31/05/2025
शहजाद शेख: इंसानियत की वो मिसाल, जो हमेशा जिंदा रहेगी
मुंबई जैसे महानगर में जहां हर कोई अपनी ज़िंदगी की दौड़ में व्यस्त रहता है, वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की मदद के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करते। घाटकोपर इलाके में हुई एक दर्दनाक घटना में एक दिहाड़ी मजदूर शहजाद शेख ने ऐसा ही एक असाधारण साहस और इंसानियत का परिचय दिया। आठ साल की एक मासूम बच्ची को बचाने के चक्कर में उन्होंने अपनी जान गंवा दी — लेकिन उनके इस बलिदान ने पूरे देश को भावुक कर दिया और सच्ची इंसानियत का उदाहरण पेश किया।
घटना का विवरण
यह घटना मुंबई के घाटकोपर इलाके की है, जहां एक आठ साल की बच्ची खेलते-खेलते एक नाले के पास जा पहुंची। गेंद नाले में गिर गई और बच्ची उसे निकालने के प्रयास में फिसलकर नाले में जा गिरी। यह नाला गहराई, कीचड़ और गंदगी से भरा हुआ था, जिससे बच्ची का बाहर निकलना लगभग असंभव था। आसपास मौजूद लोग घबरा गए और कोई उपाय न सूझा।
उसी समय वहाँ मौजूद शहजाद शेख, जो पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर थे, ने बिना एक पल गंवाए नाले में छलांग लगा दी। उन्होंने बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की, लेकिन खुद नाले की गहराई और गंदगी में फंस गए। जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शहजाद ने बच्ची की जान तो बचा ली, पर खुद इस दुनिया से विदा हो गए।
एक सच्चे नायक की पहचान
शहजाद शेख एक आम इंसान थे, जिनका कोई बड़ा पद नहीं था, न कोई पहचान। लेकिन जिस क्षण उन्होंने एक मासूम की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की, उसी क्षण वे इस देश के लिए एक सच्चे नायक बन गए। उनकी ये बहादुरी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत सबसे बड़ी पहचान होती है।
समाज के लिए प्रेरणा
आज जब समाज में संवेदनहीनता और स्वार्थ की भावना बढ़ रही है, तब शहजाद शेख जैसे लोग हमें यह याद दिलाते हैं कि अब भी दुनिया में अच्छाई बाकी है। उनका यह बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत रहेगा। अगर हर इंसान दूसरों के लिए थोड़ा भी सोचे, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।