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NH 305 लारजी बन्जार रोड़ जल्द ही खुल जाएगा। मशीन काम कर रही है
18/07/2025

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अभी अभी लारजी बन्जार रोड़ NH305 बन्द हो गया है
18/07/2025

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bathad gushani rod फिलाल सभी वाहनों के लिए बंद
17/07/2025

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फागुपूल मंगलौर (बंजार) नदी में दिखी आज्ञात बॉडी
17/07/2025

फागुपूल मंगलौर (बंजार) नदी में दिखी आज्ञात बॉडी

तलाक आमतौर पर एक गंभीर और निजी मामला होता है, लेकिन असम के नलबाड़ी जिले में एक व्यक्ति ने इसे बिल्कुल अलग तरीके से मनाया...
16/07/2025

तलाक आमतौर पर एक गंभीर और निजी मामला होता है, लेकिन असम के नलबाड़ी जिले में एक व्यक्ति ने इसे बिल्कुल अलग तरीके से मनाया. बोरोलियापारा गांव के निवासी माणिक अली ने अपनी 'आजादी' का अनोखा जश्न मनाने के लिए खुद पर 40 लीटर दूध उड़ेल लिया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

पूरी ख़बर https://shorturl.at/sKayV



16/07/2025
मण्डी कुल्लू सड़क मार्ग यात्रा के लिए बंद है(मण्डी के कचरा यार्ड के पास) पर पण्डोह से कुल्लू सड़क मार्ग खुला है यात्रा क...
16/07/2025

मण्डी कुल्लू सड़क मार्ग यात्रा के लिए बंद है(मण्डी के कचरा यार्ड के पास) पर पण्डोह से कुल्लू सड़क मार्ग खुला है यात्रा के लिए
Not:- सड़क मार्ग की पल पल अपडेट के लिए पेज Follow करे 🙏🙏

जय श्री राम🙏🙏🙏🙏
16/07/2025

जय श्री राम🙏🙏🙏🙏

नाज है हंसराज रघुवंशी पर जिन्होंने प्रदेश के इतिहास की अब तक की  सबसे बड़ी राहत राशि 11 लाख की प्रदान की वह भी धर्मपुर य...
16/07/2025

नाज है हंसराज रघुवंशी पर जिन्होंने प्रदेश के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी राहत राशि 11 लाख की प्रदान की वह भी धर्मपुर या सरकाघाट नहीं बल्कि सराज आपदा पीड़ितों को ! वाकई बहुत बड़ा कलेजा चाहिए होता है जनाब ।
हम आपको दिल से सलाम करता हूं रघुवंशी जी 🙏

प्रश्न  :-- धर्म की परिभाषा क्या है  ❓उत्तर  :-  प्रायः लोग धर्म की जो परिभाषा करते हैं " धार्यते इति धर्म: " जिसको धारण...
16/07/2025

प्रश्न :-- धर्म की परिभाषा क्या है ❓

उत्तर :- प्रायः लोग धर्म की जो परिभाषा करते हैं " धार्यते इति धर्म: " जिसको धारण किया जाये वह धर्म है -
मतलब लोग स्वयं धर्म के धारक बन बैठते हैं - इस सूत्र की यह परिभाषा ठीक नहीं है --
इस सूत्र का वास्तविक अर्थ है " जो धारण करे वह धर्म है । "

🚩 तो आइये मनीषियों द्वारा शास्त्रसम्मत जो धर्म की परिभाषा है उससे जानने का प्रयास करते हैं ---

🍂 निस्संदेह धर्म ज्ञान परम दुष्कर है - वेदशास्त्रसम्मत युक्तियों द्वारा धर्म का निर्णय करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्राणियों का धारण और प्रभव ( उद्भव और उत्कर्ष ) जिससे हो - अर्थात् अभ्युदय और निःश्रेयस की सिद्धि में जो प्रयुक्त तथा विनियुक्त हो - वह धर्म है ।

" प्रभवार्थाय भूतानां धर्मप्रवचनं कृतम् ।
यः स्यात् प्रभवसंयुक्तः स धर्म इति निश्चयः ।।"
' प्राणियों के अभ्युदय और परमोत्कर्षरूप निःश्रेयस की सिद्धि के लिए धर्म का प्रवचन किया गया है- अतः जो इस उद्देश्य से युक्त हो - वही धर्म है - ऐसा शास्त्रों का कथन है ।

🐚 धारणाद्धर्ममित्याहुर्धर्मेण विधृताः प्रजाः ।
य स्याद् धारणसंयुक्तः स धर्म इति निश्चय ।।
( महाभारत )
धर्म धारण करता है - अर्थात् अस्तित्व और आदर्श की रक्षा कर अधोगति से बचाता है - इसलिए उसे धर्म कहा गया है-- धर्म ने ही सारी प्रजा को धारण कर रखा है-- अतः जिससे धारण और पोषण सिद्ध होता हो वही धर्म है- ऐसा सत्पुरूषों का निश्चय है ।

" धारणाद्धर्ममित्याहुर्धर्मो धारयते प्रजा: ।
यत् स्यात् धारणसंयुक्तः सः धर्म इति निश्चयः ।। "
धर्म ही प्रजा को धारण करता है और धारण करने के कारण ही उसे धर्म कहते हैं-- अतएव जो धारण - प्राणरक्षा के हेतु हो - जिसमें किसी जीव का उत्पीडन - शोषण - अहित न हो - वह धर्म है - ऐसा शास्त्रों का सिद्धांत है ।

🕊 धर्मेति धारणे धातुर्माहात्म्ये चैव पठ्यते ।
धारणाच्च महत्त्वेन धर्म एष निरूच्यते ।।
( मत्स्यपुराण )
" धृ - धातु धारण- पोषण और महत्व के अर्थ में प्रयुक्त होती है - इसी धातु से ' धर्म ' शब्द निष्पन्न हुआ है - महत्त्वशील और धारक होने से यह धर्म ' धर्म ' कहा
जाता है ।
" धर्मेति धारणे धातुर्महत्त्वे चैव उच्यते ।
अधारणेऽमहत्त्वे वाधर्मः स तु निरूच्यते ।। "
' धृ ' धातु धारण करने तथा महत्त्व के अर्थ में प्रयुक्त होती है -- अधारण तथा अमहत्त्व में प्रयुक्त अधर्म शब्द का अर्थ इसके विपरीत है ।

🔥 धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा
लोके धर्मिष्ठं प्रजा उपसर्पन्ति ।
धर्मेण पापमपनुदन्ति
धर्मे सर्वं प्रतिष्ठितम् ।
तस्माद्धर्मं परमं वदन्ति ।। "
( कृष्णयजुर्वेद- तैत्तिरीयारण्यक १०•६३ )
' धर्म सम्पूर्ण जगत की प्रतिष्ठा है - धर्मिष्ठ के समीप ही प्रजा सर्वविध कल्याण की भावना से समर्पित होती है - धर्म से ही पाप का क्षय होता है - धर्म में सब प्रतिष्ठित हैं - अतः धर्माचरण से ही सबका सर्वविध उत्कर्ष होता है-- अतएव धर्मशील मनीषी धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । '

☛ " धर्मेण सर्वमिदं परिगृहितं धर्मान्नातिदुशचरं ।
तस्माद्धर्मे रमन्ते ।। "
( महानारायणणोपनिषत् २१•२ )
' यह सब धर्म से परिगृहित ( अधिष्ठित ) है - धर्म से उत्कर्ष असम्भव नहीं है - अतएव विचारशील महानुभाव धर्म में रमण करते हैं । '

🌅 " न वेदानां परिभवान्न शाष्ठ्येन न मायया ।
महत् प्राप्नोति पुरूषो ब्रह्मणि ब्रह्म विन्दति ।। "
' वेदों का अनादर करने से - शठता से तथा माया ( कपट ) से कोई मनुष्य परब्रह्म को नहीं प्राप्त कर सकता - वेदों में आस्थान्वित रहते हुए वेदोक्त कर्मयोग - अष्टाङ्गयोग - भक्तियोग और ज्ञानयोग का निष्कपट - भाव से आश्रय लेने पर ही उसे परब्रह्म की प्राप्ति होती है ।"

🚩 " सदाचारः स्मृतिर्वेदास्त्रिविधं धर्मलक्षणम् ।
चतुर्थमर्थमित्याहुः कवयो धर्मलक्षणम् ।।
' वेद - स्मृति और सदाचार - ये तीन धर्म के स्वरूप को लक्षित करने वाले हैं - कुछ विद्वान अर्थ को भी धर्म का चौथा लक्षण बताते हैं ।'

" ब्राह्मणादि चारों वर्णों के जो धर्म हैं - उनका परस्पर समिश्रण अच्छा नहीं माना जाता है - परन्तु निर्विकार सत्य सब वर्णों में प्रतिष्ठित है ।
सत्य ही सनातन धर्म है ।
ईश्वर ही धर्म का मूल है ।
🚩 हर हर महादेव 🚩

मनाली  :  लेह हाइवे में दालंग मैदान के समीप लाथर नाले में ऑटो और  डंपर में टक्कर, ऑटो में सवार दो पर्यटक घायल हुए हैं ।
16/07/2025

मनाली : लेह हाइवे में दालंग मैदान के समीप लाथर नाले में ऑटो और डंपर में टक्कर, ऑटो में सवार दो पर्यटक घायल हुए हैं ।

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