11/05/2025
युद्ध हुआ ही नहीं और युद्ध विराम हो गया ?
“अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्राम्फ़ के एक ऐलान से भारत पाक युद्ध (?) रुक गया । “ कमाल का “खेल “ खेला गया , युद्ध हुआ ही नहीं और युद्ध विराम हो गया ? ( पहलगांव नरसंहार से उपजी परिस्थिति ने दोनों मुल्कों के बीच तनाव पैदा कर दिया । बगैर किसी
“ अधिकारिक आरोप के “ । यह पहला मौक़ा है जब भारत सरकार या भारतीय गुप्त एजेंसियों ने देश और दुनिया के सामने आरोप लगाया हो कि भारत का हमसाया मुल्क पाकिस्तान और पाकिस्तान में पल रहे आतंकी लोगों ने पहलगांव नरसंहार के जिम्मेवार है । न कोई जांच हुई न जांच की रपट आई । पहलगांव नरसंहार पर किसी भी एक मुल्क ने यह नहीं माना , न घोषणा कि भारत में गाय इस आतंकी हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान है । ) चले थे विश्वगुरु बनने , बन गए आज्ञाकारी रोबोट । अमरीका ने सीज फायर का ऐलान किया दोनों मुल्क भारत पाकिस्तान बगैर देर किए जी हुजूर बोल कर अपने अपने हथियार डाल दिए ।
जनाबे आली ! यह तमाशा हुआ क्यों ? आज नहीं तो कल आपको इसका जवाब तो देना ही पड़ेगा । इतिहास के गर्भ से उठे सवालों से आप भाग नहीं सकते । आज अवाम किंकर्तव्य विमूढ़ खड़ी है उसके पास अनगिनत सवाल हैं , फुलवामा का गुनहगार कौन है ? सीमा तनाव पर हुए हमारे जांबाज़ सैनिकों के साथ क्या हुआ ? ऐनवक्त पर जब दो मुल्कों के तनाव पर राजनीति को फ़ैसला लेना था , तब तो राजनीति ने हथियार डाल दिए और ज़िम्मेदारी सेना के हवाले कर दी गई और जब सीजफायर की बात हुई तो सेना को बग़ल करके राजनीति एक पक्ष बन कर आ खड़ी हुई । ऐसे अनगिनत सवाल हैं जिसे जानता पूछ रही है । जानता यह भी पूछ रही है - मोदी सरकार की युद्धनीति क्या है ? अब तक भारत की युद्धनीति क्या रही ?
भारत की युद्धनीति
भारत युद्ध विरोधी , शांति और संपन्नता का वाहक रहा है । मनसा वाचा कर्मणा । आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक । इतिहास में यह कहीं भी नहीं मिलता कि भारत अपने साम्राज्य विस्तार के लिए कभी किसी दूसरे देश पर हमला किया हो , इसका मतलब यह नहीं कि भारत सैन्यशक्ति में कमजोर रहा , एक से बढ़ कर एक ताकतवर साम्राज्य भारत में राज करते रहे और जंग भी लड़े हैं लेकिन अपनी सीमा के अंदर , अपनी ताकत मजबूत ही मजबूत करते रहे हैं , दूसरे मुल्कों पर हमलावर नहीं हुए है । आजादी की लड़ाई लड़ते समय देश के एक मात्र नेता रहे महात्मा गांधी की युद्ध नीति को समझा जा सकता है ।गांधी जी कहना था - “ युद्ध से केवल विनाश और दुख पैदा होता है “ । आजादी के बाद का इतिहास इसी दिशा में चला है हम कभी भी हमलावर नहीं रहे , हम पर जब जब भी हमला हुआ हमने उसका जवाब दिया है । 1962 , 1965, आपके सामने है ।