सृजन फिर से

सृजन फिर से हर तपिश को मुस्कराकर आलिंगन दीजिए.....🌼🌻

तुम्हें नहीं पता बिना किसी रस्म के,बिना किसी रिवाज़ के,एक बंधन है जो लिपटा है आत्मा की साँसों मेंऔर तुमसे जुड़ता है हर ए...
17/08/2025

तुम्हें नहीं पता
बिना किसी रस्म के,
बिना किसी रिवाज़ के,
एक बंधन है
जो लिपटा है आत्मा की साँसों में
और तुमसे जुड़ता है हर एक एहसास में।

न कोई नाम है इसका,
न कोई रिश्ता लिखा है कागज़ पर,
फिर भी
तुम्हारी एक मुस्कान,
मेरे मन के सूने आँगन में
चुपचाप महक छोड़ जाती है।

ये न वचन है, न वादा,
न मांग है, न सौदा
बस एक मौन स्वीकार है,
जैसे चाँदनी रात में
समंदर खुद को खो देता है नील गगन में।

दुनिया के रिश्ते
कभी खून से बनते हैं,
कभी क़ानून से,
मगर ये जो बंधन है
ये तो बस भाव से बँधा है,
स्पर्श से नहीं, आत्मा से जुड़ा है।

तुम्हें नहीं पता
पर हर जन्म में
अगर आत्मा पहचान सके आत्मा को,
तो वही होता है
"इस जहान से परे का सबसे अटूट बंधन।"
Sandeep Singh ✍️

जो उन्हें  देखने लगूँ तो हलक में  फँस जाती है लगता है जुवां भी , उनके दस्तरस में  आती है हमने इश्क का बीन बजाना यूँ नहीं...
17/08/2025

जो उन्हें देखने लगूँ तो हलक में फँस जाती है
लगता है जुवां भी , उनके दस्तरस में आती है

हमने इश्क का बीन बजाना यूँ नहीं छोड दिया
कभी- कभी नागिन सपेरे को भी डस जाती है

मोहब्बत के महल किसी भी मिट्टी से बना लो
जो भी हो, इन आँखों की नमी से धँस जाती है

कोई चौराहे पे बैठता है सुबह से नजरें गढ़ाकर
जब तलक उसके गाँव से वो आखिरी बस आती है

उस चाँद की महफिल में है सितारों का जमघट
किसी की झोपड़ी एक चिराग तक को तरस जाती है

इश्क में महबूब बना देता है कुछ ऐसे हालात
जैसे जादूगर की जान किसी तोते मे फँस जाती है

ऐसे ही नहीं कहते हैं कि मोहब्बत है लाइलाज
हकीमों को क्या पता इसमे कहाँ कौन सी नस जाती है !!
....भास्कर उपाध्याय ✍️🙏

दस्तरस = काबू / पकड

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17/08/2025

रूप मातृभूमि का निखारते चले गए. ...❤️🙏

#सृजन_फिर_से

17/08/2025

नंद जी के अंगना में......
#सृजन_फिर_से

मुस्कराते रहें ❤️💐
17/08/2025

मुस्कराते रहें ❤️💐

ईश्वर.....                    #हिंदीसाहित्य  #हिंदीगीत  #सृजन_फिर_से  #हिंदीभाषाकेप्रेमी  #कविताप्रेमी    #साभार_संकलित ...
17/08/2025

ईश्वर.....



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शहर में अकेलापन मार देता है और गाँव में भूख......                    #हिंदीसाहित्य  #हिंदीगीत  #सृजन_फिर_से  #हिंदीभाषाक...
17/08/2025

शहर में अकेलापन मार देता है और गाँव में भूख......



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तुम भूल जाओगे.....                    #हिंदीसाहित्य  #हिंदीगीत  #सृजन_फिर_से  #हिंदीभाषाकेप्रेमी  #कविताप्रेमी    #साभार...
17/08/2025

तुम भूल जाओगे.....



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मुस्कराते रहें 💐
17/08/2025

मुस्कराते रहें 💐

मुस्कराते रहें 💐💐
17/08/2025

मुस्कराते रहें 💐💐

इस तरह छुप छुप का आहें भरता कौन है।सब दिखावा है सच्चा इश्क करता कौन है।।यहां जितने  बैठे हैं सब जिस्म के लुटेरे हैं।मेरी...
17/08/2025

इस तरह छुप छुप का आहें भरता कौन है।
सब दिखावा है सच्चा इश्क करता कौन है।।

यहां जितने बैठे हैं सब जिस्म के लुटेरे हैं।
मेरी तरह जिस्म से रूह में उतरता कौन है।।

आशिकी में आशिक कहता है जान दे देंगे।
यहां कोई किसी के लिए मरता कौन है।।

हम तो हर रोज अपनी लाश लिए घूमते हैं।
मौत आनी है आ जाए इससे डरता कौन है।।

सब रहते हैं बड़े बड़े आलीशान बंगलों में।
यहां झुग्गी झोपड़ियों में ठहरता कौन है।।

खुद कांटो में राह बनानी पड़ती है सरल।
पगडंडी राहों पर अकेले चलता कौन है।।
~प्रमोद कुमार सरल

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कुंडली तो मिल गई है, मन नहीं मिलता, पुरोहित!क्या सफल परिणय रहेगा?गुण मिले सब जोग वर से, गोत्र भी उत्तम चुना है।ठीक  है  ...
17/08/2025

कुंडली तो मिल गई है,
मन नहीं मिलता, पुरोहित!
क्या सफल परिणय रहेगा?

गुण मिले सब जोग वर से, गोत्र भी उत्तम चुना है।
ठीक है कद, रंग भी मेरी तरह कुछ गेंहुआ है।
मिर्च मुझ पर माँ न जाने क्यों घुमाये जा रही है?
भाग्य से है प्राप्त घर-वर, बस यही समझा रही है।

भानु, शशि, गुरु, शुभ त्रिबल, गुण-दोष,
है सब-कुछ व्यवस्थित,
अब न प्रति-पल भय रहेगा?

रीति-रस्मों के लिए शुभ लग्न देखा जा रहा है।
क्यों अशुभ कुछ सोचकर, मुँह को कलेजा आ रहा है?
अब अपरिचित हित यहाँ मंतव्य जाना जा रहा है।
किंतु मेरा मौन 'हाँ' की ओर माना जा रहा है।

देह की हल्दी भरेगी,
घाव अंतस के अपरिमित?
सर्व मंगलमय रहेगा?

क्या सशंकित मांग पर सिंदूर की रेखा बनाऊँ?
सात पग भर मात्र चलकर साथ सदियों का निभाऊँ?
यज्ञ की समिधा लिए फिर से नए संकल्प भर लूँ?
क्या अपूरित प्रेम की सद्भावना उत्सर्ग कर दूँ?

भूलकर अपना अहित-हित,
पूर्ण हो जाऊँ समर्पित?
ये कुशल अभिनय रहेगा!
क्या सफल परिणय रहेगा?

~इति शिवहरे 🙏❤️

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