18/06/2025
पढ़े जरूर..... दावा आपको बढ़िया लगेगा।
*लक्ष्मणगढ़* निकटवर्ती गांव बऊ का आसमां आज ठंडा था लेकिन मंच पर माइक गरम। “वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान” के नाम पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर लक्ष्मणगढ़ पहुँचे,- जहां स्थानीय जोहड़ को पहले से ही धो-पोंछकर चमका दिया गया। बाक़ी जो गंदगी थी, वो जनता के दरवाज़ों के बाहर रह गई... और सवालों के जवाबों में छुपा ली गई।
कार्यक्रम की बिसात बिछी विनायक होटल में, जहाँ कार्यकर्ताओं की भीड़ तो थी पर नेताजी लोग कमरे से बाहर ही नहीं निकले। चाय–पानी का इंतज़ाम 'पे करो और ले जाओ' स्टाइल में था। भीतर बंद कमरे में रणनीति कम, फोटोशूट की तैयारी ज़्यादा थी। मंत्रीजी आए, फोटो खिंच गई, और एकदम से वही पुराना ‘फॉर्मूला 101’ एक्टिवेट हो गया।
वहां से नाथ जी महाराज के आश्रम में पहुँचा काफ़िला। उतरते ही मंत्री जी ने “मैं रोज़ सफाई चाहता हूँ” — धरातल से टकराया भाषण (गांव की गलियों में गंदगी देख मंत्रीजी बिगड़ पड़े)। बोले: महीने बाद फिर खुद देखूंगा!" स्थानीय प्रशासन (विकास अधिकारी रोमा सारण ) ने 'ओके सर' में सिर हिलाया। बाद में पता चला, सफाई के लिए ₹1 लाख मिलते हैं, जिसमें भी खर्च की सीमा। ज़मीनी सच्चाई ये कि इतने में छोटे मोहल्ले नहीं संभलते, तो गांव कैसे चमकेगा?
सिद्ध संत की समाधि पर सबने प्रणाम किया — पर यह बताने वाला कोई नहीं था कि समाधि किसकी है? ना मंत्री जी ने पूछा, ना आयोजकों ने बताया। बस मौन रखा गया — शायद जानकारी के अभाव में या ज़िम्मेदारी के डर से। वैसे समाधी ब्रह्मलीन संत नवानाथ जी महाराज की थी।
वृक्षारोपण, श्रमदान और संवादहीनता। बावड़ी पहले से साफ थी — फिर भी 'एकता' दिखाने के लिए एक तगारी अंदर से बाहर निकाल दी गई। पहले हुई पूजा-अर्चना, वृक्षारोपण, "तगारी लो, मिट्टी भरो, फोटो खींचो, चलो आगे बढ़ो।" जोहड़ की सफ़ाई पहले ही हो चुकी थी, अब केवल “सांकेतिक” मिट्टी का एक चम्मच फेंकना बचा था — और वही हुआ। सरकारी कार्यक्रम पर स्थानीय दिग्गज नेताओं का पूरा कब्ज़ा।
अब चलो भाषणबाज़ी — दिल किसी के मिल नहीं रहे लेकिन वही हर नाम के आगे संबोधन, मेरे बड़े भाई, जुझारू, संघर्षशील भाषण सूची में पूर्व सांसद सुमेधानंद सरस्वती का नाम नदारद था, लेकिन नेता दिनेश जोशी का हस्तक्षेप ओर मंच से बाबा जी की आवाज भी गूँज गई। राजनीति की चिंगारी भी दिखी — शब्दों में कटाक्ष और मुस्कान में तलवार।
अब स्क्रिप्ट राइटर की बड़ी कमी रह जाती है- मंत्री जी के भाषण में न संत नवानाथ जी महाराज ओर भोलानाथ जी महाराज को नमन होता है, न भजन सम्राट संत रतिनाथ जी महाराज को याद किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस — जवाब वही, अंदाज़ नया; प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल आए, डोटासरा को लेकर पुरानी अदावत पर भी छींटे पड़े। मंत्रीजी बोले: "जवाब दूं या नहीं?" पर भीतर का मन चाह रहा था, और दो-चार बात एक्स्ट्रा बोल दी। पत्रकारों ने भी झकझोर कर पूछ लिया, पर जवाबों में डोटासरा पर तीर पर तीर चलाए लेकिन सावधानी से, संतुलन और सियासत दोनों मौजूद।
बाद में कार्यक्रम का आखिरी पड़ाव.....जिला प्रशासन की योजनाओं वाली मीटिंग में मीडिया को बाहर कर दिया गया — क्यों? कोई नहीं जानता। शायद अफसरों को लगा कि अगर सवाल पूछने वाला ही नहीं होगा, तो जवाब देने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी। मोदी जी ओर भजनलाल जी की पारदर्शिता ठहर जाती है, असली तस्वीर कहीं बाहर ना आ जाएं — यही शायद खटक गया हो!
नवरंग चौधरी लालासी के संयोजन में शिशपाल भाटी, कपिल शर्मा का साथ ओर सुभाष महरिया के नेतृत्व की भूमिका में प्रभावी मौजूदगी दर्शाते दिनेश जोशी।
भंडारा चल रहा था, हमने भी लाडू लूंजी के पवित्र प्रसाद पाने हेतू तबियत नासाज के बाद भी प्लेट भर ली, सब खुश ओर प्रसन्न।
नरेगा मजदूर वही खड़े थे शायद कि "कार्यक्रम निपटा, फोटो छपा, ज़मीन वही की वही "कल फिर साफ करनी है। क्या विकास 'तगारी दिखा' देने से हो जाता है? क्या गंगा जल संरक्षण केवल बोलने का विषय है? और इन्हीं बीच मंत्रीजी अगले कार्यक्रम “नागौर के लिए रवाना”।
Via-Khabar Laxmangarh News