
05/10/2023
आत्मविश्वास
कहानी 1 दिन में तो नहीं बनती मगर एक दिन जरूर बनती है। इसी प्रकार की कहानी में लेकर आया हूं। कहानी काल्पनिक जरूर है मगर अपनी जिंदगी और अपनी आत्मविश्वास को बनाए रखना यह कहानी सिखाती है।
कहानी शुरू होती है रामपुर नामक गांव में रामपुर गांव में किसान मोहनलाल रहता था इसका एक लड़का राजू जो 6 वर्ष का है और पढ़ने में बहुत अच्छा है। इसीलिए राजू रोज सुबह सबसे पहले अपने गांव की स्कूल में जाता था और वह स्कूल को अच्छी तरह दरवाजा खोलकर व्यवस्थित करता था फिर बच्चे आते थे। गांव के लोग बहुत समझदार और बुद्धिमान थे इसलिए वह स्कूल सरकारी होने के बावजूद भी अच्छा बड़ा था और शिक्षक अच्छे थे। राजू पढ़ने में बहुत होनहार बच्चा था इसलिए वह सभी शिक्षकों का प्रिय बच्चा था । "शिक्षा वह वस्तु है के सामान जिसे हम जितना प्राप्त करें उतना कम है "
शिक्षक गोपाल हमेशा की तरह अपने पीना लेक्चर कक्षा तीसरी में हिंदी का लेता था वह हिंदी पढ़ने में बहुत अच्छा शिक्षक था जितना वह पढ़ाता था। राजू अपना पूरा मन लगाकर हिंदी की कविताएं और अध्याय पढ़ता था।
कभी शिक्षक गोपाल एक हिंदी का अध्याय पढ़ते हैं । अध्याय का शीर्षक है " निश्चय ~एक आशा"
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शिक्षक गोपाल पढ़ते हैं की आशा नाम की लड़की पढ़ने में बहुत होशियार द किंतु बचपन में हुए दुर्घटना के कारण वह अपने पैरों पर चल नहीं सकती है। कहानी प्रारंभ होती है उसे हादसे के बाद आशा पुनः अपनी स्कूल प्रारंभ करती है वह व्हीलचेयर पर अपनी पढ़ाई करने के लिए स्कूल में आई थी।कई बच्चे आशा की
अपाहिज होने के कारण मजाक भी उड़ाते थे और उससे दूर भागते थे। किंतु आपकी काबिलियत और आपका बुद्धिमान आपको शारीरिक रूप से तो जरूर कमजोरी बन सकता है मगर मानसिक रूप से आपकी बुद्धि आपकी पहचान बनती है इसी प्रकार लड़की आशा अपनी क्लास की प्रथम विद्यार्थी और टॉपर विद्यार्थी थी धीरे-धीरे करके सभी बच्चों ने आशा के साथ मित्रता बनाए रखी और उन्हें अपनी क्लास और स्कूल जीवन का एक हिस्सा बना लिया । इसी प्रकार आशा अपनी बुद्धिमान और कुशल काबिलियत अपनी कक्षा और स्कूल की शिक्षा खत्म करली। स्कूल में तो संघर्ष से आशा ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। मगर जिंदगी की बहुत बड़ी परीक्षा कॉलेज की थी। जैसे स्कूल में आशा का मजाक तथा परेशान किया गया कॉलेज में उससे कई अधिक तरीके से आशा परेशान किया गया। लेकिन आसानी हमेशा की तरह खुद पर विश्वास रखा । अधिकतर बच्चे कॉलेज में अपनी पढाई से विचलित हो जाते हैं किंतु इसमें यही काबिलियत की जो उसे हमेशा पहले मुकाम पर ला खड़ा किया। कॉलेज में आशा की मुलाकात शांत और अच्छी दोस्त वर्षा के रूप में मिली वह भी पडाई में बहुत अच्छी थी । वर्षा ने हर वक्त आशा आशा का साथ दिया था । और आशा को बहुत आसान हो गया अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी करने में आशा के आसपास रहने वाले पड़ोसी सी आशा का मन उत्साह की जगह उन्हें बद्दुआ देते मानसिक रुप से कमजोर करने का काम करते थे। इस संसार के कष्ट और परेशानियों को सहन करते-करते आशा अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। आशा के साथ उनके माता-पिता के अलावा कोई नहीं था। इसी परेशानियों के साथ आता नहीं ऐसी कोई इसकी परीक्षा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया अपनी सहेली वर्षा के साथ अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी की l अपनी कलेक्टर की पढ़ाई करने की पढ़ाई पूरी करने के लिए असा दिल्ली जैसे शेरों में आ गई । और उस आग कुशल बुद्धि होने के कारण आशा आशा पढ़ाई में बहुत अच्छी थी इसलिए कलेक्टर की भी परीक्षा पास कर आशा अब कलेक्टर बन चुकी थी। यह तमाशा था उन लोगों पर जो आशा जैसे अपाहिज लोगों को उनकी शरीर से कमजोर होने पर उनका मजाक उड़ाते से थे वह यह भूल जाते थे कि। शरीर कमजोर हो सकता किंतु आपके अंदर की बुद्धि और काबिलियत आपकी अलग पहचान बनाती है ।
यहां पर अध्याय खत्म हो जाता है।
।।।।।।। राजू इस बात से बहुत प्रभावित होता है और गांव वाले लोगों को कहता है की लड़कियों को तथा जो शारीरिक रूप से कमजोर है उन्हें उनकी काबिलियत के अनुसार पढ़ाई तथा उन्हें जो कार्य पूर्ण तरीके से अपनी लगन से कर सकते हैं वही कार्य में जाने दे।
~ लेखक
" नरेंद्र सिंह पटवा "