14/11/2025
बाल दिवस पर ज्ञानोदय इंटर कॉलेज बेलवनिया, कुशीनगर में सृजनात्मक उत्सव विज्ञान और कला की प्रदर्शनी ने चमकाया दीप, बाल्यावस्था की मासूमियत और जिज्ञासा को समर्पित राष्ट्रीय बाल दिवस पर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के बेलवनिया स्थित ज्ञानोदय इंटर कॉलेज ने एक प्रेरणादायी आयोजन किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला यह दिवस न केवल बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के महत्व को उजागर करता है, बल्कि उनकी रचनात्मक क्षमताओं को निखारने का भी अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष का विशेष आकर्षण बाल दिवस के साथ विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का संयोजन रहा, जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का अनोखा प्रदर्शन किया। मुख्य अतिथि के रूप में सरस्वती ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के प्रबंधक एवं सामाजिक जनसेवक पवन दूबे जी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन पारंपरिक दीप प्रज्वलन और नेहरू जी के चित्र पर पुष्पार्चन से हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य फादर बैजू ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा, "बच्चों की कल्पना ही राष्ट्र के भविष्य की नींव है। यह आयोजन उनकी वैज्ञानिक सोच और कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने का माध्यम बनेगा।" मुख्य अतिथि पवन दूबे जी ने मंच से संबोधित करते हुए जोर दिया, "विज्ञान की खोज और कला की रचना से ही बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं। सरस्वती ग्रुप जैसे संस्थान ऐसे प्रयासों से जुड़कर ग्रामीण शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" उनके प्रेरक शब्दों ने सभागार में उपस्थित अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों में उत्साह का संचार कर दिया, जो 'चाचा नेहरू' के प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण की याद दिलाने वाले थे।
विज्ञान प्रदर्शनी का खंड छात्रों की नवीनतम सोच का आईना बन गया। कक्षा 3 से 12 तक के लगभग 72 प्रोजेक्ट के छात्र-छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और कृषि नवाचार जैसे विषयों पर आधारित 72 से अधिक मॉडल प्रस्तुत किए। एक छात्रा द्वारा विकसित सौर ऊर्जा आधारित जल शुद्धिकरण प्रणाली ने ग्रामीण जल संकट का व्यावहारिक समाधान दिखाया, जबकि एक अन्य मॉडल में AI-संचालित फसल निगरानी सिस्टम ने दर्शकों को आकर्षित किया। कुशीनगर की स्थानीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ये प्रोजेक्ट्स विशेष रूप से प्रासंगिक थे। पवन दूबे जी ने व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक मॉडल का अवलोकन किया, छात्रों से संवाद किया। यह प्रदर्शनी न केवल वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा देती है, बल्कि छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं से जोड़ती भी है।
कला प्रदर्शनी ने तो जैसे रंगों और कल्पना का जादू बिखेर दिया। कॉलेज परिसर की दीवारें चित्रकला, मूर्तिकला, हस्तशिल्प और थीम-आधारित पोस्टर्स से सज गईं। नेहरू जी के जीवन पर आधारित चित्रों से लेकर पर्यावरण जागरूकता पर लोक कला तक, छात्रों ने 35 से अधिक रचनाएं प्रदर्शित कीं। विशेष आकर्षण रहा 'बाल रंगमंच', जहां नाटक, लोकनृत्य, कविता पाठ और कव्वाली कव्वाली , संगीत प्रदर्शनों ने सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। एक छोटे कलाकार की कविता – "चाचा नेहरू, तुम्हारी मुस्कान में छिपा है सपनों का संसार, हमें उड़ान दो पंखों की, बनाएं नया भारत हम" – ने तालियों की बौछार कर दी। इन प्रदर्शनों ने बच्चों की भावनात्मक अभिव्यक्ति को उजागर किया, जो कला के माध्यम से सामाजिक संदेशों को प्रभावी ढंग से पहुंचाती हैं।
आयोजन में सरस्वती ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय प्रतिनिधि, अभिभावकगण और आसपास के विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक/ शिक्षिकाएँ एवं छात्र/छात्राएं भी उपस्थित रहे। उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को ऐसे आयोजनों के लिए बधाई दी और कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान-कला का यह संगम शिक्षा को सुलभ व रोचक बनाएगा।
ज्ञानोदय इंटर कॉलेज, जो बेलवनिया क्षेत्र में शिक्षा का एक मजबूत स्तंभ है, ने
इस आयोजन से अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। बाल दिवस का यह उत्सव न केवल बच्चों के लिए आनंद का स्रोत बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि सृजनशीलता और ज्ञान का मेल ही राष्ट्र के उज्ज्वल, कल का आधार है। नेहरू जी के शब्दों में, "बच्चे राष्ट्र के भविष्य के वास्तुकार हैं।" आज का यह कार्यक्रम उसी दर्शन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
इस कार्यक्रम के शुभ अवसर पर विद्यालय के समस्त अध्यापक/अध्यापिकाएं एवं छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।