15/10/2025
ऋग्वेद के 10वें मण्डल का 129वां सूक्त है नासदीय सूक्त,इस सूक्त में प्रश्न ही प्रश्न है,एक अभीप्सा है अस्तित्व को जानने की,उसका उद्गम,उसका अभिप्राय,प्रयोजन जानने की,इस सूक्त में सृष्टि-रचना की मौलिक संकल्पनाओं को जिज्ञासा के रोचक स्वर देते नासदीय सूक्त के कुल 7 मन्त्र है, पढ़ने के बाद आपको लगेगा कि यह सूक्त कोई कनक्लूजन नहीं देता,बस उत्कंठा पैदा करता है इस सृष्टि को समझने की,अद्भुत है यह सूक्त।
दूरदर्शन पर एक धारावाहिक आता था "भारत एक खोज" श्याम बेनेगल के निर्देशन में,जो नेहरू जी की प्रसिद्ध पुस्तक "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" पर आधारित था,उस धारावाहिक के शुरू में ऋग्वेद के नासदीय सूक्त पहला मंत्र पढ़ा जाता था,जिसका वसंतदेव कृत भावानुवाद भी सस्वर पढ़ा जाता था:-
नासदासीनन्नोसदासीत्तानीम नासीद्रोजो नो व्योमा परो यत।
किमावरीव: कुहकस्यशर्मन्नम्भ: किमासीद्गगहनं गभीरम्।।
सृष्टि से पहले सत् नहीं था
असत् भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं
आकाश भी नहीं था।
छिपा था क्या, कहाँ
किसने ढका था
उस पल तो अगम,अतल
जल भी कहाँ था?