Lafzon ki Potli

Lafzon ki Potli मन से मन तक शब्दों का तारतम्य,
ज्यों प्रेम हो धरा पर अनादि, अगम्य।

आप सभी को नववर्ष मंगलमय हो💐💐🙏🙏विग्रह से बचते हुए प्रतिभा संवर्धन तुम करो,सूर्य सम निष्काम कर्मके पथिक से तुम बनो,प्राणिम...
01/01/2025

आप सभी को नववर्ष मंगलमय हो💐💐🙏🙏

विग्रह से बचते हुए
प्रतिभा संवर्धन तुम करो,
सूर्य सम निष्काम कर्म
के पथिक से तुम बनो,

प्राणिमात्र से स्वत्व हेतु
धारणशक्ति के संवर्धनार्थ,
संयम और धैर्य को धारण कर
तुम धरा सम धीर बनो।

हो क्षीरपुत्र से अमृततत्व
हों कला कुशलताएं तुममें,
प्रतिदिन बढ़ते ओज संग
तुम शुक्ल पक्ष के चंद्र बनो।

हो भाव वृष्टि के संतुलन का
हो तुममें जल सी निर्मलता,
स्वऊर्जा का सदुपयोग कर
तुम शुद्ध रूप पावक से बनो।

मन को नभ सा दे विस्तार
तुम प्रीत की छाँव सदा रखना,
जिससे हो नित जीवन संचार
संजीवनी तुम वायु से बनो।

हे मनुज मनुजता धारण कर
अब नई सृष्टि का सृजन करो,
सृजनशक्ति का कर विकास
अपने ब्रम्ह तुम स्वयं बनो।

असुरता के निवारणार्थ
त्रैलोक्यमोहन का रूप धरो,
धारण कर व्यक्तित्व में शिवत्व
वाणी से वाग्विशुद्ध बनो।

©®
अलका निगम
लफ़्ज़ों की पोटली✍️✍️✍️
लखनऊ

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