10/08/2025
आजादी के बाद से आज तक बॉलीवुड में कोई भी फिल्म ऐसी नहीं बनाई जिसमें भारत में हुई हिंसात्मक घटनाएं जो की मुगलों द्वारा की उसके बारे में कोई सटीक और सच्चाई दिखाने वाली मूवी बनी है हम बात कर रहे हैं 1948 में हुए टांगों के बारे में जो की हैदराबाद में हुए थे जिसमें मुगल शासक निजाम द्वारा हिंदुओं पर किए गए और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराए गए जिम 40000 से ज्यादा हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया बचे हुए लोगों को धर्म परिवर्तन करवा कर उनकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया गया इस पूरी घटना के ऊपर नेहरू सरकार बिल्कुल चुप बैठी रही लेकिन भारत की लोह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल जी कड़ी कार्रवाई की और हैदराबाद को भारत में शामिल किया क्योंकि निजाम के पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था
इस पूरी घटना पर साउथ में बनी एक मूवी पूरी जानकारी बयां कर रही है अगर आप यह पिक्चर देखेंगे तो आप स्तब्ध रह जाएंगे और आपको अफसोस होगा कि अपने इतिहास क्यों नहीं पड़ा देश आजाद होने के बाद से आज तक हमें सिर्फ मुगलों की महान गाथाएं पढ़ाई नहीं और वही दिखाया गया है तो अब समय है सच जानने का
इस कहानी के अंत में मैं एक लिंक साझा करूंगा जिसमें वह पूरी फिल्म है आप ही देख सकते हैं क्योंकि सच जानना हमारा और आपका अधिकार है
1948 में हैदराबाद एक बहुत ही अहम ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा था, क्योंकि उस समय यह भारतीय संघ में शामिल नहीं हुआ था।
स्थिति उस समय:
हैदराबाद एक रियासत (Princely State) थी, जिसका शासक निज़ाम मीर उस्मान अली खान था।
यह रियासत ब्रिटिश राज के अंत तक भी स्वतंत्र रहना चाहती थी, यानी भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के बजाय अपनी आज़ादी बनाए रखना चाहती थी।
निज़ाम के शासन में एक संगठन रज़ाकार भी सक्रिय था, जो इस स्वतंत्रता को बनाए रखने और मुस्लिम शासन को बचाने के लिए हिंसक गतिविधियाँ करता था।
हैदराबाद की जनसंख्या में बहुसंख्यक हिंदू थे, लेकिन सत्ता मुस्लिम निज़ाम और उनके दरबार के हाथ में थी।
उस समय की भारतीय सरकार:
भारत में 1948 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार थी।
उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जिन्होंने रियासतों को भारत में मिलाने की ज़िम्मेदारी संभाली थी।
महत्वपूर्ण घटना:
सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन पोलो" (Operation Polo) शुरू किया, जिसे "Police Action" भी कहा गया।
इसका मक़सद था हैदराबाद को भारतीय संघ में शामिल करना और रज़ाकारों की हिंसा को समाप्त करना।
पाँच दिन के अभियान के बाद 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया।
हाँ, 1948 में हैदराबाद रियासत के दौरान हिंदुओं पर हुए अत्याचार उस समय की राजनीति और सामाजिक हालात का एक कड़वा सच है।
पृष्ठभूमि:
निज़ाम मीर उस्मान अली खान शासन कर रहे थे, लेकिन रियासत में हिंदू बहुसंख्यक (लगभग 85%) और मुस्लिम अल्पसंख्यक (लगभग 12%) थे।
निज़ाम के इशारे पर कासिम रज़वी के नेतृत्व में रज़ाकार नाम का एक मिलिट्री-स्टाइल संगठन सक्रिय था।
रज़ाकारों का उद्देश्य था रियासत को मुस्लिम बहुल शासन के तहत स्वतंत्र रखना और हिंदुओं की राजनीतिक आवाज़ को दबाना।
अत्याचार के स्वरूप:
1. हत्या और हिंसा – हजारों हिंदुओं की हत्या की रिपोर्टें हैं, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में।
2. लूटपाट और संपत्ति का नाश – हिंदू किसानों, व्यापारियों और जमींदारों की संपत्ति जबरन छीन ली गई।
3. महिलाओं पर अत्याचार – कई जगह महिलाओं के साथ बलात्कार और अपहरण के मामले दर्ज हुए।
4. धार्मिक स्थल तोड़फोड़ – मंदिरों पर हमले और धार्मिक प्रतीकों को नुकसान पहुँचाना।
5. जबरन धर्मांतरण – कुछ क्षेत्रों में हिंदुओं को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया।
आधिकारिक और स्वतंत्र रिपोर्टें:
भारत सरकार ने इस पर जाँच के लिए "सुंदरलाल कमेटी रिपोर्ट" (Sunderlal Committee Report) बनाई।
इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि लगभग 27,000 से 40,000 लोगों की हत्या हुई, अधिकतर हिंदू थे।
हालांकि निज़ाम की सरकार और रज़ाकार नेतृत्व ने इन घटनाओं को कम करके दिखाने की कोशिश की।
समाप्ति:
"ऑपरेशन पोलो" के बाद भारतीय सेना ने रज़ाकारों को खत्म किया और हिंसा पर रोक लगी।
इसके बाद प्रशासनिक सुधार और पुनर्वास का काम शुरू हुआ।
सुंदरलाल कमेटी रिपोर्ट 1948 में हैदराबाद रियासत में हुए हिंसक घटनाओं और अत्याचारों पर तैयार की गई एक गोपनीय जाँच रिपोर्ट थी।
---
पृष्ठभूमि
सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो चलाकर हैदराबाद को भारत में मिला लिया।
उसके तुरंत बाद कई जगहों पर हिंदू-मुस्लिम हिंसा हुई, जिसमें हजारों लोग मारे गए।
हिंसा के आरोप सिर्फ रज़ाकारों (जो निज़ाम का समर्थन करते थे) पर ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना और स्थानीय मिलिशिया पर भी लगे।
इस स्थिति की सच्चाई जानने के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दो नेताओं को हैदराबाद भेजा:
1. पंडित सुंदरलाल (कांग्रेस नेता, गांधीवादी)
2. क़ाजी अब्दुल ग़फ्फ़ार (स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी)
---
कमेटी का काम
दिसंबर 1948 से जनवरी 1949 तक लगभग 7 हफ्तों तक हैदराबाद राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा किया।
पीड़ित परिवारों, गवाहों, स्थानीय नेताओं और प्रशासन से बात की।
अलग-अलग समुदायों के लोगों की गवाही ली।
---
मुख्य निष्कर्ष
हिंसा में 27,000 से 40,000 लोगों की मौत हुई, जिनमें बहुसंख्यक मारे गए लोग मुस्लिम थे, लेकिन हिंदुओं पर भी पहले रज़ाकारों द्वारा भारी अत्याचार हुए थे।
रज़ाकारों ने हैदराबाद के भारत में शामिल होने से पहले कई जगह हिंदुओं पर हमले, लूटपाट, बलात्कार, और मंदिर तोड़ने जैसी घटनाएँ की थीं।
भारतीय सेना के आने के बाद बदले की कार्रवाई में मुस्लिम गांवों पर हमले हुए, संपत्ति लूटी गई और धार्मिक स्थल नष्ट किए गए।
रिपोर्ट ने दोनों पक्षों की हिंसा को दर्ज किया, लेकिन यह मानना पड़ा कि रज़ाकारों का आतंक पहले से कई महीनों तक जारी था।
---
विशेष बातें
यह रिपोर्ट सरकार ने कभी सार्वजनिक नहीं की क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता था।
आज भी पूरी रिपोर्ट बहुत कम लोगों ने देखी है, लेकिन इसके कुछ हिस्से शोधकर्ताओं और इतिहासकारों ने प्रकाशित किए हैं।
रिपोर्ट का संतुलित दृष्टिकोण था: न तो रज़ाकारों के अपराध छिपाए, न ही सेना/स्थानीय लोगों की प्रतिशोधात्मक हिंसा।
अपना इतिहास जानो और सच्चे भारतीय बनो जिससे यह नौबत दोबारा ना आए
इस घटना पर बनी फिल्म देखकर आप रह जाएंगे दंग
https://youtu.be/XHC6HOBOG1E?si=PUDeCljlHCtse-MB
✍️DARA SINGH
Razakar Full Movie in Hindi Dubbed | Bobby Simha | Makarand Deshpande | Cheluva Raj | #...