Virat Verse

Virat Verse Music n Movie , south movie scenes, movie clips, comedy clips, Hindi dubbed movies.

14/06/2025

"वज्रकाल" एक ऐसा शापित ग्रंथ है जिसे किसी साधु या ऋषि ने नहीं, बल्कि एक दिव्य आत्मा — तपस्विनी ने रचा था। इस कहानी में जानिए कैसे यह ग्रंथ इंसान को बना सकता है अमर या ले सकता है उसकी जान!
रहस्य, डर, और अलौकिक शक्तियों से भरी यह कहानी आपको रोमांचित कर देगी।

भाग 1 में जानिए:

तपस्विनी कौन थी?

कैसे बना "वज्रकाल"?

क्यों यह ग्रंथ अभिशप्त है?

आगे की कहानी के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं!

वज्रकाल कहानी

शापित ग्रंथ

हिंदी हॉरर स्टोरी
अलौकिक शक्ति की कहानी
तपस्विनी की कहानी
रहस्यमयी ग्रंथ
वज्रकाल भाग 1

horror kahani hindi mein

supernatural story in hindi

scary audio story hindi

, , , , , , , , , , ,

03/05/2025
03/05/2025
03/05/2025
03/05/2025
03/05/2025
03/05/2025
ये सुन कर माँ ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की, मैंने तकिये की टेक लगवाई, उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ो...
11/03/2024

ये सुन कर माँ ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की, मैंने तकिये की टेक लगवाई, उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ोर हाथों को ऊपर उठाया मन ही मन राम जी की स्तुति की फिर बोली: तू रेहड़ी वहीं छोड़ आया कर हमारी किस्मत हमे इसी कमरे में बैठ कर मिलेगा।
मैंने कहा: माँ क्या बात करती हो, वहाँ छोड़ आऊँगा तो कोई चोर उचक्का सब कुछ ले जायेगा, आजकल कौन लिहाज़ करता है? और बिना मालिक के कौन खरीदने आएगा?
कहने लगीं: तू राम का नाम लेने के बाद बाद रेहड़ी को फलों से भरकर छोड़ कर आजा बस, ज्यादा बक बक नही कर, शाम को खाली रेहड़ी ले आया कर, अगर तेरा रुपया गया तो मुझे बोलियो।

ढाई साल हो गए है भाई! सुबह रेहड़ी लगा आता हूँ शाम को ले जाता हूँ, लोग पैसे रख जाते है फल ले जाते हैं,एक धेला भी ऊपर नीचे नही होता, बल्कि कुछ तो ज्यादा भी रख जाते है, कभी कोई माँ के लिए फूल रख जाता है, कभी कोई और चीज़! परसों एक बच्ची पुलाव बना कर रख गयी साथ मे एक पर्ची भी थी अम्मा के लिए।

एक डॉक्टर अपना कार्ड छोड़ गए पीछे लिखा था माँ की तबियत नाज़ुक हो तो मुझे काल कर लेना मैं आजाऊँगा, कोई खजूर रख जाता है, रोजाना कुछ न कुछ मेरे हक के साथ मौजूद होता है। न माँ हिलने देती है न मेरे राम कुछ कमी रहने देता है माँ कहती है तेरा फल मेरा राम अपने फरिश्तों से बिकवा देता है।

आखिर में इतना ही कहूँगा की अपने मां बाप की सेवा करो, और देखो दुनिया की कामयाबियाँ कैसे हमारे कदम चूमती है।

22/02/2024

बेटी की साईकिल

"प्यार....अपनी उम्र के साठ वर्ष पार कर चुके बुजुर्ग मोहनबाबू और उनकी पत्नी सुधाजी यूं तो एक बड़े से घर में दो ही प्राणी ...
05/02/2024

"प्यार....
अपनी उम्र के साठ वर्ष पार कर चुके बुजुर्ग मोहनबाबू और उनकी पत्नी सुधाजी यूं तो एक बड़े से घर में दो ही प्राणी थे बेटा और बेटी दोनो विदेश में बस चुके थे उनसे बस वीडियो कॉलिंग से ही सम्बंध रह गया था
यूं तो दोनों अकेले भी खुश थे क्योंकि दोनों एक दूसरे के साथ पूरी दुनिया के साथ जैसे थे मगर वो कहते है ना जहां दो बर्तन हो और खट खट ना ऐसा नामुमकिन होता है तो ऐसे ही इन दोनों में भी आएं दिन किसी ना किसी बात में बहस होती ही थी लेकिन आज एक छोटी सी बहस ने रौद्र रूप ले लिया और गुस्से में मोहनबाबू मुँह फुला कर बाहर निकल गए और जाते जाते बोलने लगे ...
जा रहा हूं मैं रह लूंगा कैसे भी...
मोहनबाबू के बाहर निकल जाने पर सुधाजी भी बडबडा उठी जाओ जाओ
मगर बीते पहले एक घंटे में मोहनबाबू के लौटकर नहीं आने पर सुधाजी थोड़ी मुस्कुरा कर सोचती ...हू...सठिया गए है कोई बात सुनते ही नही... लेकिन जब दूसरा घंटा शुरू हुआ तो की दिल की घड़कन बढ़ गई
अरे कहां रह गए इतनी धूप तेज हो गई है पार्क में कितनी देर बैठेंगे ये...
तुरंत मोबाइल निकाल कर देखना शुरू किया कितने बजे ऑनलाइन थे मगर ये क्या मोहनबाबू का फोन ऑनलाइन नहीं दिखा रहा था घडी ने जैसे ही तीसरे घंटे की और इशारा दिया तो सुधाजी की घबराहट बढ गई वह पश्चाताप करने लगी... छोटी सी तो बात थी काश...मैं ही चुप रह जाती तो बात आगे नहीं बढ़ती थोड़ा और वक्त बीतने पर उन्हें चक्कर आने लगे बहुत परेशान होने लगी उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल को निकाल कर मोहनबाबू का नंबर मिलाया... कहां है आप जल्दी आइए मैंने भी लंच नही किया
जानता हूं... आ रहा हूं बस 2 मिनट तुम गुस्सा हो गई थी तो तुम्हारी पसंद के रेस्टोरेंट से तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी लेने चला गया था घर पहुंच कर मोहनबाबू ने अपने हाथों से गर्मागर्म दाल रोटी से थाली सजाकर सुधाजी के बड़े प्यार से रखकर आंखें मटका कर कहां ... तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी इतनी दूर क्यूं लेने गए थे आपका मन था तो बता देते में घर में बना लेती
तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी तुम्हारे मनपसंद रेस्टोरेंट की तुम्हीं तो कहती हो इसे खाते ही तुम सब कुछ भूल जाती हो तो मुझे लगा मेरी सुबह की....ग़लती मेरी थी
नहीं ग़लती मेरी थी...कहकर सुधाजी मोहनबाबू के सीने से लग गई आज फिर प्यार का पलड़ा अहम पर भारी पड़ गया था...!!

महत्वपापा,एक चश्मा के लिए आप इतना क्यों हड़बड़ा रहें हैं,ऐसा क्या पढ़ना है अब आपको।दो-चार दिन रुक जाइये तो फिर मैं बनवा ...
06/10/2023

महत्व

पापा,एक चश्मा के लिए आप इतना क्यों हड़बड़ा रहें हैं,ऐसा क्या पढ़ना है अब आपको।दो-चार दिन रुक जाइये तो फिर मैं बनवा देता हूँ।" चाय पीते हुए नरेश अपने पिता से बोले तो उनके पिता धीरे-से बोले ," कोई ज़रूरी तो नहीं है बस ज़रा...पर कोई बात नहीं।
कहकर रामदयाल बाबू सैर के लिये निकल गये।
टहलने के बाद वे एक बेंच पर बैठ गये जहाँ उनके हमउम्र के लोग अखबार पढ़ रहें थें।उन्होंने एक से कहा," आज दसवीं बोर्ड- परीक्षा का रिजल्ट निकला है,ज़रा एक रोल नंबर देखकर बताइये कि.." कहते हुए वे अपनी जेब से नंबर लिखी एक पर्ची निकालने लगें।उनमें से एक सज्जन पूछने, " किसका है?
उत्साहित होकर बोले, " मेरी पोती का है।आज घर में अखबार दिया नहीं और जल्दी में निकला तो चश्मा गिरकर टूट गया।
" लाईये..., मैं देख देता हूँ।" कहते हुए एक ने उनके हाथ से पर्ची ले ली।
धूप तेज हो रही थी।अपने पिता को पार्क को बैठे देख नरेश को बहुत गुस्सा आया।पिता को बुलाने के लिये वह उनके पास जाने लगा तो उसे सुनाई दिया, " आपको बधाई रामदयाल बाबू।आपकी पोती ने तो पूरे स्कूल में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।हमें मिठाई नहीं खिलायेंगे क्या?
" हाँ-हाँ,क्यों नहीं.., वो तो आज चश्मा न टूटा होता तो आपको कष्ट नहीं देता।आपने पढ़कर सुना दिया,यही बहुत है। उन लोगों से बातें करके वे पार्क के दूसरे गेट से बाहर निकल गये।
नरेश सोचने लगा, मैं भूल गया लेकिन पापा को याद रहा कि आज अनीशा का रिजल्ट निकलने वाला है।जैसे उन्हें मेरे स्कूल का टाइमटेबल रटा हुआ था,वैसे ही पोती अनीशा का भी...।
वे हमेशा मुझसे कहते थें कि काम हमेशा समय पर होना चाहिए तभी उस काम का महत्त्व है।आज ही तो उन्हें चश्मे की अधिक आवश्यकता थी और मैंने लापरवाही कर दी।
शाम को घर आकर नरेश ने सबसे पहले अपने पिता को उनका चश्मा दिया और फिर बोला, " पापा,कल अपने सभी मित्रों को चाय पर घर बुला लीजिये।आपकी पोती ने 98 प्रतिशत अंक लाकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।पार्टी तो बनती है ना।
हाँ बेटा.... लेकिन फिर कभी...। बेटे पर कोई बोझ न पड़े ,
इसलिए उन्होंने टालने का प्रयास किया।नरेश ने उनके मन में चल रही दुविधा को भाँप लिया था।पिता के कंपकंपाते हाथों को पकड़कर नरेश मुस्कुराते हुए बोला ," फिर कभी क्यों पापा...,आप ही तो मुझे समझाते थें कि काम समय पर हो तभी उसका महत्त्व है।अपने मित्रों को आप कल ही पार्टी देंगे।" बेटे की बात सुनकर रामदयाल बाबू की आँखें खुशी-से छलछला उठी।

23/08/2023

🇮🇳🇮🇳Congratulations!! For grand success of CHANDRAYAAN 3, it's a proud moment for us 🇮🇳🍫🎂💓🇮🇳

Virat Verse

Address

Kasia

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Virat Verse posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Virat Verse:

Share