पंच मत उद्घोष

पंच मत उद्घोष English language expert, editor, motivational speaker, writer,orator ,talk show organiser, keen
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I m basically an English Teacher with a keen interest in cultural, religious, social, historical and day to day activities of People. The purpose of this page is to show the culture,of Karauli and elsewhere with a view to create social harmony and aquaint the younger generation with many things which they don't know.

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विशुद्ध प्रेम की अधिष्ठात्री हैं कृष्ण चेतना  'राधा 'आज राधाष्टमी है। आज के दिन हम उनका स्मरण करते हैं जिन्होंने निर्मल ...
31/08/2025

विशुद्ध प्रेम की अधिष्ठात्री हैं कृष्ण चेतना 'राधा '

आज राधाष्टमी है। आज के दिन हम उनका स्मरण करते हैं जिन्होंने निर्मल प्रेम की अन्यत्र अप्राप्य मिसाल प्रस्तुत की।

श्री राधा जी को हम श्री कृष्ण की बाल सखी और मित्र के रूप में जानते हैं। राधा वल्लभ सम्प्रदाय, गौडीय वैष्णव संप्रदाय , निंबार्क सम्प्रदाय व अन्य भक्ति मार्गों में राधा को कृष्ण की चेतना और स्वामिनी मानकर पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग श्री राधे जू के चरणों में सर्वस्व समर्पण करके प्रशस्त हो जाता है।

श्री राधा - कृष्ण का निष्काम प्रेम और उत्कट समर्पण युक्त मित्र भाव भारत वर्ष में हजारों वर्ष पूर्व प्रचलित स्त्री -पुरुष के विवाह से इतर निर्मल संबंधों को रेखांकित करता है। स्त्री और पुरुष के मध्य पति - पत्नी , पिता - पुत्री, भाई - बहिन आदि के प्रचलित दायरे से बाहर भी प्रेम और विश्वास के संबंध संभव है यह अनोखा उदाहरण हमें श्री राधा कृष्ण के निष्पाप आत्मीय प्रेम में देखने को मिलता है। प्रेम के इस स्तर पर पहुंचने के बाद वासना विलुप्त हो जाती है और व्यक्ति को परमात्मा की दिव्यानुभूति होती है।किन्तु ये श्रेष्ठ भाव समर्पण पर आधारित हैं। क्षुद्र जीव इसे नहीं समझ सकते। हमें शरीर के धरातल से ऊपर उठकर परम प्रेम के अशरीरी तल को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

भारतीय मनीषा ने सीता - राम , राधे -श्याम आदि के चरित्रों से बार बार यह बताने की कोशिश की है कि स्त्री भोग्या हर्गिज नहीं है। स्त्री पुरुष की चेतना है और उसे उत्तम गति प्रदान कर वाने वाली है।
जय श्री राधे।

तुलसी दास मुद्गल "पंच"
करौली ( राजस्थान)

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