
05/07/2025
क्या आप जानते हैं कि एक बार भगवान हनुमान ने शनिदेव को भी अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया था? नहीं, यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है, बल्कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में दर्ज एक ऐसी घटना है जो वीरता, भक्ति और न्याय का अद्भुत संगम है। तैयार हो जाइए इस अविश्वसनीय गाथा को जानने के लिए, एक ऐसे नाटकीय मोड़ के साथ जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा!
रावण का अहंकार और शनिदेव की अग्नि परीक्षा 😈
बात तब की है जब लंकापति रावण का अहंकार सातवें आसमान पर था। उसने अपनी तांत्रिक शक्तियों के बल पर सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था, और उन्हें अपने सिंहासन के नीचे उल्टा लटका दिया था। नवग्रह, जिनमें से शनिदेव भी एक थे, रावण के इस अत्याचार से त्रस्त थे। उनका तेज मंद पड़ गया था और वे अपनी मुक्ति की बाट जोह रहे थे।
हनुमानजी का लंका दहन और शनिदेव की पुकार 🔥🙏
जब हनुमानजी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे और रावण की अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया, तो रावण ने उन्हें बंदी बना लिया और उनकी पूँछ में आग लगा दी। यही वह क्षण था जब हनुमानजी ने अपनी अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन किया और पूरी लंका को अपनी पूँछ से भस्म कर दिया। लंका जल रही थी, हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था।
इसी अग्नि के बीच, शनिदेव ने हनुमानजी को देखा। उनकी आँखों में आशा की एक किरण जगी। उन्होंने हनुमानजी को पुकारा, "हे पवनपुत्र! हम सभी नवग्रह रावण की कैद में हैं और इस भयानक आग में झुलस रहे हैं। यदि आप हमें मुक्त कर दें तो हम आपके चिर-ऋणी रहेंगे!"
शनिदेव को मुट्ठी में किया कैद! ✊
हनुमानजी ने देखा कि नवग्रह सचमुच कष्ट में हैं। उन्होंने बिना किसी विलंब के अपने विशालकाय रूप को और बड़ा किया। लंका में फैली आग की लपटें भी उन्हें विचलित नहीं कर पाईं। उन्होंने एक ही झटके में रावण के दरबार में प्रवेश किया, जहाँ नवग्रह बंदी थे।
शनिदेव, जो रावण के सिंहासन के ठीक नीचे उल्टे लटके हुए थे, हनुमानजी के सामने थे। हनुमानजी ने पलक झपकते ही अपने एक हाथ से शनिदेव को कसकर पकड़ लिया! शनिदेव, जो अपनी क्रूर दृष्टि और साढ़े साती के लिए जाने जाते हैं, हनुमानजी की इस दृढ़ पकड़ से स्तब्ध रह गए।
हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी मुट्ठी में लेकर लंका की जलती हुई दीवारों को फांद लिया और उन्हें उस आग से बाहर निकाला। शनिदेव ने हनुमानजी के इस कृत्य से मुक्ति और राहत दोनों महसूस की। उन्होंने हनुमानजी को धन्यवाद दिया और वचन दिया कि जो भी भक्त हनुमानजी की पूजा करेगा, उस पर शनिदेव की कुदृष्टि नहीं पड़ेगी।
एक अद्भुत सीख ✨
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची शक्ति केवल शारीरिक बल में नहीं होती, बल्कि भक्ति, निस्वार्थता और दूसरों की पीड़ा को हरने की भावना में होती है। हनुमानजी ने न केवल शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया, बल्कि उन्हें जलती हुई लंका की अग्नि से भी बचाया। यह एक ऐसा कार्य था जिसने स्वयं शनिदेव को भी नतमस्तक कर दिया।
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