
17/09/2025
देश का एक बड़ा कृषि संपन्न राज्य महाराष्ट्र भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। पिछले महीने से महाराष्ट्र के कई इलाकों में अतिवृष्टि का प्रकोप जारी थी लेकिन 10 सिंतबर के बाद की अतिवृष्टि और बाढ़ से तबाही जैसे हालात हो गए हैं। देश के 36 में से 30 जिले आपदा की चपेट में हैं। 340 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। 18 लाख हेक्टेयर में करोड़ों रुपए की फसलें बर्बाद हुई हैं। पंजाब (2 लाख हेक्टेयर) में भी भीषण आपदा थी लेकिन फसल नुकसान के संदर्भ ये किसानों का फसली नुकसान 10 गुना ज्यादा है।
सबसे ज्यादा नुकसान खानदेश और मराठवाड़ा में हुआ है। खानदेश के जलगांव में सबसे ज्यादा तबाही मची है। तो मराठवाड़ा में संभा जी नगर (औरंगाबाद) बीड़ जालना, लातूर, नांदेड़, धाराशिव में भारी नुकसान है।
महाराष्ट्र के 200 तालुका (तहसील) अब तक की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 18 लाख हेक्टयेर (45 लाख एकड़) में सोयाबीन, कपास, मक्का, अरहर और मूंगफली का भारी नुकसान हुआ है। अकेले जलगांव में ही 15-16 सितंबर की बारिश से 400 पशुओं की मौत की खबर है।
जलगांव पहुंचे जल संसाधन और आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने कहा है कि “सरकार पूरी तरह किसानों और ग्रामीणों के साथ खड़ी है। हर नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा और किसी भी प्रभावित परिवार को असहाय नहीं छोड़ा जाएगा।” कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे के बयान के मुताबिक अगस्त में हुए नुकसान के लिए पंचनामा भरके मुआवजा दिया जा चुका है, सितंबर में हुई आपदा और नुकसान के लिए आंकलन किया जा रहा है, किसानों को जल्द राहत राशि मिलेगी।
महाराष्ट्र में फसलों का हुआ नुकसान राष्ट्रीय स्तर पर दलहन और तिलहन का बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
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