
13/09/2025
वो 15 दिन जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी...
क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ पंद्रह दिन की कोई बातचीत आपकी पूरी ज़िंदगी बदल सकती है? मैं भी नहीं सोच सकती थी कि इतने कम दिनों में कोई इंसान मेरी सोच, मेरे फैसलों और मेरे आत्मविश्वास को इतना बदल देगा कि मैं खुद को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और समझदार महसूस करूँ।
मेरा नाम नीहा है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में मेरी परवरिश हुई। बचपन से ही मुझे यह सिखाया गया था कि लड़के गंदे होते हैं और उनसे केवल काम भर की बातें करनी चाहिए। यह बात मेरे दिमाग में इतनी गहराई से बसी हुई थी कि जब कोई लड़का मुझसे हँसकर कुछ कहता, तो मेरे दिल में डर और झिझक पैदा हो जाती।
इस साल मैंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। मेरे पापा, भाई और मां मेरी शादी के लिए रिश्ते देख रहे थे। छोटे शहर में ग्रेजुएशन खत्म होते ही शादी की बात चलना आम बात थी। परिवार के सभी सदस्य मेरी भलाई चाहते थे, लेकिन मैं हमेशा से यह महसूस करती थी कि किसी भी रिश्ते में जाने से पहले मेरी अपनी समझ और सोच बहुत जरूरी है।
एक दिन, मेरे भाई ने फेसबुक पर आदित्य नाम के एक लड़के की प्रोफ़ाइल देखी। आदित्य दिखने में सुंदर, पढ़े-लिखे और बहुत ही शांत स्वभाव वाले थे। उनके परिवार ने दहेज की कोई मांग नहीं की थी, जो हमारे लिए बहुत बड़ी राहत थी। मेरे भाई को यह रिश्ता बहुत पसंद आया और उन्होंने घर में शादी की बात शुरू कर दी। आदित्य ने कहा कि वे शादी से पहले मुझसे कुछ बातें करना चाहते हैं। मेरे भाई ने मुझे बताया और मैं थोड़ी हिचकिचाहट के साथ हामी भर दी।
आदित्य ने मुझे फोन किया। पहली बार किसी लड़के से इतनी खुली बातचीत करना मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था। मुझे नहीं पता था कि कैसे जवाब दूँ, क्योंकि मेरे दिमाग में यह हमेशा बसा था कि लड़के गंदे होते हैं। पर जैसे-जैसे हमने बातचीत शुरू की, मैं महसूस करने लगी कि आदित्य अलग हैं। उनके शब्दों में गंभीरता, समझ और अनुभव था। वह सात साल बड़े थे, और जीवन के हर पहलू को जानने और समझने का उनका तरीका मेरे लिए नए दृष्टिकोण खोल रहा था।
कुछ समय बाद मेरे परिवार वाले आदित्य के घर उनसे और उनके परिवार से मिलने गए। उन्होंने आदित्य और उनके परिवार को देखकर बहुत प्रभावित हुए। आदित्य का घर साफ-सुथरा, और उनका परिवार बहुत मिलनसार था। पापा ने मुस्कुराते हुए कहा कि लड़का अपने नाम के हिसाब से भी सुंदर और समझदार है।
लेकिन उसके बाद जो हुआ, उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। आदित्य के घर से फोन आया कि वे हमारे घर आने में थोड़ा समय लेंगे, और अगर हम ठीक समझे, तो हम अन्य लड़कों को भी देख सकते हैं। मेरे भाई और पापा को यह सुनकर थोड़ा झटका लगा। मुझे समझ में आया कि शायद मुझे इस बातचीत को लेकर कुछ गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
मैंने आदित्य को फोन किया और सीधे पूछा कि क्या हुआ। आदित्य ने धीरे-धीरे समझाया कि मुझे पहले खुद को और समाज को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर मैं पढ़ाई और समाज की गहरी समझ हासिल कर लूँ, तो मैं अपने लिए भी बेहतर भविष्य चुन सकती हूँ।
उस दिन की उनकी बातें मेरे दिमाग में गूंजती रहीं। मैं अपने दोस्तों से बात करने लगी, जिन्होंने पहले से शादी की थी और समाज में अपने फैसले लेकर खुश थे। धीरे-धीरे मुझे यह समझ में आया कि आदित्य की सलाह सच थी।
मैंने एमसीए में दाखिला लिया और कॉलेज जाने लगी। वहां मुझे समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिला। मैंने सीखा कि सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि लोगों की सोच, परिस्थितियों और जीवन के व्यावहारिक पहलुओं को समझना भी ज़रूरी है।
तीन साल बाद मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी कंपनी में नौकरी पाई। उन तीन सालों में, आदित्य की वह पंद्रह दिन की बातचीत हमेशा मेरे साथ रही। उन्होंने मुझे केवल एक रिश्ता नहीं दिया, बल्कि मुझे एक स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और समझदार लड़की बनाया।
आज भी, शादी के लिए कई रिश्ते आते हैं, लेकिन आदित्य से हुई वह छोटी-सी बातचीत मेरे दिल और दिमाग में हमेशा ताज़ा रहती है। अगर आज मैं उन्हें देख पाऊँ, तो मैं उन्हें गले लगाकर धन्यवाद कहती। कभी-कभी मुझे लगता है कि भगवान ने आदित्य को मेरी ज़िंदगी में एक मकसद के लिए भेजा था, और वह मकसद पूरा होते ही वे मेरी ज़िंदगी से चले गए।
इस कहानी को मैंने इस पेज पर शेयर किया है ताकि आप जान सकें कि कभी-कभी छोटी-सी सीख, छोटे-से अनुभव और पंद्रह दिन की बातचीत भी आपकी पूरी ज़िंदगी बदल सकती है।