11/07/2025
राम राम मित्रों 🙏🙏🙏
हनुमान जी और श्रीराम जी की पहली भेंट की कथा बहुत ही रोचक, भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण है। यह प्रसंग रामायण के किष्किंधा कांड में आता है, जब श्रीराम सीता जी की खोज में लक्ष्मण जी के साथ वन-वन भटक रहे होते हैं। आइए इस कथा को विस्तार से जानते हैं:
🌿 कथा: जब श्रीराम जी से हनुमान जी पहली बार मिले
जब रावण सीता जी का हरण कर ले गया, तब श्रीराम उन्हें ढूंढते हुए लक्ष्मण जी के साथ दक्षिण दिशा की ओर जा रहे थे। चलते-चलते वे ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुँचे। उसी पर्वत के पास वानरराज सुग्रीव अपने साथियों सहित निवास कर रहे थे।
सुग्रीव ने जब दूर से श्रीराम और लक्ष्मण को देखा, तो डर गया, क्योंकि उसे लगा कि ये लोग शायद बालि के भेजे हुए सैनिक हैं। उसने हनुमान जी को ब्राह्मण वेश में भेजा ताकि वे इन दोनों पुरुषों का परिचय लेकर आएँ।
हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण करके श्रीराम और लक्ष्मण के पास पहुँचे। उन्होंने बहुत ही मधुर और संस्कृत भाषा में वार्तालाप शुरू किया। उनकी भाषा, उनका ज्ञान, और उनके भाव देखकर श्रीराम अत्यंत प्रभावित हुए।
श्रीराम ने कहा:
“तुम वाक् पटु (बोलने में कुशल) हो, तुम्हारे जैसे वचन वेद पाठी ब्राह्मण ही बोल सकते हैं। तुम्हारे जैसे बुद्धिमान, विनम्र और ज्ञानी व्यक्ति को देखना सौभाग्य की बात है। बताओ, तुम कौन हो?”
तब हनुमान जी ने अपना असली परिचय दिया और बताया कि वे वानरराज सुग्रीव के दूत हैं और राम-लक्ष्मण से मित्रता करवाने आए हैं।
🌸 श्रीराम-हनुमान मिलन का महत्व:
भक्ति और सेवा की शुरुआत: यही वह क्षण था जब हनुमान जी ने श्रीराम को अपना आराध्य मान लिया और जीवन भर उनकी सेवा करने का व्रत लिया।
राम-भक्त हनुमान: इस भेंट के बाद ही हनुमान जी ने सीता जी की खोज, लंका दहन, और युद्ध में अद्भुत सेवाएँ दीं।
विनम्रता और ज्ञान का उदाहरण: हनुमान जी ने भले ही शक्ति और चमत्कारों से भरा जीवन जिया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी उनकी विनम्रता और भक्ति।
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