13/01/2025
**कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महा कुंभ में अंतर**
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हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इसकी आवृत्ति और स्थान इसे अलग-अलग प्रकारों में विभाजित करते हैं।
1. **कुंभ मेला**
कुंभ मेला हर 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है। यह चार पवित्र स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक—में बारी-बारी से होता है। यह मेला करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आकर्षित करता है।
2. **अर्ध कुंभ मेला**
अर्ध कुंभ मेला, कुंभ मेले के बीच में, यानी हर 6 वर्ष में आयोजित किया जाता है। यह भी उन्हीं चार स्थानों पर होता है जहां कुंभ मेला होता है।
3. **पूर्ण कुंभ मेला**
पूर्ण कुंभ मेला हर 12 वर्ष में तब आयोजित होता है, जब बृहस्पति और सूर्य कुंभ राशि में होते हैं। यह आयोजन अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
4. **महा कुंभ मेला**
महा कुंभ मेला हर 144 वर्ष में आयोजित होता है। यह तब होता है, जब बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा कुंभ राशि में होते हैं। इसका आयोजन बहुत दुर्लभ है और करोड़ों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। इसे हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और अद्वितीय आयोजन माना जाता है।
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**महाकुंभ 2025**
*आयोजन का स्थान और समय**
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होगा। यह आयोजन 29 जनवरी 2025 से 08 मार्च 2025 तक चलेगा।
**ज्योतिषीय महत्व**
महाकुंभ की तिथि सूर्य और बृहस्पति की विशेष स्थिति के आधार पर तय होती है। यह आयोजन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखता है।
**शाही स्नान की तिथियां**
महाकुंभ 2025 के दौरान शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं:
- **13 जनवरी:** पौष पूर्णिमा
- **14 जनवरी:** मकर संक्रांति
- **29 जनवरी:** मौनी अमावस्या
- **03 फरवरी:** वसंत पंचमी
- **04 फरवरी:** अचला सप्तमी
- **12 फरवरी:** माघ पूर्णिमा
- **08 मार्च:** महाशिवरात्रि
**महत्व:**
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म की आध्यात्मिकता, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति का संकल्प लेते हैं।
🚩 **जय सत्य सनातन धर्म की जय हो!**