24/04/2025
🔲सिंधु जल संधि क्या है? इसके रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा
◼️भारत ने 1960 में लागू हुई सिंधु जल संधि (इंडस वॉटर ट्रीटी) को पहली बार निलंबित कर दिया है, जिसके दूरगामी भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।
◼️यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद उठाया गया, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की जान ले ली।
◼️यह हमला मुंबई 26/11 के बाद सबसे भीषण नागरिक हमला माना जा रहा है।
◼️इस निर्णय के तहत भारत ने कूटनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी कई अहम कार्रवाइयां की हैं, जिनमें अटारी-वाघा सीमा को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं रद्द करना, और भारत में तैनात पाकिस्तानी सैन्य व राजनयिक कर्मियों को निष्कासित करना शामिल है।
🔲सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) क्या है?
◼️सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता और गारंटी में हस्ताक्षर हुए थे।
◼️यह संधि सिंधु नदी प्रणाली की जल-साझेदारी के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करती है, जिसमें छह प्रमुख नदियाँ शामिल हैं: सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज।
🔲नदियों का विभाजन
◼️पूर्वी नदियाँ: सतलुज, ब्यास, रावी – भारत को पूर्ण उपयोग का अधिकार प्राप्त है।
◼️पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम, चिनाब – पाकिस्तान को आवंटित, परंतु भारत को सीमित गैर-उपभोग उद्देश्यों (जैसे जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई, नौवहन) हेतु प्रयोग की अनुमति है।
🔲निलंबन के परिणाम
◼️भारत को रणनीतिक बढ़त – अब भारत को जल परियोजनाओं पर पाकिस्तान को सूचित करने या सहयोग करने की बाध्यता नहीं रहेगी।
◼️पाकिस्तान के लिए जल सुरक्षा संकट – पाकिस्तान की कृषि का 80% से अधिक सिंधु जल पर निर्भर है, इसलिए किसी भी बाधा से भारी आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं।
◼️क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका – यह संधि दशकों तक सहयोग का प्रतीक रही है। इसका निलंबन तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर यदि पाकिस्तान प्रतिशोध या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की राह अपनाता है।