
08/08/2025
एक छोटे से गाँव में, राहुल नाम का एक बहुत ही जिज्ञासु और बुद्धिमान लड़का रहता था। वह हमेशा "क्यों" और "कैसे" जैसे सवाल पूछता रहता था। जब आसमान में बिजली कड़कती थी, तो गाँव के लोग कहते थे कि यह ईश्वर का क्रोध है। लेकिन राहुल सोचता था कि ऐसा क्यों होता है? उसकी दादी, एक बहुत ही धार्मिक महिला थीं, उन्होंने उसे समझाया कि यह सब किस्मत और ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करता है।
"बेटा, हमें सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए," उसकी दादी कहतीं। "ईश्वर जो करता है, अच्छे के लिए ही करता है।"
लेकिन राहुल को यह बात कभी समझ नहीं आती थी। एक बार, गाँव में एक भयानक बाढ़ आई। सब कुछ बह गया, सिवाय एक पुराने बरगद के पेड़ के, जिसकी जड़ें बहुत गहरी थीं। गाँव के लोगों ने इसे एक चमत्कार माना और कहा कि यह ईश्वर की कृपा है। लेकिन राहुल ने ध्यान से देखा कि उस पेड़ की जड़ें कितनी मज़बूत थीं और वह पानी के बहाव से कैसे बच गया। उसने पाया कि यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि विज्ञान का नियम था।
कुछ सालों बाद, एक वैज्ञानिक गाँव में आया। वह एक नए प्रकार की खेती के बारे में बताने आया था, जो कम पानी में भी हो सकती थी। गाँव के लोगों ने कहा, "यह सब बेकार है। अगर किस्मत में होगा, तो फसल अच्छी होगी।" लेकिन राहुल ने उस वैज्ञानिक की बात सुनी और उसके साथ काम करना शुरू किया।
गाँव के लोगों ने राहुल का मज़ाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि वह ईश्वर पर भरोसा नहीं करता और एक दिन पछताएगा। लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी। उसने वैज्ञानिक तरीके अपनाए और अपनी ज़मीन पर नए तरीके से खेती शुरू की।
जब अगली फसल का समय आया, तो गाँव के बाकी खेतों में कुछ भी नहीं उगा, क्योंकि बारिश नहीं हुई थी। लेकिन राहुल के खेत में हरी-भरी फसल लहलहा रही थी। गाँव के लोग हैरान थे। उन्होंने देखा कि किस्मत और ईश्वर पर भरोसा करने की बजाय, राहुल ने अपनी मेहनत और वैज्ञानिक सोच से अपनी किस्मत खुद लिखी थी।
उस दिन, गाँव वालों को यह समझ आया कि वैज्ञानिक चेतना और तर्क, किस्मत और ईश्वर पर अंधी आस्था से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। और राहुल, जिसने बचपन से ही 'क्यों' पूछना नहीं छोड़ा था, अब पूरे गाँव का आदर्श बन गया था।
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