27/09/2025
#तराई की माटी से उठी #आत्मनिर्भरता की सुगंध, यूपी ट्रेड शो में थारू संस्कृति बनी प्रेरणा का प्रतीक
#थारू #संस्कृति ने बढ़ाया #यूपीइंटरनेशनलट्रेडशो 2025 का मान
#ग्रेटरनोएडा.....ग्रेटर नोएडा के भव्य प्रांगण में जब यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 का परदा उठा तो लगा मानो पूरा उत्तर प्रदेश अपनी #विविधताओं के साथ एक ही छत के नीचे आ गया हो। जहाँ एक ओर तकनीक और नवाचार ने आगंतुकों को चकित किया, वहीं दूसरी ओर लोकसंस्कृति की सोंधी सुगंध ने हर किसी का मन मोह लिया।
इसी सांस्कृतिक गंगा-यमुना में खीरी जनपद की थारू जनजाति का योगदान किसी पुष्प की मधुर सुगंध सा रहा। मूंज और सनई की डालियों से बनी टोकरियाँ, चटाइयाँ, आसन, रोटी बॉक्स और जलकुंभी की बनी टोपी इन सबने आधुनिक दुनिया को यह संदेश दिया कि परंपरा और प्रकृति से जुड़कर भी जीवन कितना सुंदर और सार्थक हो सकता है। तराई वेलफेयर एसोसिएशन के विवेक श्रीवास्तव ‘विक्कू’ जब थारू महिलाओं के स्टाल पर पहुँचे तो उनकी आँखों में गर्व और आत्मीयता छलक उठी। उन्होंने कहा "यह सिर्फ एक ट्रेड शो नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की उस पुण्य धरा का प्रतिरूप है, जहाँ हर जनपद, हर संस्कृति अपनी पहचान लिए खड़ी है।" लखीमपुर नौरंगाबाद मोहल्ले की टीचर लक्ष्मी यादव, odop के ऑफिस कॉर्डिनेटर, पलिया के भुवन शर्मा खीरी जनपद का उत्साह बढ़ाते नजर आए, वहीं, थारू जनजाति की रामकली ने बड़े आत्मविश्वास से बताया कि “हमारी जनजाति की 75 महिलाएँ मिलकर ये उत्पाद तैयार कर रही हैं। यह सिर्फ रोज़गार नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, हमारी आत्मा है जिसे हम देश-दुनिया तक पहुँचाना चाहती हैं।” रामदुलारी, सुखी देवी और उनके जैसी असंख्य महिलाएँ अपने हुनर से न केवल आत्मनिर्भरता की मिसाल गढ़ रही हैं, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को सजीव रूप दे रही हैं। उनके चेहरे पर सादगी भरी मुस्कान और आँखों में उज्जवल भविष्य का सपना देखकर हर आगंतुक अभिभूत हो उठा। आज जब डिजिटल युग में सब कुछ एक क्लिक पर उपलब्ध है, तो इन थारू उत्पादों को आकांक्षा स्टोर, लखीमपुर के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से भी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह दृश्य किसी साधारण प्रदर्शनी का नहीं था, यह तो आत्मनिर्भर भारत के उस जीवंत स्वप्न का प्रतीक था, जहाँ संस्कृति और नवाचार साथ-साथ चलकर समाज को नई दिशा देते हैं। थारू जनजाति का यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि असली समृद्धि हमारे खेतों, जंगलों और लोककला में ही बसी है।