14/10/2024
*शरद् पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।*
*सुख समृद्धि एवं लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए शरद् पूर्णिमा पर अपनी राशि के अनुसार करें यह उपाय।*
*नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए शरद् पूर्णिमा की रात्रि में 25 से 30 मिनट तक चन्द्रमा को देखे।*
जम्मू कश्मीर :- इस वर्ष सन् 2024 ई. शरद् पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार को है। शरद् पूर्णिमा के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि आश्विन मास की पूर्णिमा वर्षभर में आनेवाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। इसे शरद् पूर्णिमा कहा जाता है इस पूर्णिमा को शरदोत्सव,रास पूर्णिमा,कोजागर पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सुख,सौभाग्य, आयु ,आरोग्य और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए इस पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान,आत्म पूजा कर श्रीगणेश,लक्ष्मीनारायण और इष्टदेव का विशेष पूजन करें और रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही स्वयं भोजन करें । शरद् पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर बुधवार रात्रि 08 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगी जो 17 अक्टूबर गुरुवार को शाम 04 बजकर 56 मिनट तक रहेगी।ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। रात्रि आश्विन शरद् पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर बुधवार को होगा और दिवा पूर्णिमा व्रत 17 अक्टूबर गुरुवार को होगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था। इसलिए इसे 'रास पूर्णिमा' भी कहा जाता है। चंद्र देव अपनी 27 पत्नियों- रोहिणी, कृतिका आदि नक्षत्र के साथ अपनी पूरी कलाओं से पूर्ण होकर इस रात सभी लोकों पर शीतलता की वर्षा करते हैं। शरद् पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। शरद् पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है मान्यता है की शरद् पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है। जो स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होती है,इस रात लोग मान्यता के अनुसार प्रसाद के लिए मेवे डालकर खीर बनाएं और खुले में खीर बनाकर रखते हैं और चन्द्रमा की रोशनी खीर पर पड़े। अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं। फिर अगले दिन सुबह तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे।