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इतने आलू कहीं आलू से सोना बनाने वाली तो नहीं   #चिप्स  #आलू   😀😀😀😀
22/07/2025

इतने आलू कहीं आलू से सोना बनाने वाली तो नहीं
#चिप्स #आलू 😀😀😀😀

ये भी एक पत्नी की कहानी है।😭हाथ और साथ पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे लोगों का आना जाना अब बन्द हो गया था। वह अके...
22/07/2025

ये भी एक पत्नी की कहानी है।😭
हाथ और साथ
पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे लोगों का आना जाना अब बन्द हो गया था।
वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया था कि अचानक उसे पत्नी का लिखा पत्र मिला।
पत्र में लिखा था
प्रिय पतिदेव
मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है। वो भी अंतिम स्टेज में चल रहा है। मैं यह भी जानती हुँ।
कि मेरे पास अब बहुत कम दिन बचे हैं। मुझे यह भी पता है कि आपने मेरे इलाज में अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी है सारे गहने बिक चुके हैं कितनी मेहनत से बचत कर के जो प्लॉट हमने खरीदा था वह भी मेरी बीमारी की भेंट
चढ़ चुका है। ये सारी बातें मुझे नही बताओगे
तो क्या मुझे पता नही चलेगा।
आपकी अर्धांगिनी हूँ। जिंदगी के 12 साल आपके
साथ गुजारे हैं आपके चेहरे को पढ़कर जान जाती हूँ
आप किस हालत में हो। मगर मेरी मजबूरी तो देखिए
मैं आपके आंसू भी नही पोंछ सकती।
आप अकेले में जब रोते हो तब छुप कर देखती हूँ
फिर खुद भी रोती हूँ। कमबख्त जिंदगी हमे किस
मोड़ पर ले आई है। एक दूसरे का दर्द भी नही
बाँट सकते। आंसू भी नही पोंछ सकते।
आप समझते हैं आपको रोते देख कर मैं कमजोर पड़ जाऊंगी, इधर मैं नही चाहती आप कमजोर पड़े।
कितनी बेगानी हो गई हूं न मैं?
आपकी उदासी का कारण भी नही पूछ सकती।
आज कल सब जान पहचान वाले मिलने आ रहे हैं।
शायद अब मैं एक दो दिन की मेहमान हूँ।
शायद मेरी यात्रा पूरी हो चुकी है।
ये कैसा बुलावा है जिसका मुझे पहले से पता है।
मुझे मरने से डर नही लगता।
डर लगता है आप कैसे सह पाओगे मेरी जुदाई ?
शाम को घर आते ही मुझे तलाश करते हो।
मगर अब मैं घर में नही मिलूंगी।
कलेजा मजबूत कर लेना ,जानती हूं बहुत मुश्किल होगा आपके लिए मुझे भुलाना।
दो दिन मायके चली जाती हूँ तो पीछे पीछे चले आते हो। अब तो हमेशा के लिए बुलावा आ गया है।
हाथ और साथ दोनों छोड़ कर जा रही हूँ।
मगर आप हिम्मत मत हारना बच्चे अभी बहुत छोटे हैं
उनसे कहना मम्मी भगवान के पास गई है। जल्दी
लौट कर आएगी।
मेरे चले जाने के बाद बिल्कुल भी मत रोना ।
कलेजे को पत्थर कर लेना ।
आप मुझसे कहा करते थे ना कि मैं बहुत डरपोक हूँ
बात बात पर रो पड़ती हूँ ,अब देखो ना आपकी
पत्नी कितनी मजबूत हो गई है
दुनिया से विदा होने वाली है, रात दिन दर्द को लेकर जी रही है। मगर एक बार भी नही रोई ।
सफर बहुत छोटा रहा, मगर क्या करूँ अब साथ
नही दे पाऊंगी।
इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया
मेरे सारे नखरे उठाने के लिए शुक्रिया
मुझे टूट कर चाहने के लिए शुक्रिया।
जानती हूं आपको मेरी लत लगी हुई है भुलाना
बहुत मुश्किल है। मगर आपको खुद को सम्भालना
ही होगा। मैं रोज आसमान से देखा करूँगी।
टाइम पर नहाना, टाइम पर खाना खा लेना।
क्योंकि आपको ये सब याद दिलाने के लिए आपकी
पत्नी अब नही होगी।
अब मैं ना रहूँगी, अब आलस करना छोड़ देना
जब तक मैं थी आप घर की हर चिंताओं से मुक्त थे
दोनों बच्चों की तरह आपका भी ख़याल रखना पड़ता था मगर अब आप बच्चा बनना छोड़ देना ।
अब रूठना छोड़ देना क्योंकी आपको मनाने के लिए अब आपकी पत्नी नही रहेगी
अब टूटना भी छोड़ देना क्योंकि आपकी हिम्मत बंधाने के लिए आपकी पत्नी नही होगी
अय जिंदगी तेरे सफर में इतने गम क्यों है ।
जो जीना ही नही चाहते उनकी तू बहुत लंबी है
मगर जो जीना चाहते है उनकी सांसे इतनी कम क्यों है अय जिंदगी
अब और नही लिखा जाता, हाथों में दम बिल्कुल भी नही है फिर भी लिख रही हूँ
आप दो दिन से सोये नही थे इसलिए आज गहरी नींद में सो रहे हो। मुझे लिखने का वक़्त मिल गया।
मगर अब मैं लिखना बन्द करके आपको थोड़ा सा निहारना चाहती हूँ। पता नही सुबह उठूं या ना उठूं।
आज आखरी बार आपके हाथों का तकिया बना कर
सोना चाहती हूँ
आपके सीने से कान लगाकर आपकी धड़कनो में खोना चाहती हूं।
#स्टोरी #कहानी #कहानीवाला #कहानीकार #लेखक

22/07/2025

मार्मिक अपील: पत्नी बीमार चार्टेड अकाउंटेंट पति को आश्रम में छोड़कर सदा के लिए चली गई 😳😭😭😭😭
पांच कोठी,खुद CA, तीस लाख का पैकेज था कंपनी के लिए दिन रात काम करता था। ब्रेन हेमरेज हुआ कंपनी ने जो दिया वो पत्नी ने रख लिया और मेदांता अस्पताल में एडमिट करवाने के नाम पर घर से लेकर चली और एक आश्रम में छोड़ आई। जिक्र करते हुए बताया कि संस्था के अथक प्रयास से माइंड पूरा काम कर रहा है और हाथ पैर अभी नहीं चल पाए। परंतु जिंदगी ने सीख बड़ी बहुत बड़ी दी है आपके मां बाप 25 साल तक जो पालते पोस्ते है ऐसे कोई आपकी सेवा नहीं कर सकता है। कुंवारे रहो मां बाप की, जीवो की अनाथ लोगो की कीड़े मकोड़ों की भूखे पयासो, निर्धन बीमार लोगो की सेवा करो। जीवन यही है न कंपनी है न पत्नी है न बच्चे पास है दुःख बहुत बड़ा है। इंसानियत नहीं तो कुछ भी नहीं इसलिए बच्चो को दबाव मत वो क्या बनेंगे उनकी किस्मत में क्या लिखा होगा । पत्नी आपका और आपके माता पिता को अलग तो नहीं कर देगी ये सब सवाल है। आप इस भाई को न्याय दिलाइए आप हर ग्रुप में शेयर करके इस भाई की अपील बनिए इस मुहिम में मैने अपना फर्ज अदा किया । क्या पता इसकी पत्नी लोगो की शर्म से जीवन में इसे दोबारा घर ले जाएं😭😭😭😭😭😭😭😭 plg share thid

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने दिया इस्तीफा
21/07/2025

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने दिया इस्तीफा

समझ लो यहीं विभाग है जहां आपकी गाड़ी कमाई जी कह कर भेंट की जाती है😀😀       #वायरल
21/07/2025

समझ लो यहीं विभाग है जहां आपकी गाड़ी कमाई जी कह कर भेंट की जाती है😀😀 #वायरल

आप क्या सोचते हो ? 🙏🙏🙏 दे अपनी बेबाक राय। धर्म के बिना शिक्षा का भी महत्व नहीं। क्योंकि उसमे दया नाम की ग्रंथि मर जाती ह...
20/07/2025

आप क्या सोचते हो ? 🙏🙏🙏 दे अपनी बेबाक राय। धर्म के बिना शिक्षा का भी महत्व नहीं। क्योंकि उसमे दया नाम की ग्रंथि मर जाती है।
#वायरल #टीचर #गुरू #कावड़ #हिंदू #हिंदुत्व #सावनस्पेशल #सावन #शिव #भोलेनाथ

 #रिसोर्ट_मे_विवाह नई सामाजिक बीमारी ??कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर...
17/12/2023

#रिसोर्ट_मे_विवाह नई सामाजिक बीमारी ??

कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है।
अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादियाँ होने लगी हैं। #शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है। #आगंतुक और मेहमान सीधे वहीं आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं।

जिसके पास चार पहिया वाहन है वही जा पाएगा। #दोपहिया वाहन वाले नहीं जा पाएंगे। बुलाने वाला भी यही स्टेटस चाहता है, और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है।
दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है।
किसको सिर्फ लेडीज संगीत में बुलाना है।
किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है।
किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है।
और किस परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है।
इस निमंत्रण में #अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है। सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है।

महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं।

मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे है। #मेहंदी में सभी को #हरी ड्रेस पहनना अनिवार्य है जो नहीं पहनता है उसे हीन भावना से देखा जाता है लोअर केटेगरी का मानते हैं

फिर #हल्दी की रस्म आती है, इसमें भी सभी को #पीला कुर्ता पाजामा पहनना अति आवश्यक है इसमें भी वही समस्या है जो नहीं पहनता है उसकी इज्जत कम होती है।

इसके बाद वर निकासी होती है, इसमें अक्सर देखा जाता है जो पंडित को दक्षिणा देने में 1 घंटे डिस्कशन करते है। वह #बारात प्रोसेशन में 5 से 10 हजार नाच गाने पर उड़ा देते हैं ।
इसके बाद रिसेप्शन स्टार्ट होता है। #स्टेज पर वरमाला होती है पहले लड़की और लड़के वाले मिलकर हंसी मजाक करके वरमाला करवाते थे। आजकल स्टेज पर #धुंए की धूनी छोड़ देते है।
दूल्हा-दुल्हन को अकेले छोड़ दिया जाता है, बाकी सब को दूर भगा दिया जाता है
और #फिल्मी स्टाइल में स्लो मोशन में वह एक दूसरे को वरमाला पहनाते है, साथ ही नकली आतिशबाजी भी होती है ।

स्टेज के पास एक स्क्रीन लगा रहता है, उसमें #प्रीवेडिंग सूट की वीडियो चलती रहती है।उसमें यह बताया जाता है की शादी से पहले ही लड़की लड़के से मिल चुकी है और कितने अंग प्रदर्शन वाले कपड़े पहन कर
कहीं चट्टान पर
कहीं बगीचे में
कहीं कुएं पर
कहीं बावड़ी में
कहीं श्मशान में कहीं नकली फूलों के बीच अपने परिवार की इज्जत को #नीलाम कर के आ गई है ।

प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरेगा।
जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की #उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है।
क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए है। मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है।
रस्म अदायगी पर मोबाइलों से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते है। सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते है।
और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है।
कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं
परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता।
वे अपना #अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते है।

हमारी #संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा ऐसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है।

मेरा अपने #मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है
आपका पैसा है ,आपने कमाया है। आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं, पर किसी दूसरे की देखा देखी नहीं।

कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान #सम्मान को खत्म मत करिएगा

जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा
4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है !

दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को #अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए!

अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, #स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !

धन्यवाद………… 🙏🙏🙏

18/07/2023

क्या सीमा हैदर ने सब को धोखा दिया है। Everyone

बाबा!मुझे उतनी दूर मत ब्याहनाजहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिरघर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हेमत ब्याहना उस देश मेंजहाँ आदमी स...
16/06/2023

बाबा!
मुझे उतनी दूर मत ब्याहना
जहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिर
घर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हे

मत ब्याहना उस देश में
जहाँ आदमी से ज़्यादा
ईश्वर बसते हों

जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँ
वहाँ मत कर आना मेरा लगन

वहाँ तो कतई नहीं
जहाँ की सड़कों पर
मान से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों मोटर-गाडियाँ
ऊँचे-ऊँचे मकान
और दुकानें हों बड़ी-बड़ी

उस घर से मत जोड़ना मेरा रिश्ता
जिस में बड़ा-सा खुला आँगन न हो
मुर्ग़े की बाँग पर होती नहीं हो जहाँ सुबह
और शाम पिछवाड़े से जहाँ
पहाड़ी पर डूबता सूरज न दिखे
मत चुनना ऐसा वर
जो पोचई और हड़िया में डूबा रहता हो अक्सर
काहिल-निकम्मा हो
माहिर हो मेले से लड़कियाँ उड़ा ले जाने में
ऐसा वर मत चुनना मेरी ख़ातिर

कोई थारी-लोटा तो नहीं
कि बाद में जब चाहूँगी बदल लूँगी
अच्छा-ख़राब होने पर

जो बात-बात में
बात करे लाठी-डंडा की
निकाले तीर-धनुष, कुल्हाड़ी
जब चाहे चला जाए बंगाल, असम या कश्मीर
ऐसा वर नहीं चाहिए हमें

और उसके हाथ में मत देना मेरा हाथ
जिसके हाथों ने कभी कोई पेड़ नहीं लगाए
फ़सलें नहीं उगाईं जिन हाथों ने
जिन हाथों ने दिया नहीं कभी किसी का साथ
किसी का बोझ नहीं उठाया

और तो और!
जो हाथ लिखना नहीं जानता हो ‘ह’ से हाथ
उसके हाथ मत देना कभी मेरा हाथ!

ब्याहना हो तो वहाँ ब्याहना
जहाँ सुबह जाकर
शाम तक लौट सको पैदल
मैं जो कभी दुख में रोऊँ इस घाट
तो उस घाट नदी में स्नान करते तुम
सुनकर आ सको मेरा करुण विलाप

महुआ की लट और
खजूर का गुड़ बनाकर भेज सकूँ संदेश तुम्हारी ख़ातिर
उधर से आते-जाते किसी के हाथ
भेज सकूँ कद्दू-कोहड़ा, खेखसा, बरबट्टी
समय-समय पर गोगो के लिए भी

मेला-हाट-बाज़ार आते-जाते
मिल सके कोई अपना जो
बता सके घर-गाँव का हाल-चाल
चितकबरी गैया के बियाने की ख़बर
दे सके जो कोई उधर से गुज़रते
ऐसी जगह मुझे ब्याहना!

उस देश में ब्याहना
जहाँ ईश्वर कम आदमी ज़्यादा रहते हों
बकरी और शेर
एक घाट पानी पीते हों जहाँ
वहीं ब्याहना मुझे!

उसी के संग ब्याहना जो
कबूतर के जोड़े और पंडुक पक्षी की तरह
रहे हरदम हाथ
घर-बाहर खेतों में काम करने से लेकर
रात सुख-दुख बाँटने तक
चुनना वर ऐसा
जो बजाता हो बाँसुरी सुरीली
और ढोल-माँदल बजाने में हो पारंगत

वसंत के दिनों में ला सके जो रोज़
मेरे जूड़े के ख़ातिर पलाश के फूल

जिससे खाया नहीं जाए
मेरे भूखे रहने पर
उसी से ब्याहना मुझे!

कवयित्री: निर्मला पुतल जी द्वारा लिखित रचना
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