10/08/2025
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शादी न होने के योग बनते हैं, तो ज्योतिष में इसे विवाह में दोष (Dosha) या शादी में विलंब/अवरोध कहा जाता है। इसके पीछे कई ज्योतिषीय कारण (योग या दोष) हो सकते हैं।
यहाँ पर मैं प्रमुख कुंडली दोष और संकेत दे रहा हूँ जो यह दिखा सकते हैं कि शादी में रुकावट, बहुत देर, या शादी ही न हो पाने की संभावना है:
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🔍 शादी न होने के प्रमुख कुंडली दोष (Jyotish Reasons)
1. सप्तम भाव (7th House) में दोष
यह घर शादी का प्रमुख स्थान होता है।
यदि इसमें राहु, केतु, शनि, सूर्य या मंगल बैठे हों, या इनकी दृष्टि हो तो यह विवाह में बाधा डाल सकते हैं।
यदि सप्तम भाव शून्य (empty) हो और उसका स्वामी भी कमजोर या पाप ग्रहों से ग्रस्त हो, तो शादी नहीं होने का योग बनता है।
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2. शुक्र (Venus) या गुरु (Jupiter) कमजोर होना
पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में गुरु शादी के लिए महत्वपूर्ण ग्रह हैं।
अगर ये नीच राशि में, अस्त (combust), शत्रु राशि में या राहु-केतु से ग्रसित हों, तो विवाह में रुकावट आती है।
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3. मंगल दोष (Mangal Dosh)
अगर कुंडली में मंगल 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में है, तो 'मांगलिक दोष' बनता है।
यह दोष शादी में देर, तनाव, तलाक, या शादी न होने तक के कारण बन सकता है।
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4. शनि का प्रभाव
शनि अगर सप्तम भाव में बैठा हो या सप्तम भाव के स्वामी को प्रभावित कर रहा हो, तो शादी टलती रहती है।
यह देरी, ठंडापन, अकेलापन और मानसिक द्वंद्व ला सकता है।
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5. दशा/अंतर्दशा का प्रभाव
यदि कुंडली में शादी के योग हों लेकिन उस समय शनि, राहु, केतु, या मंगल की दशा चल रही हो, तो शादी में देरी हो सकती है या प्रस्ताव बार-बार टूट सकते हैं।
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6. राहु/केतु की विशेष स्थिति
राहु या केतु अगर लग्न और सप्तम के अक्ष (axis) पर हों, तो यह शादी में भ्रम, असमर्थता या अलगाव की भावना ला सकते हैं।
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🧿 संकेत जो शादी नहीं होने की ओर इशारा करते हैं:
संकेत अर्थ
7वें भाव में शनि-केतु शादी में देर, असफल प्रेम
गुरु और शुक्र दोनों नीच या पाप दृष्ट शादी से विरक्ति, संयास योग
बार-बार रिश्ता बनकर टूट जाना राहु/केतु या शनि की भूमिका
कोई ग्रह 7वें भाव के स्वामी को न देख रहा हो शादी का योग कमजोर
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🕉 उपाय यदि कुंडली में शादी न होने के योग हों:
> याद रखें: दोष होने का अर्थ यह नहीं कि शादी नहीं होगी। उपाय और सही समय पर निर्णय से बहुत कुछ सुधर सकता है।
ज्योतिषीय उपाय:
1. शुक्र या गुरु के बीज मंत्र का जाप
2. ग्रह शांति पाठ या नवग्रह पूजा
3. मंगल दोष हो तो – मंगल शांति कराएं, हनुमान चालीसा का पाठ करें
4. शिव-पार्वती की पूजा करें – विशेष रूप से सोमवार को
5. रत्न धारण – जैसे पुखराज (Jupiter) या ओपल (Venus) — लेकिन कुंडली देखकर ही
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