Rkant's Talk

Rkant's Talk नाम चाहते हो तो बदनामी भी साथ आएगी दोनो में सामंजस्य बिठा पाने वाले ही सफलता को प्राप्त करते हैं।

लो भैया पढ़ लो
17/07/2025

लो भैया पढ़ लो

16/07/2025

बताना भी नहीं आता
छुपाना भी नहीं आता

हमें तुमसे मोहब्बत है
बताना भी नहीं आता।

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का रहने वाला ये शख्स छह साल पहले अपने 15 साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया...
14/07/2025

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का रहने वाला ये शख्स छह साल पहले अपने 15 साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया के पास मछली पकड़ने गया था। तभी अचानक समुद्र का रुख बदल गया तेज़ तूफान उठा, लहरें बेकाबू हो गईं और देखते ही देखते ट्रॉलर पलट गया।

हर कोई समंदर की विशाल लहरों में बह गया... रवीन्द्रनाथ भी।

लेकिन वो डरने वाला नहीं था। पेशे से मछुआरा होने के कारण पानी उसका दुश्मन नहीं, साथी था। उसने हार नहीं मानी।
वो तैरता रहा… तैरता रहा… ऊपर बस आसमान, नीचे अथाह पानी।घंटे बीते, दिन बीत गए।

5 दिन तक रवीन्द्रनाथ समंदर में अकेले तैरता रहा, न खाना, न पीने का पानी, सिर्फ़ ज़िंदा रहने की जिद। जब बारिश होती, वो वर्षा जल पीकर खुद को जीवित रखता। हर पल मौत नज़दीक थी, लेकिन हिम्मत उससे ज़्यादा मज़बूत थी।

5वें दिन… क़रीब 600 किलोमीटर दूर, बांग्लादेश के कुतुबदिया द्वीप के पास, एक जहाज़ 'एमवी जवाद' गुजर रहा था। जहाज़ के कप्तान ने दूर से समंदर में कुछ हिलता देखा। ध्यान से देखा… कोई इंसान तैर रहा था!

कप्तान ने फ़ौरन एक लाइफ जैकेट फेंकी, लेकिन रवीन्द्रनाथ तक वो नहीं पहुंची। फिर भी कप्तान रुके नहीं… उन्होंने सीमाओं, धर्मों, जातियों की रेखाओं को भुलाकर सिर्फ़ एक चीज़ देखी --- इंसान।

कुछ दूरी पर रवीन्द्रनाथ फिर नज़र आए, और इस बार कप्तान ने जहाज़ घुमा दिया। लाइफ जैकेट फेंकी, और इस बार रवीन्द्रनाथ पकड़ने में कामयाब रहे।

एक क्रेन से उसे ऊपर खींचा गया थका हुआ, अधमरा, लेकिन ज़िंदा। जब वो जहाज़ पर चढ़ा, तो पूरे जहाज़ के नाविक खुशी से चिल्ला उठे।वो सिर्फ़ एक इंसान को नहीं, इंसानियत को ज़िंदा देख रहे थे।

उस लम्हे का वीडियो जहाज़ के एक नाविक ने रिकॉर्ड किया और वो दृश्य आज भी देखने वालों की रूह तक को हिला देता है।

❤️ धन्यवाद, उस जहाज़ के हर नाविक को।

आपने सिर्फ़ एक जान नहीं बचाई आपने हमें याद दिलाया कि इंसानियत अब भी ज़िंदा है।

कभी-कभी एक इंसान की जिद, और दूसरे इंसान की करुणा , पूरी दुनिया को बेहतर बना सकती है - कॉपी पोस्ट
#राम_राम_दोस्तों
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सरायकेला के छोटा काकड़ा हाई स्कूल में 8 वीं के छात्रों को साइकिल वितरण बना मज़ाक, फटे टायर- ट्यूब वाली साइकिल पाकर बच्चो...
13/07/2025

सरायकेला के छोटा काकड़ा हाई स्कूल में 8 वीं के छात्रों को साइकिल वितरण बना मज़ाक, फटे टायर- ट्यूब वाली साइकिल पाकर बच्चों की खुशी पल में मायूसी में बदली

एकबाणीक्या आप जानते हैं प्रभु श्रीराम को एकबाणी कहा जाता है क्योंकि उनका केवल एक ही बाण लक्ष्य भेदने का सामर्थ्य रखता था...
10/07/2025

एकबाणी

क्या आप जानते हैं प्रभु श्रीराम को एकबाणी कहा जाता है क्योंकि उनका केवल एक ही बाण लक्ष्य भेदने का सामर्थ्य रखता था उन्हें दूसरा बाण चलाने की आवश्यकता ही नहीं पडती थी ।

09/07/2025

मैने जो अयोध्या जाकर कमाया वो सातों जनम में नहीं पा सकता ।
जय श्री राम

सिक्कों का चलन और वर्तमान स्थिति :आज के दौर में भारतीय बाजारों से सिक्कों का चलन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। एक समय...
09/07/2025

सिक्कों का चलन और वर्तमान स्थिति :

आज के दौर में भारतीय बाजारों से सिक्कों का चलन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। एक समय था जब 50 पैसे, 1, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्के लेन-देन का मुख्य आधार होते थे, लेकिन अब ये सिक्के दुकानदारी और आम उपभोग में बहुत कम दिखाई देते हैं। इस स्थिति के लिए दुकानदार, ग्राहक और सरकार — तीनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

दुकानदार अक्सर सिक्कों को लेने से इनकार कर देते हैं या उन्हें खुले पैसे के रूप में रखने से बचते हैं, जिससे ग्राहकों को असुविधा होती है। वहीं, ग्राहक भी सिक्कों को बोझ समझने लगे हैं और अक्सर उन्हें घर में जमा कर लेते हैं या बाजार में चलन में नहीं लाते। इस आपसी व्यवहार के कारण सिक्कों की मांग कम होती गई और धीरे-धीरे ये चलन से बाहर हो रहे हैं।

सरकार ने समय-समय पर सिक्कों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और उनके महत्त्व को बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए हैं, जैसे बैंकों के माध्यम से सिक्कों का वितरण, "क्वाइन मेला" जैसे आयोजन, और डिजिटल लेन-देन के साथ-साथ नकद लेन-देन में संतुलन बनाए रखने की कोशिश। लेकिन डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रचलन ने सिक्कों की उपयोगिता को और भी कम कर दिया है।

यदि हम चाहते हैं कि छोटे लेन-देन में पारदर्शिता और सहूलियत बनी रहे, तो दुकानदारों और ग्राहकों को मिलकर सिक्कों की स्वीकार्यता बढ़ानी होगी। साथ ही, सरकार को भी जागरूकता अभियान चलाकर सिक्कों के महत्त्व को दोबारा स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

मेरा तो कुछ भी नहीं 🙏🏻
08/07/2025

मेरा तो कुछ भी नहीं 🙏🏻

ये   AI द्वारा बनाई गई मेरी एक फोटो है जिसे 1960 के हिसाब से बनाई गई है ।जो भी हो पर रौब तो है चेहरे पे 😉
07/07/2025

ये AI द्वारा बनाई गई मेरी एक फोटो है जिसे 1960 के हिसाब से बनाई गई है ।
जो भी हो पर रौब तो है चेहरे पे 😉

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