19/10/2025
बड़े भैया का घर ऑफिस के पास ही है,माता जी पिताजी भी उनके साथ ही रहते है,कई बार लंच के समय वही चला जाता हूँ,फैमिली के whats up ग्रुप पे सुबह मैसेज ड्राप कर देता हूँ,भाभी इस हिसाब से तैयारी कर देती है,खाना खा कर थोड़ी देर बातचीत और आराम कर वापिस ऑफिस आ जाता हूँ।
ऐसे ही एक दिन मैं भैया के घर खाना खाने पंहुचा,थोड़ा लेट हो गया था,भाभी अपनी थाली लगा रही थी पर जैसे ही मुझे देखा,मेरा खाना लगाया,खाने मैं मेरे मनपसंद भिंडी और पनीर की सब्जी थी,एक बार और मांगा,स्वाद स्वाद में कुछ ज्यादा ही खाया।
उसके बाद माता जी पिताजी से बाते करने में व्यस्त हो गया,थोड़ी देर बाद किसी काम से उठा तो देखा अकेले बैठकर भाभी खाना खा रही थी,थाली में देखा की दही आचार और रोटी रखी हुई थी।
मेरे पूछने पर बोली आज सबको सब्जी कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी तो खत्म हो गयी,मैंने तो सुबह 11 बजे ही मैसेज कर दिया था,भाभी बोली कोई बात नहीं मैंने मैसेज नहीं देखा होगा।
मैंने तुरंत अपना मोबाइल देखा तो गलती का अहसास हुआ की वो मैसेज गलती से किसी और ग्रुप में चला गया,इसलिए भाभी को पता नहीं चला की मैं खाने पे आने वाला हूँ,और मुझे ये ग़लतफ़हमी थी मैंने उनको पहले ही बता दिया,भाभी मुझे खाने के समय देखकर अचरज मैं जरूर पड़ी होगी लेकिन मुझे बिलकुल भी अंदाजा नहीं होने दिया।
किसी आम दिन की तरह जैसे मुझे खाना परोसती है वैसे ही परोस दिया।चेहरे पे एक शिकन की लकीर नहीं,ऐसे ही होते हमारे खास रिश्ते,हमारे आप पास हमारी भाभी,मौसी,चाची,बड़ी बहन जाने कितने ऐसे लोग होते है,जो निस्वार्थ सेवा की भावना से परिवार को जोड़कर चल रहे होते है।
मैं कभी शायद उनके सामने अपने भावो को व्यक्त नहीं कर पाउँगा।
लेकिन इस लेख के माध्यम से शायद मैं अपनी बात उनके जैसे हज़ारो लोगो को जो परिवारों को एक साथ रखने में शानदार भूमिका निभाते हैं,साथ ही साथ आने वाली पीढ़ी को भी बिना बोले ही सिखाते चलते हैं कि परिवार क्या होता है उसके लिए कैसे जिया जाता है यह समझा सकता हूँ।