Mizaaj Poetry

Mizaaj Poetry * Hindi Urdu Poetry (Vedios and Text)....
* Motivational Quotes...
* Litrature...
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सच में दिल थाम लेने वाली घटना....उमाशंकर और उनकी पत्नी लखनऊ से अयोध्या जा रहे थे, रास्ते में पत्नी बोली बुलेट में चलाऊंग...
17/09/2025

सच में दिल थाम लेने वाली घटना....

उमाशंकर और उनकी पत्नी लखनऊ से अयोध्या जा रहे थे, रास्ते में पत्नी बोली बुलेट में चलाऊंगी पति ने पत्नी को बुलेट दे दी और खुद पीछे बैठ गया थोड़ी दूर चलने के बाद ट्रक को ओवरटेक करने के चक्कर में मोहतरमा ने बुलेट शारदा नहर में कूँदा दी और 15 फीट गहरे पानी में दोनों डूबने लगे, आसपास निकल रहे लोगों ने पानी में कूदकर दोनों की जान बचाई

बचने के बाद की तस्वीर में पति-पत्नी ने एक-दूसरे को जोर से पकड़ा, जैसे इस हादसे ने उनके रिश्ते को और गहरा कर दिया हो.!!

बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना,आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना.!!एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,तुम ने देखा नहीं आँ...
12/09/2025

बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना,
आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना.!!

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना.!!

सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए,
वर्ना आसान था मेरे लिए बे-घर होना.!!

हम को मा'लूम है शोहरत की बुलंदी हम ने,
क़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना.!!

इस को क़िस्मत की ख़राबी ही कहा जाएगा,
आप का शहर में आना मिरा बाहर होना.!!

सोचता हूँ तो कहानी की तरह लगता है,
रास्ते से मिरा तकना तिरा छत पर होना.!!

मुझ को क़िस्मत ही पहुँचने नहीं देती वर्ना,
एक ए'ज़ाज़ है उस दर का गदागर होना.!!

सिर्फ़ तारीख़ बताने के लिए ज़िंदा हूँ,
अब मिरा घर में भी होना है कैलेंडर होना.!!

~मुनव्वर राना साहब ✍️✍️

~मुनव्वर राना साहब ✍️✍️
12/09/2025

~मुनव्वर राना साहब ✍️✍️

~महादेवी वर्मा ✍️✍️
12/09/2025

~महादेवी वर्मा ✍️✍️

12/09/2025

मंसूब चराग़ों से तरफ़-दार हवा के,
तुम लोग मुनाफ़िक़ हो मुनाफ़िक़ भी बला के.!!

क्यों ज़ब्त की बुनियाद हिलाने पे तुला है,
मैं फेंक न दूँ हिज्र तुझे आग लगा के.!!

इक ज़ूद-फ़रामोश की बे-फ़ैज़ मोहब्बत,
जाऊँगी गुज़रते हुए रावी में बहा के.!!

मैं अपने ख़द-ओ-ख़ाल ही पहचान न पाई,
गुज़रा है यहाँ वक़्त बड़ी धूल उड़ा के.!!

इस वक़्त मुझे 'उम्र-ए-रवाँ दर्द बहुत है,
तुझ से मैं निमटती हूँ ज़रा देर में आ के.!!

करती हूँ तर-ओ-ताज़ा हरी रुत के मनाज़िर,
काग़ज़ पे कभी पेड़ कभी फूल बना के.!!

~कोमल जोया ✍️✍️

~ओमप्रकाश वाल्मीकि ✍️✍️
12/09/2025

~ओमप्रकाश वाल्मीकि ✍️✍️

~सी. एस. लुईस ✍️✍️
12/09/2025

~सी. एस. लुईस ✍️✍️

11/09/2025

ये वो दुनिया है जहाँ झूट छुपाने के लिए,
लोग सच्चाई को सूली पे चढ़ा देते हैं..!!

~आरिफ़ आज़मी ✍️ ✍️

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Lucknow

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