12/07/2025
स्वामी विवेकानंद की जीवन यात्रा से रूबरू होंगे करनालवासी
करनाल: दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास, हरिद्वार की ओर से पद्मश्री शेखरसेन कृत नाटक स्वामी विवेकानंद का मंचन 19 जुलाई को सेक्टर पांच स्थित हैरिटेज लान में किया जाएगा। इस आयोजन में जेनिसिस क्लासिस सहयोगी की भूमिका में है। इस आयोजन में राष्ट्रीय सेवा भारतीय के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुधीर कुमार मुख्य अतिथि होंगे। जबकि मुख्य वक्ता दिव्य प्रेम सेवा मिशन के अध्यक्ष डा. आशीष गौतम होंगे। विशिष्ट अतिथि पूर्व आईएएस व नेक्सड आईएएस एवं मेड ईजी ग्रुप के सीएमडी श्री बालेंद्र सिंह होंगे। निवेदक जेनिसिस क्लासिज के प्रबंध निदेशक जितेंद्र अहलावत होंगे।
इस आयोजन को लेकर डा. आशीष गौतम व जितेंद्र अहलावत ने पत्रकारों से रूबरू होकर जानकारी सांझा की। डा. आशीष गौतम ने बताया कि पद्मश्री शेखर सेन का यह नाटक एकल अभिनय की दुनिया में मील का पत्थर है। पहले किसी भी युगपुरुष को जानना, उन पर नाटक लिखना और उसे आज के दर्शकों के हिसाब से तैयार कर प्रस्तुति देना राष्ट्र के प्रति समर्पण को दर्शाता है। पद्मश्री शेखर सेन का यह अभियान सदा चलते रहे, इसकी हम सब कामना करते हैं। शेखर सेन एक ऐसी सर्वमान्य विरली विभूति हैं, जिन्होंने कला की रंगभूमि पर अपनी विलक्षण प्रयोगधर्मिता और नवाचार की मिसाल क़ायम की है। लगभग चार दशकों की रंगयात्रा में शेखर ने सिद्धि और प्रसिद्धि के उन शिखरों को छुआ है, जहां वे मनुष्यता के लिए आदर्श मूल्यों की तलाश करते हैं। और इस तरह एक सभ्य, सुसंस्कृत, अनुशासित और मर्यादित समाज का सपना देखते हैं। शेखर सेन एक सांस्कृतिक अभियान पर निकले हुए हैं।
उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार के कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार स्थित कुष्ट रोगियों की सेवा करने वाली एक संस्था है। इसकी स्थापना सन् 1997 में की थी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के निवादा ग्राम में जन्मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ग्रहण करने वाले आशीष के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द हैं। अब सेवा कुंज नाम से विख्यात इस स्थान पर अपने कुछ नौजवान कर्मठ सहयोगियों के साथ आशीष अपने इस मिशन द्वारा कुष्ठ रोगियों व उनके बच्चों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा-संस्कार, स्वावलम्बन के कार्यक्रमों से उन्हें नवजीवन प्रदान कर उनमें जीवन के प्रति आशा व उल्लास का संचार तो कर ही रहे हैं, साथ ही वे सभ्य समाज में ई संवेदना को भी जगाने के प्रयास में निरंतर जुटे हैं।
चंडीघाट पर ही सेवा कुंज नामक परिसर में इस मिशन का अपना एक चिकित्सालय है, जिसे समिधा सेवार्थ चिकित्सालय के नाम से जाना जाता है। यहां पर प्रतिदिन झुग्गी-झोपड़ी, वनगुर्जरों के लगभग 70-80 सामान्य रोगी चिकित्सा का लाभ उठाते हैं। इस चिकित्सालय की एक शाखा सुश्रुत अल्सर केयर सेंटर भी है, जिसमें हर रोज लगभग 40-50 कुष्ठरोगियों के घावों की सफाई, आपरेशन व मरहमपट्टी सेवाव्रती कार्यकर्ताओं द्वारा निशुल्क की जाती है। यहीं पर इसके माध्यम से महिलाओं को हस्तनिर्मित कागज के विविध उत्पादों जैसे डायरी, फोल्डर, कैरी बेग, ग्रीटिंग कार्ड, मोबाइल स्टैण्ड सहित लगभग 80 प्रकार के उत्पादों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समाज में सेवा की भावना को जन-जन तक पहुंचाने तथा सेवा मिशन के अपने कार्यों को मिशन के सदस्यों तक पहुंचाने के लिए त्रै-मासिक पत्रिका सेवा ज्योति का प्रकाशन किया जा रहा है। लगभग 200 बच्चे प्रदीप वाटिका छात्रावास में स्वच्छ, स्वस्थ एवं अनुशासित जीवन जीते हैं, वहीं दूसरी तरफ दिव्य भारत शिक्षा मन्दिर में उन्हें भारतीय संस्कृति पर आधारित आध्यात्मिक एवं साथ ही व्यावहारिक शिक्षा संस्कार द्वारा भी उनके व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास का भगीरथ प्रयास किया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की जीवन यात्रा से रूबरू करवाता है नाटक-जितेंद्र अहलावत
जेनिसिस क्लासिस के प्रबंध निदेशक जितेंद्र अहलावत ने बताया कि 19 जुलाई को कार्यक्रम की समय अवधि तीन घंटे रहेगी। जो दोपहर साढ़े तीन बजे शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि यह नाटक स्वामी विवेकानंद की जीवन यात्रा को जिस रोचक संवाद, कुशल अभिनय, ध्वनि और प्रकाश के साथ ही संगीत की स्वरलहरियों और भजनों की गूंज से मंचित किया जाता है। मंचन के दौरान ऐसा आभास होगा कि दर्शक स्वामी विवेकानंद से ही संवाद कर रहे हों। पद्मश्री शेखर सेन की एक और खूबी यह है कि वे अपने किरदार का मेक-अप खुद ही करते हैं। किसी मेकअप कलाकार की सेवा नहीं लेते। लेखक, निर्देशक, गायक, संगीतकार और अभिनेता शेखर सेन हर बार एक नए रूप में दर्शकों के सामने आते हैं। शेखर सेन दुनिया भर में अपने एकल नाटकों की 1000 से अधिक प्रस्तुतियां दे चुके हैं। स्वामी विवेकानंद के विराट व्यक्तित्व के जीवन के अनगिनत जाने-अनजाने पहलुओं को दो घंटे के नाटक में पिरोना कोई आसान काम नहीं, लेकिन शेखर सेन ने इस नाटक के माध्यम से विवेकानंद के जीवन के उतार-चढ़ावों के साथ ही अपनी कला यात्रा को भी पूरी श्रेष्ठता से प्रस्तुत किया। स्वामी विवेकानंद के प्रोफेसर, पिता विश्वनाथ दत्त, मां भुवनेशवरी, मां शारदादेवी, रामकृष्ण परमहंस को निभाते हुए इस शेखरजी अकेले ही दर्शकों को पूरे दो घंटे तक बांधे रखते हैं।