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वही हैं और उनको नही मानते मतलब ईश्वर और कहीं नहीं

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को 🙏🙏🙏
09/08/2025

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को 🙏🙏🙏

जय मां काली 🙏🙏🙏        ゚            #पोस्ट
02/08/2025

जय मां काली 🙏🙏🙏
゚ #पोस्ट

01/08/2025
25/07/2025

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महादेव की भक्ति में ही सच्ची शांति है 🙏🙏🙏🙏🙏 हर हर महादेव शंभु 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌟💫🌈🕉️✨
20/07/2025

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जय माता दी 🙏  #पोस्ट
15/07/2025

जय माता दी 🙏
#पोस्ट

JAI MATA DI 🙏🙏🙏 माता काली को देवी शक्ति का एक रूप माना जाता है, जो अपने शत्रुओं को हराने और अपने भक्तों की रक्षा करने के...
13/07/2025

JAI MATA DI 🙏🙏🙏
माता काली को देवी शक्ति का एक रूप माना जाता है, जो अपने शत्रुओं को हराने और अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रकट होती हैं।

देवी शक्ति ने अपने शत्रु रक्तबीज को हराने के लिए महाकाली के रूप में अवतार लिया था। रक्तबीज एक शक्तिशाली असुर था, जिसने अपने रक्त से नए-नए असुरों को जन्म देने की शक्ति प्राप्त की थी।

माता काली ने रक्तबीज को हराने के लिए अपनी शक्ति और तेजी का उपयोग किया, और उसे अपने त्रिशूल से वध किया। रक्तबीज के रक्त से नए-नए असुर प्रकट होने लगे, लेकिन महाकाली ने अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग किया।

अंत में, महाकाली ने रक्तबीज को हरा दिया, और अपने भक्तों की रक्षा की। इस तरह, महाकाली की कहानी हमें यह सिखाती है कि देवी शक्ति की शक्ति और सौर्य अनंत है, और वह अपने शत्रुओं को हमेशा हराती है।

माता काली की पूजा और उपासना करने से हमें शक्ति, सौर्य, और निर्भयता की प्राप्ति होती है। महाकाली की कृपा से हम अपने शत्रुओं को हरा सकते हैं, और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

अच्छा खासा इंस्टा पर रील का कारोबार चल रहा था फिर अमेरिका गई और .....😜
12/07/2025

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11/07/2025

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राम राम मित्रों 🙏🙏🙏हनुमान जी और श्रीराम जी की पहली भेंट की कथा बहुत ही रोचक, भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण है। यह प्रसं...
11/07/2025

राम राम मित्रों 🙏🙏🙏
हनुमान जी और श्रीराम जी की पहली भेंट की कथा बहुत ही रोचक, भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण है। यह प्रसंग रामायण के किष्किंधा कांड में आता है, जब श्रीराम सीता जी की खोज में लक्ष्मण जी के साथ वन-वन भटक रहे होते हैं। आइए इस कथा को विस्तार से जानते हैं:

🌿 कथा: जब श्रीराम जी से हनुमान जी पहली बार मिले
जब रावण सीता जी का हरण कर ले गया, तब श्रीराम उन्हें ढूंढते हुए लक्ष्मण जी के साथ दक्षिण दिशा की ओर जा रहे थे। चलते-चलते वे ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुँचे। उसी पर्वत के पास वानरराज सुग्रीव अपने साथियों सहित निवास कर रहे थे।

सुग्रीव ने जब दूर से श्रीराम और लक्ष्मण को देखा, तो डर गया, क्योंकि उसे लगा कि ये लोग शायद बालि के भेजे हुए सैनिक हैं। उसने हनुमान जी को ब्राह्मण वेश में भेजा ताकि वे इन दोनों पुरुषों का परिचय लेकर आएँ।

हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण करके श्रीराम और लक्ष्मण के पास पहुँचे। उन्होंने बहुत ही मधुर और संस्कृत भाषा में वार्तालाप शुरू किया। उनकी भाषा, उनका ज्ञान, और उनके भाव देखकर श्रीराम अत्यंत प्रभावित हुए।

श्रीराम ने कहा:

“तुम वाक् पटु (बोलने में कुशल) हो, तुम्हारे जैसे वचन वेद पाठी ब्राह्मण ही बोल सकते हैं। तुम्हारे जैसे बुद्धिमान, विनम्र और ज्ञानी व्यक्ति को देखना सौभाग्य की बात है। बताओ, तुम कौन हो?”

तब हनुमान जी ने अपना असली परिचय दिया और बताया कि वे वानरराज सुग्रीव के दूत हैं और राम-लक्ष्मण से मित्रता करवाने आए हैं।

🌸 श्रीराम-हनुमान मिलन का महत्व:
भक्ति और सेवा की शुरुआत: यही वह क्षण था जब हनुमान जी ने श्रीराम को अपना आराध्य मान लिया और जीवन भर उनकी सेवा करने का व्रत लिया।

राम-भक्त हनुमान: इस भेंट के बाद ही हनुमान जी ने सीता जी की खोज, लंका दहन, और युद्ध में अद्भुत सेवाएँ दीं।

विनम्रता और ज्ञान का उदाहरण: हनुमान जी ने भले ही शक्ति और चमत्कारों से भरा जीवन जिया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी उनकी विनम्रता और भक्ति।
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