Drive with sumit

Drive with sumit I am Sumit Kumar from kanpur, Uttar Pradesh, India, managing this page on complete car driving training, tips and tricks

इन चार गाडीओं मे से सबसे पहले किसको रास्ता देना चाहिए ll
10/10/2024

इन चार गाडीओं मे से सबसे पहले किसको रास्ता देना चाहिए ll

क्या आप जानते हो तो!!
07/10/2024

क्या आप जानते हो तो!!

जो लोग एक बार ऊंचाइयों को छू लेने के बाद में घमंड करने लगते हैं उन लोगों को इस गाड़ी से सीख लेनी चाहिए। एक समय था जब इस ...
22/09/2024

जो लोग एक बार ऊंचाइयों को छू लेने के बाद में घमंड करने लगते हैं उन लोगों को इस गाड़ी से सीख लेनी चाहिए। एक समय था जब इस गाड़ी के लोग बहुत ज्यादा दीवाने हुआ करते थे। हम जैसे गांव में रहने वाले लोगों के लिए इस गाड़ी को खरीदना एक सपना हुआ करता था और यह गाड़ी हमारे यहां बहुत ज्यादा चलती थी। लेकिन शायद ऐसी गाड़ी को बनाने वाली कंपनी ने इतनी ज्यादा ऊंचाइयों को छूने के बाद में अपने ग्राहकों की पसंद का उतना ज्यादा ख्याल नहीं रखा जितना उनको रखना चाहिए था। जिसकी वजह से धीरे-धीरे यह गाड़ी लोगों की पसंद से हटती गई और अब अक्सर यह लोगों के घर के बाहर जर खाती हुई मिल जाती है। ठीक इसी प्रकार जो लोग अपनी सफलता को पाकर सब कुछ भूलने लगते हैं उनका भी यही हसर होता है।

भारत की सबसे महान ज्ञाण्डू मोटरसाइकिल। इसपर किसी को चढ़ा हुआ देख लेता हूँ तो उसे LGTV कंपनी का सिपाही मान लेता हूँ।
21/09/2024

भारत की सबसे महान ज्ञाण्डू मोटरसाइकिल। इसपर किसी को चढ़ा हुआ देख लेता हूँ तो उसे LGTV कंपनी का सिपाही मान लेता हूँ।

कार के अंदर लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा रखने से कई फायदे हो सकते हैं:*लकड़ी का डंडा:*1. *आपातकालीन स्थिति में दरवाजा तोड़...
18/09/2024

कार के अंदर लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा रखने से कई फायदे हो सकते हैं:

*लकड़ी का डंडा:*

1. *आपातकालीन स्थिति में दरवाजा तोड़ने के लिए*: अगर कार में आप फंस जाते हैं और दरवाजा नहीं खुलता है, तो लकड़ी का डंडा दरवाजे को तोड़ने में मदद कर सकता है।
2. *सुरक्षा के लिए*: लकड़ी का डंडा आत्मरक्षा के लिए भी उपयोगी हो सकता है।
3. *कार को धक्का देने के लिए*: अगर कार खराब हो जाती है और धक्का देने की जरूरत है, तो लकड़ी का डंडा मदद कर सकता है।

*लाल कपड़ा:*

1. *आपातकालीन स्थिति में संकेत देने के लिए*: लाल कपड़ा आपातकालीन स्थिति में संकेत देने के लिए उपयोगी हो सकता है, जैसे कि कार खराब होने पर।
2. *दृश्यता बढ़ाने के लिए*: लाल कपड़ा दृश्यता बढ़ाने में मदद कर सकता है, जैसे कि रात में या धुंधले मौसम में।
3. *संकेत देने के लिए*: लाल कपड़ा अन्य वाहन चालकों को संकेत देने के लिए उपयोगी हो सकता है, जैसे कि कार को ओवरटेक करने के लिए।

*मुसीबत में काम:*

1. *एक्सीडेंट की स्थिति में*: लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा एक्सीडेंट की स्थिति में मदद कर सकते हैं।
2. *कार खराब होने पर*: लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा कार खराब होने पर मदद कर सकते हैं।
3. *आपातकालीन स्थिति में*: लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा आपातकालीन स्थिति में मदद कर सकते हैं।
"कार के अंदर लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा रखने से क्या फायदे हो सकते हैं?

लकड़ी का डंडा आपातकालीन स्थिति में दरवाजा तोड़ने, सुरक्षा के लिए, और कार को धक्का देने के लिए उपयोगी हो सकता है।

लाल कपड़ा आपातकालीन स्थिति में संकेत देने, दृश्यता बढ़ाने, और संकेत देने के लिए उपयोगी हो सकता है।

कार के अंदर लकड़ी का डंडा और लाल कपड़ा रखना एक अच्छा विचार है!

"



कृपया आखिरी तस्वीर न देखें 😂Please don't see the last picture 😂Photo Credit : Chemistry FB Page
18/09/2024

कृपया आखिरी तस्वीर न देखें 😂
Please don't see the last picture 😂

Photo Credit : Chemistry FB Page

Brand new Baleno 2024 ऐसे खड़ी रहती है आपकी ड्रीम कार कम्पनी मे 😳
15/09/2024

Brand new Baleno 2024 ऐसे खड़ी रहती है आपकी ड्रीम कार कम्पनी मे 😳

कोडक कंपनी याद है? 1997 में, कोडक के पास लगभग 160,000 कर्मचारी थे।और दुनिया की लगभग 85% फोटोग्राफी कोडक कैमरों से की जात...
06/09/2024

कोडक कंपनी याद है? 1997 में, कोडक के पास लगभग 160,000 कर्मचारी थे।
और दुनिया की लगभग 85% फोटोग्राफी कोडक कैमरों से की जाती थी। पिछले कुछ सालों में मोबाइल कैमरों के उदय के साथ, कोडक कैमरा कंपनी मार्केट से बाहर हो गई है। यहाँ तक कि कोडक पूरी तरह से दिवालिया हो गई और उसके सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया।

उसी समय कई और मशहूर कंपनियों को अपने आप को रोकना पड़ा। जैसे

HMT (घड़ी)
BAJAJ (स्कूटर)
DYANORA (TV)
MURPHY (रेडियो)
NOKIA (मोबाइल)
RAJDOOT (बाइक)
AMBASSADOR (कार)

उपरोक्त कंपनियों में से किसी की भी गुणवत्ता खराब नहीं थी। फिर भी ये कंपनियाँ बाहर क्यों हो गईं? क्योंकि वे समय के साथ खुद को बदल नहीं पाईं।

वर्तमान क्षण में खड़े होकर आप शायद यह भी न सोचें कि अगले 10 सालों में दुनिया कितनी बदल सकती है! और आज की 70%-90% नौकरियाँ अगले 10 सालों में पूरी तरह से खत्म हो जाएँगी। हम धीरे-धीरे "चौथी औद्योगिक क्रांति" के दौर में प्रवेश कर रहे हैं।

आज की मशहूर कंपनियों को देखिए-

UBER सिर्फ़ एक सॉफ्टवेयर का नाम है। नहीं, उनके पास अपनी कोई कार नहीं है। फिर भी आज दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी-फ़ेयर कंपनी UBER है।

Airbnb आज दुनिया की सबसे बड़ी होटल कंपनी है। लेकिन मज़ेदार बात यह है कि दुनिया में उनके पास एक भी होटल नहीं है।

इसी तरह, Paytm, Ola Cab, Oyo rooms आदि जैसी अनगिनत कंपनियों के उदाहरण दिए जा सकते हैं।

आज अमेरिका में नए वकीलों के लिए कोई काम नहीं है, क्योंकि IBM Watson नामक एक कानूनी सॉफ्टवेयर किसी भी नए वकील से कहीं बेहतर वकालत कर सकता है। इस प्रकार अगले 10 सालों में लगभग 90% अमेरिकियों के पास कोई नौकरी नहीं होगी। शेष 10% बच जाएँगे। ये 10% विशेषज्ञ होंगे।

नए डॉक्टर भी काम पर जाने के लिए बैठे हैं। Watson सॉफ्टवेयर कैंसर और दूसरी बीमारियों का पता इंसानों से 4 गुना ज़्यादा सटीकता से लगा सकता है। 2030 तक कंप्यूटर इंटेलिजेंस मानव इंटेलिजेंस से आगे निकल जाएगा।

अगले 20 सालों में आज की 90% कारें सड़कों पर नहीं दिखेंगी। बची हुई कारें या तो बिजली से चलेंगी या हाइब्रिड कारें होंगी। सड़कें धीरे-धीरे खाली हो जाएंगी। गैसोलीन की खपत कम हो जाएगी और तेल उत्पादक अरब देश धीरे-धीरे दिवालिया हो जाएंगे।

अगर आपको कार चाहिए तो आपको उबर जैसे किसी सॉफ्टवेयर से कार मांगनी होगी। और जैसे ही आप कार मांगेंगे, आपके दरवाजे के सामने एक पूरी तरह से ड्राइवरलेस कार आकर खड़ी हो जाएगी। अगर आप एक ही कार में कई लोगों के साथ यात्रा करते हैं, तो प्रति व्यक्ति कार का किराया बाइक से भी कम होगा।

बिना ड्राइवर के गाड़ी चलाने से दुर्घटनाओं की संख्या 99% कम हो जाएगी। और इसीलिए कार बीमा बंद हो जाएगा और कार बीमा कंपनियाँ भी बाहर हो जायेंगी।

पृथ्वी पर ड्राइविंग जैसी चीजें अब नहीं बचेंगी। जब 90% वाहन सड़क से गायब हो जाएँगे, तो ट्रैफ़िक पुलिस और पार्किंग कर्मचारियों की ज़रूरत नहीं होगी।

जरा सोचिए, 10 साल पहले भी गली-मोहल्लों में STD बूथ हुआ करते थे। देश में मोबाइल क्रांति के आने के बाद ये सारे STD बूथ बंद होने को मजबूर हो गए। जो बच गए वो मोबाइल रिचार्ज की दुकानें बन गए। फिर मोबाइल रिचार्ज में ऑनलाइन क्रांति आई। लोग घर बैठे ऑनलाइन ही अपने मोबाइल रिचार्ज करने लगे। फिर इन रिचार्ज की दुकानों को बदलना पड़ा। अब ये सिर्फ मोबाइल फोन खरीदने-बेचने और रिपेयर की दुकानें रह गई हैं। लेकिन ये भी बहुत जल्द बदल जाएगा। Amazon, Flipkart से सीधे मोबाइल फोन की बिक्री बढ़ रही है।

पैसे की परिभाषा भी बदल रही है। कभी कैश हुआ करता था लेकिन आज के दौर में ये "प्लास्टिक मनी" बन गया है। क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का दौर कुछ दिन पहले की बात है। अब वो भी बदल रहा है और मोबाइल वॉलेट का दौर आ रहा है। पेटीएम का बढ़ता बाजार, मोबाइल मनी की एक क्लिक।

जो लोग उम्र के साथ नहीं बदल सकते, उम्र उन्हें धरती से हटा देती है। इसलिए जमाने के साथ बदलते रहें।

बढ़िया कंटेंट बनाते रहें, वक्त के साथ चलते रहें।

Car का नाम बताओ guysकौन कौन यह भी फीचर चाहता है?
06/09/2024

Car का नाम बताओ guys

कौन कौन यह भी फीचर चाहता है?

Sorry teacher... Happy teachers day
05/09/2024

Sorry teacher... Happy teachers day

समय का चक्र देखिये ll वक़्त कभी के जैसा नही रहता ll   जो कभी भारतीय सड़कों की शान हुआ करती थी आज उसका क्या हाल हो गया     ...
04/09/2024

समय का चक्र देखिये ll वक़्त कभी के जैसा नही रहता ll

जो कभी भारतीय सड़कों की शान हुआ करती थी आज उसका क्या हाल हो गया

एक शहर में सोनू नाम का एक लड़का सड़क पर पानी की बोतल बेच रहा था। वह चौराहे पर खड़ा हो जाता और जो भी लाल बत्ती पर गाड़ी र...
03/09/2024

एक शहर में सोनू नाम का एक लड़का सड़क पर पानी की बोतल बेच रहा था। वह चौराहे पर खड़ा हो जाता और जो भी लाल बत्ती पर गाड़ी रुकती उसे पानी की बोतल दिखा कर बेचने की कोशिश करता। कोई खरीद लेता कोई मना कर देता था।

शाम तक उसकी सारी बोतल बिक जाती हैं केवल दो बोतल उसके पास बची थीं। वह अभी भी गाड़ियों के बीच में बोतल बेचने के लिये घूम रहा था रात हो चली थी। तभी एक चमचमाती बड़ी सी कार आकर रुकी।

सोनू दौड़ कर गाड़ी के पास गया। गाड़ी में शालीन सी महिला बैठी थीं। उन्होंने सोनू से बोतल ले ली और उसे पैसे दे दिये। लेकिन पैसे खुले न होने के कारण सोनू इधर उधर भागता रहा कि कहीं से पांच सौ रुपये के खुले मिल जायें, लेकिन पैसे न मिल सके।

इसी बीच लाईट ग्रीन हो जाती है और गाड़ी चल देती है। सोनू गाड़ी के पीछे भागता है लेकिन गाड़ी जल्दी से निकल जाती है। सोनू पांच सौ का नोट हाथ में पकड़े खड़ा रह जाता है।

तभी उसके साथ सामान बेचने वाला कल्लन उसके पास आता है –

कल्लन: क्यों बे आज तो लंबा हाथ मारा है। चल पार्टी देदे कम से कम एक चाय तो पिला दे।

सोनू: इसमें सिर्फ बीस रुपये मेरे हैं बाकी के वापिस करने थे। कभी ये गाड़ी दुबारा दिखेगी तो वापिस कर दूंगा।

कल्लन: अबे पागल है क्या? कोई पैसे वापस करता है और जिन्हें तू वापस करने की सोच रहा है उन्हें याद भी नहीं होगा।

लेकिन सोनू नहीं मानता वह पानी की एक बची बोतल को अपने थर्माकोल के डिब्बे में डाल कर घर की ओर चल देता है।

घर पहुंच कर देखता है उसकी मां रमावती भी काम से वापस आ चुकी थी। रमावती घरों में काम करती थी।

सोनू: मां आज एक गाड़ी वाले ने पांच सौ का नोट दिया इससे पहले मैं पैसे वापस देता गाड़ी चली गई।

रामवती: कोई बात नहीं बेटा। कभी वो गाड़ी दिखे तो वापिस कर देना।

इसी तरह समय बीत रहा था। सोनू दिन भर पानी की बोतल बेचता था।

एक दिन उसे वही गाड़ी नजर आई वह दौड कर गाड़ी के पास गया।

औरत: नहीं बेटा आज पानी नहीं चाहिये।

सोनू: मालकिन मैं पानी की बात नहीं कर रहा उस दिन आपके पैसे रह गये थे। ये लो अपने चार सो अस्सी रुपये।

औरत: कौन से पैसे ?

सोनू: उस दिन आपने पानी की बोतल ली थी, मैं खुले पैसे लेने गया तब तक आपकी गाड़ी चली गई थी।

यह कहते हुए सोनू ने जल्दी से जेब से निकाल कर पैसे पकड़ा दिये।

औरत: ड्राईवर गाड़ी साईड में लगाओ। बेटा साईड में चल कर बात करते हैं।

गाड़ी से उतर कर उस औरत ने सोनू से पूछा –

औरत: बेटा तुम चाहते तो ये पैसे रख सकते थे। इन्हें वापस करने की क्या जरूरत थी।

सोनू: मालकिन हम अपनी मेहनत का खाते हैं। इसमें केवल बीस रुपये मेरे थे वो मैंने ले लिये।

औरत: चलो अब ये पैसे मैं तुम्हें दे रही हूं ये रख लो।

सोनू: नहीं ये मैं नहीं ले सकता। मां ने मना किया है।

सोनू की बातें सुनकर कविता जी सोच रहीं थी। इतनी गर्मी में पूरे दिन मेहनत करके भी इस लड़के में कितनी ईमानदारी भरी है।

कविता जी: बेटा तुम कहां रहते हो?

सोनू: वो सामने सड़क के पीछे कुछ झुग्गियां दिखाई दे रही हैं हम वहीं रहते हैं।

कविता जी ने कई बार पैसे देने की कोशिश की लेकिन सोनू ने पैसे नहीं लिये फिर कविता जी अपनी गाड़ी में बैठ कर चली गईं।

सोनू के चेहरे पर एक संतोष का भाव था। उसने सारी बात अपनी मां को बताई यह सुनकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

तब से जब भी कविता जी वहां से गुजरती सोनू से दो या तीन पानी की बोतल लेती जिससे उसकी मदद हो सके।

इसी तरह समय बीत रहा था।

कुछ दिन बाद कविता जी उधर से गुजरीं तो उन्हें सोनू कहीं दिखाई नहीं दिया।

जब कई दिनों तक सोनू नहीं दिखा। तो कविता जी ने एक दिल कल्लन को इशारे से बुलाया।

कल्लन: मालकिन पानी चाहिये क्या?

कविता जी: वो सोनू कहां है नजर नहीं आ रहा।

कल्लन: उसके साथ तो बहुत बुरा हुआ। उसकी मां मर गई। उसके मरने के बाद यहां के गुंडों ने उसकी झुग्गी पर कब्जा करके उसे भगा दिया।

कविता जी: लेकिन अब वो कहां मिलेगा।

कल्लन: वो तो पता नहीं उसे उन लोगों ने बहुत मारा था शायद किसी अस्पताल में पड़ा हो या मर भी गया हो।

यह सुनकर कविता जी की आंखे नम हो गईं। उन्होंने सारा काम छोड़ कर सोनू को ढूंढना शुरू किया। लेकिन उसका कहीं पता नहीं लगा। कल्लन की बात उनके दिमाग में घूम रही थी – ‘‘शायद मर भी गया हो’’।

इसी तरह कई महीने बीत गये सोनू का कोई पता नहीं लगा। कविता जी ने इसे भाग्य का खेल मान कर सब्र कर लिया। लेकिन सोनू की इमानदारी उन्हें आज भी झकझोर जाती थी। इतने इमानदार बच्चे के साथ इतना गलत नहीं होना चाहिये था।

एक दिन कविता जी कहीं जा रहीं थी। तो उन्होंने देखा सड़क के किनारे एक बच्चा बैठ कर भीख मांग रहा था – उसका एक पैर कटा हुआ था। पास ही में एक टूटी बैसाखी रखी थी। पहले तो कविता जी ने उसे अनदेखा कर दिया, लेकिन ध्यान से देखने पर उन्होंने पाया कि यह तो सोनू है।

फटाफट गाड़ी रुकवा कर वो उसके पास गईं। उन्हें देख कर सोनू रोने लगा।

कविता जी: बेटा ये सब कैसे हुआ और तू भीख क्यों मांग रहा है।

सोनू: मालकिन इमानदारी सब मां के साथ चली गई। मेरी झुग्गी पर कब्जा हो गया उनका विरोध करने की सजा पैर देकर चुकानी पड़ी। अब तो मेरे पास कुछ नहीं है। इसलिये भीख मांग रहा हूं।

कविता जी की आंखे भी नम हो गईं।

कविता जी: कौन कहता है तेरी मां के साथ इमानदारी चली गई। तेरी मां ने जो सिखाया उस इमानदारी की वजह से तू मेरे पैसे वापस करने आया। तभी मैं तुझे याद रख पाई, वरना यहां सैकड़ों बच्चे घूम रहे हैं। जिन्हें में जानती नहीं तेरी इमानदारी के कारण कई महीनों से तुझे ढूंढ रही हूं।

उनकी बातें सुनकर सोनू सिर्फ रो रहा था। हसता मुस्कुराता बच्चा अब जिन्दगी से मायूस और निराश दिख रहा था।

कविता जी उसे अपने घर ले गईं। उसे न केवल अपने घर में रखा बल्कि उसके लिये एक पैर भी बनवाया अब सोनू भी और बच्चों की तरह चल सकता था। सोनू को उन्होंने अपना बेटा बना लिया था। अब वह स्कूल जाता था।

एक दिन उसी चौराहे पर कविता जी की गाड़ी रुकी। तभी कल्लन दौड़ता हुआ पानी की बोतल लेकर आया। पास में बैठे सोनू को देख कर वह चौक गया।

सोनू कार से उतरा और कल्लन को गले लगाया।

सोनू: कल्लन ये वही चार सो अस्सी रुपये की इमानदारी है। जिसे तू पार्टी में उड़ाना चाहता था।

कुछ ही देर में लाईट ग्रीन हो गई –

सोनू गाड़ी में बैठ कर कविता जी के साथ चला गया।

आपको ये कहानी कैसी लगी कमेंट मे जरूर बताएं

और फॉलो ज़रूर करें 🙏🙏

Address

Kanpur

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Drive with sumit posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Drive with sumit:

Share