू तथा पं. मदन मोहन मालवीय तक को आना पड़ा। मुकदमे का फैसला विद्यार्थी जी व प्रताप के विरुद्ध गया। इस मुकदमे में विद्यार्थी जी की कई मास जेल में रहना पड़ा। विद्यार्थी जी और प्रताप अख़बार पर सन 1926 में एक और जबर्दस्त मुकदमा चला। यह मुकदमा शिकोहाबाद के एक थानेदार ने मैनपुरी के डिप्टी कलेक्टर की अदालत में चलाया। बात यह थी कि शिकोहाबाद का थानेदार काफ़ी घूसखोर था और स्वभाव से भी बहुत जालिम था। जब विद्यार्थी जी को यह बात मालूम हुई तो उन्होंने इस मामले की पूरी जाँच करायी तथा जाँच का ब्यौरा दैनिक प्रताप में छापा। इसी बात को लेकर उस थानेदार ने दैनिक प्रताप के संपादक और प्रकाशक सुरेन्द्र शर्मा पर मानहानि का मुकदमा चलाया और अंत में हाईकोर्ट से विद्यार्थी जी मुकदमा जीत गए। विद्यार्थी जी और प्रताप पर सांई खेड़ा मानहानि का भी मुकदमा चला किन्तु इसमें सुलह हो गयी चम्पारन में अँगरेज़ जनता पर जो अत्याचार कर रहे थे, उसकी पोल सबसे पहले विद्यार्थी जी ने ही प्रताप में खोलीं। जिसका परिणाम यह हुआ कि काफ़ी जाँच पड़ताल के बाद वहाँ नील की खेती ख़त्म कर दी गयी तथा वहाँ की जनता का दुख दूर हो गया। काकोरी की ट्रेन डकैती का महत्व भी जनता को विद्यार्थी जी ने पहली बार प्रताप के द्वारा बताया। साइमन कमीशन के बहिष्कार में विद्यार्थी जी व उसके प्रताप ने काफ़ी हिस्सा लिया।


देश भक्त भगतसिंह और उनके साथियों को अँगरेज़ी हुकूमत ने 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी। इस ख़बर से पूरे देश में कोहराम मच गया। कानपुर में 24 मार्च की सुबह यह ख़बर सुनकर लोग शोक सतप्त हो गये। हुतात्माओं के सम्मान में कानपुर में हड़ताल का आव्हान किया गया। इससे कानपुर में एक भयंकर साम्प्रदायिक दंगा शुरू हो गया। दुकानों और मकानों में लूटपाट शुरू हो गई। आगजनी की कई घटनाएँ हुई, हिंसा का तांडव मच गया। भारत के मानव हिन्दू मुसलमान दोनों धर्मों का मानने वाले जन पारस्परिक युद्धों के समय कितने नीचे गिर जाते हैं इसकी कल्पना कर सकना कोई कठिन कार्य नहीं है। हम सब उस पतन के साक्षी हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व और पश्चात काल में भारतवासियों ने यह विभीषिकाएँ भी देखीं हैं। 1931 का कानपुर का हिन्दू मुस्लिम तुमुल युद्ध विभीषिकापूर्ण था। तत्कालीन शासन उस तुमुल युद्ध को बढ़ाने में सहायक ही नहीं उसका प्रेरक भी था। कानपुर के बंगाली मोहाल नामक क्षेत्र में प्रायः दो सो मुस्लिम नारी घिरे पड़े थे। रात में कुछ मार डाले गये थे। बचे हुए डेढ़ दो सौ लोग उस रात को मारे जाने वाले थे। गणेश शंकर विद्यार्थी बिना खाये पिये प्रातः घर से निकल गये और बंगाली मोहाल पहुंचे वहाँ के आक्रांक हिन्दू गणेश शंकर विद्यार्थी को देखकर सहम गये। विद्यार्थी जी ने वहाँ से घिरे हुए मुसलमान नर नारी बालकों को निकला और उन्हें मुसलमान मोहल्लों में पहुंचाया। विद्यार्थी जी को हृदय से आशीष देते हुए ये भयग्रस्त लोग सुरक्षित स्थिान पर पहुँच गये। इसी दंगे ने विद्यार्थी जी की आहुति ले ली -२५ मार्च को दंगा पीड़ितों को बचाते हुए वे शहीद हो गए ।
विद्यार्थी जी की पुण्य तिथि पर श्रद्धयुक्त स्मरण एवं श्रद्धांजलि!

दिल्ली में "हिंदुस्तान टाइम्स" की महिला रिपोर्टर की  #स्तन_दबाने के  विरोध में मिडिया का प्रदर्शन!काश पत्रकारों के द्वार...
26/03/2025

दिल्ली में "हिंदुस्तान टाइम्स" की महिला रिपोर्टर की #स्तन_दबाने के विरोध में मिडिया का प्रदर्शन!
काश पत्रकारों के द्वारा प्रयागराज हाई कोर्ट के जस्टिस राममनोहर नारायण मिश्रा के अराजक फैसले "लड़की के स्तन पकड़ना, नाड़ा खोलना और पुलिया के नीचे ले जाना बलात्कार का प्रयास नहीं" को लेकर मिडिया हाउस में आलोचना हुई होती तो आज दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने देश के प्रतिष्ठित अखबार "हिंदुस्तान टाइम्स" की महिला रिपोर्टर पत्रकार अनुश्री का स्तन दबाने का दु:साहस एक पुलिस वाला नहीं करता।
सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय यह है कि आरोपित पुलिस का कहना कि स्कूल की छात्रा समझ कर ऐसी हरकत कर बैठा। तो सवाल उठता है क्या स्कूली छात्रा का स्तन दबाना अपराध नहीं है?
हो सकता है पुलिस वाला जानबूझ कर यह हरकत किया होगा कि उच्च न्यायालय तो स्तन दबाने को बलात्कार करने की प्रयास के श्रेणी से बाहर कर दिया...।
अब देखना दिलचस्प होगा कि महिला पत्रकार ipc की किस धारा के तहत मामला दर्ज करवाती है।
लगेगी आग तो आयेंगे कई घर जद में, यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है!
शर्म नाक

5 मार्च को एक शादी होती है, पत्नी का कहीं और अफेयर था, पति के पास ठीक ठाक पैसा था,पत्नी अपने प्रेमी के साथ पति को मारने ...
26/03/2025

5 मार्च को एक शादी होती है, पत्नी का कहीं और अफेयर था, पति के पास ठीक ठाक पैसा था,

पत्नी अपने प्रेमी के साथ पति को मारने की योजना बनाती है, वह दोनों पति को मारने के लिए 2 लाख रुपए को सुपारी देते हैं,

शादी के 15 दिन बाद ही पति को यह दोनों सुपारी देकर मरवा देते हैं। पत्नी की योजना थी कि

पति की मौत के बाद आराम से उसके पैसे से वो और उसका प्रेमी अय्याशी करेंगे मगर अब दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।प्रेमी... अब करलो जीवन भर जेल मे अइयाशी

औरैया केस प्रगति और दिलीप: ऐसी लड़कियों से बचकर रहें। जो पहले से किसी प्रेम प्रंसग में लिप्त हो और ये भी पता करें कि कोई...
26/03/2025

औरैया केस प्रगति और दिलीप: ऐसी लड़कियों से बचकर रहें। जो पहले से किसी प्रेम प्रंसग में लिप्त हो और ये भी पता करें कि कोई जोर जबरदस्ती से शादी तो नहीं कराई जा रही है.... वरना यही सब देखने को मिलता है ।

दिल्ली में एक अनोखा और दिलचस्प वाकया सामने आया जब एक महिला ने अपनी यात्रा के दौरान अपनी सूझ-बूझ और साहस का परिचय दिया। व...
26/03/2025

दिल्ली में एक अनोखा और दिलचस्प वाकया सामने आया जब एक महिला ने अपनी यात्रा के दौरान अपनी सूझ-बूझ और साहस का परिचय दिया। वह महिला अपनी बेटी, मां और दादी के साथ कैब में यात्रा कर रही थी, जब अचानक ड्राइवर की तबीयत खराब हो गई। इस अप्रत्याशित स्थिति में, महिला ने घबराए बिना ड्राइवर की सीट पर बैठकर खुद कार चलानी शुरू कर दी। महिला का यह कदम न केवल साहसिक था, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि अगर स्थिति पर काबू पाया जाए, तो किसी भी मुश्किल को आसानी से हल किया जा सकता है।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें महिला को ड्राइवर की सीट पर बैठे हुए और गाड़ी चला रहे देखा गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि ड्राइवर की तबीयत खराब होने के बाद वह पीछे की सीट पर आराम से बैठे हुए थे, जबकि महिला गाड़ी चला रही थी। महिला का यह कदम एक सामान्य परिस्थिति से बाहर था, और यह दर्शाता है कि वह इस स्थिति को लेकर पूरी तरह से शांत और संजीदा थीं। महिला ने इस दौरान मजाक में कहा, "किराए का 50% हिस्सा रखूंगी," जो उनके हंसी मजाक वाले स्वभाव को भी दर्शाता है।

महिला की यह प्रतिक्रिया न केवल उसके साहस को उजागर करती है, बल्कि यह यह भी बताती है कि उसने स्थिति को हल करने के लिए तुरंत और सही निर्णय लिया। ड्राइवर की तबीयत खराब होने पर कोई भी सामान्य यात्री घबराहट या डर महसूस कर सकता था, लेकिन महिला ने खुद को पूरी तरह से नियंत्रित रखा और सिचुएशन को संभाल लिया। यह घटना हमें यह सिखाती है कि संकट की स्थिति में शांति और समर्पण से काम लेना कितनी महत्वपूर्ण बात है।

महिला ने इस स्थिति को हल करने के दौरान जो मजाक किया, वह उसकी मानसिक स्थिति को भी दर्शाता है। उसने ना केवल जिम्मेदारी निभाई, बल्कि अपने सेंस ऑफ ह्यूमर से माहौल को हल्का भी किया। यह हमें यह भी सिखाता है कि कभी-कभी मुश्किल परिस्थितियों को हल करने के दौरान अगर थोड़ी हंसी-मज़ाक भी हो, तो तनाव कम हो सकता है और स्थिति और भी सहज हो सकती है।

इस घटना ने यह भी साबित किया कि एक महिला कितनी बहादुर और जिम्मेदार हो सकती है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो। दिल्ली जैसी भीड़-भाड़ वाली और व्यस्त जगह पर, जहां ट्रैफिक का दबाव हमेशा होता है, गाड़ी चलाना कोई आसान काम नहीं है। फिर भी महिला ने इस परिस्थिति को बहुत ही सही तरीके से संभाला, और यह इस बात का प्रतीक है कि संकट की घड़ी में भी सही निर्णय और साहस से काम लिया जा सकता है।

इस वाकये ने यह भी दिखाया कि आजकल महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वे किसी भी परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारी निभा सकती हैं और कठिन से कठिन काम भी आसानी से कर सकती हैं। महिला का यह कदम न केवल उसकी साहसिकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी हमें यह संदेश देता है कि जीवन में कभी भी अनपेक्षित परिस्थितियां सामने आ सकती हैं, लेकिन अगर सही मानसिकता और समझदारी से काम लिया जाए, तो हर समस्या का समाधान संभव है।

यह व्यक्ति जस्टिस कर्णन है जो कोट पहनकर फिल्मी स्टाइल में घूमता है। चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन। वह न्यायालय की अवमानन...
26/03/2025

यह व्यक्ति जस्टिस कर्णन है जो कोट पहनकर फिल्मी स्टाइल में घूमता है। चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन। वह न्यायालय की अवमानना ​​के लिए छह महीने की जेल की सजा काटकर बाहर आ रहे हैं। कर्णन कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। वह मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। वहां के पहले दलित न्यायाधीश। वह न्यायाधीश रहते हुए जेल की सजा काटने वाले पहले न्यायाधीश भी हैं। अब उनके बारे में बात करने की वजह भी है। 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा था। एक पत्र जिसमें 20 न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार की जानकारी थी। यह पत्र एक बड़ा विवाद बन गया। इससे संवैधानिक संकट पैदा हो गया। इतिहास में पहली बार किसी मौजूदा न्यायाधीश ने दूसरे न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। केंद्र सरकार इस पत्र को जारी करने के लिए तैयार नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​का मामला दर्ज किया। न्यायमूर्ति कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कुछ अन्य न्यायाधीशों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला जीत लिया। उन्होंने छह महीने की जेल की सजा काटी। उस समय उनका विरोध करने वालों ने कहा था कि वे पागल हैं। लेकिन अब जब एक जज के घर से करोड़ों रुपए का काला धन बरामद हुआ है, तो यह स्पष्ट हो गया है कि कर्णन सही थे।

न्यायपालिका को न्यायालय के अलावा कोई और नहीं सुधार सकता। जस्टिस कर्णन की ओर से यह एक विनम्र प्रयास था। हमारे पास यह उम्मीद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि ऐसे और भी जज होंगे।

साभार

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