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11/08/2025
🌌 भगवान विष्णु के ग्रह-संबंधित अवतार (Navagraha & Vishnu's Avatars)हिंदू धर्म में नौ ग्रहों (नवग्रह) का गहरा महत्व है। क...
11/08/2025

🌌 भगवान विष्णु के ग्रह-संबंधित अवतार (Navagraha & Vishnu's Avatars)

हिंदू धर्म में नौ ग्रहों (नवग्रह) का गहरा महत्व है। कई विद्वान और ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के दशावतार को नवग्रहों से जोड़ा गया है, जहाँ हर अवतार किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।

यहाँ एक पारंपरिक सूची दी गई है जिसमें दशावतार और नवग्रहों का संबंध बताया गया है:

क्रम भगवान विष्णु का अवतार संबंधित ग्रह

1. मत्स्य अवतार केतु
2. कूर्म अवतार शनि (Saturn)
3. वराह अवतार राहु
4. नृसिंह अवतार मंगल (Mars)
5. वामन अवतार बृहस्पति (Jupiter)
6. परशुराम अवतार शुक्र (Venus)
7. श्रीराम अवतार सूर्य (Sun)
8. श्रीकृष्ण अवतार चंद्रमा (Moon)
9. बुद्ध अवतार बुध (Mercury)
10. कल्कि अवतार (आने वाला) लग्न/राशि स्वामी (या सर्वग्रह प्रतिनिधि)

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🔍 संक्षिप्त व्याख्या:

1. मत्स्य = केतु
रहस्यमय, गूढ़ ज्ञान और जल से जुड़ी शक्ति।

2. कूर्म = शनि
धैर्य, तपस्या और सहनशीलता का प्रतीक।

3. वराह = राहु
अंधकार में से पृथ्वी को निकालना – राहु की छाया शक्ति का प्रतिनिधित्व।

4. नृसिंह = मंगल
आक्रोश, शक्ति और युद्ध का प्रतीक।

5. वामन = बृहस्पति
ज्ञान, धर्म और ब्रह्मत्व।

6. परशुराम = शुक्र
भौतिक शक्ति और कला।

7. राम = सूर्य
धर्मराज, आदर्श और मर्यादा पुरुषोत्तम।

8. कृष्ण = चंद्रमा
सौंदर्य, भाव, प्रेम और चंचलता।

9. बुद्ध = बुध
विवेक, तर्क, ज्ञान और संवाद।

10. कल्कि = सर्वग्रह / काल
धर्म की पूर्ण पुनर्स्थापना – समस्त ग्रहों का संतुलन।

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📚 यह विचार कहाँ से आया?

यह संबंध विशेष रूप से पारंपरिक वैदिक विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों और कुछ तांत्रिक परंपराओं में प्रचलित है।

ग्रंथों में प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, परंतु यह अंतःसंवादात्मक प्रतीकवाद (symbolism) के आधार पर स्वीकार किया गया है।

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🧠 क्या यह कोई एकमात्र मान्यता है?

नहीं, यह एक वैदिक दृष्टिकोण से प्रतीकात्मक व्याख्या है। अन्य परंपराएँ या स्कूल (जैसे दक्षिण भारत की वैष्णव परंपरा) इस सूची को अलग तरह से देख सकते हैं।

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🙏 निष्कर्ष:

भगवान विष्णु के दशावतारों को नवग्रहों से जोड़ा गया है, जिससे यह समझा जा सके कि भगवान विष्णु सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय व्यवस्था के नियंत्रक हैं – वे ही ग्रह हैं, और वे ही उनसे परे।

Jai shree Ram
10/08/2025

Jai shree Ram

10/08/2025

यहाँ चाणक्य नीति (Chanakya Niti) से कुछ ऐसे श्लोक और विचार दिए जा रहे हैं जो महिलाओं के संदर्भ में धोखे या अविश्वास से जुड़े हुए हैं। कृपया ध्यान रखें कि ये विचार प्राचीन समय की सामाजिक स्थितियों और राजनीति पर आधारित हैं और इन्हें आज के आधुनिक समाज में आलोचनात्मक दृष्टिकोण से समझना चाहिए, न कि महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए।

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🛑 चाणक्य नीति में स्त्रियों से जुड़े कुछ प्रसिद्ध श्लोक (धोखे से संबंधित):

1.

"विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।"
(Chanakya Niti – Chapter 1, Verse 15)
👉 हिंदी अर्थ: स्त्रियों और राजघराने के लोगों पर कभी भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए।

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2.

"न हि स्त्रीणां सखा कश्चिद् विश्वासः केवलं मृग्यते।"
👉 हिंदी अर्थ: स्त्रियों की मित्रता या प्रेम में विश्वास सच्चे हृदय से नहीं होता, वह केवल दिखावा होता है।

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3.

"स्त्रियः कूटेन भाषन्ते रमन्ते चापि कूटतः।
प्रणयन्ति च कूटेन, तस्मात् स्त्रीभ्यो न विश्वसेत्॥"
👉 हिंदी अर्थ: स्त्रियाँ छल से बोलती हैं, छल से प्रेम जताती हैं, और छल से ही आकर्षित करती हैं। इसलिए उन पर अधिक विश्वास नहीं करना चाहिए।

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> ⚠️ महत्वपूर्ण चेतावनी:
ये विचार चाणक्य की राजनीतिक रणनीतियों और उनके समय के अनुभव पर आधारित हैं। ये सभी महिलाएँ या आधुनिक संबंधों पर लागू नहीं होते। आज के सामाजिक संदर्भ में, हर व्यक्ति का मूल्यांकन उनके कर्म, सोच और व्यवहार के आधार पर किया जाना चाहिए – न कि लिंग के आधार पर।

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✅ यदि आप चाहें, तो मैं चाणक्य नीति के कुछ संतुलित और सकारात्मक श्लोक भी बता सकता हूँ, जो जीवन में विश्वास, चरित्र और रिश्तों को सही दिशा में समझने में मदद करते हैं।

क्या आप उसमें रुचि रखते हैं?

10/08/2025

चाणक्य नीति में पति को धोखा देने वाली स्त्री पर विचार

🔸 1. विश्वासघात करने वाली स्त्री के लक्षण

> "विश्वासघातिनी स्त्री न केवल अपने पति का नाश करती है, बल्कि उसके कुल और सम्मान को भी मिटा देती है।"

चाणक्य कहते हैं कि यदि स्त्री अपने पति के विश्वास को तोड़ती है, तो यह घातक और अपमानजनक होता है। वह सिर्फ अपने पति के जीवन को नहीं, बल्कि पूरे परिवार और प्रतिष्ठा को डुबो सकती है।

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🔸 2. स्त्री के आचरण पर चाणक्य का मत

> “न स्त्री स्वातंत्र्यमर्हति।”
(अर्थ: स्त्री को पूरी स्वतंत्रता नहीं देनी चाहिए)

इसका आधुनिक अर्थ यह नहीं कि स्त्री को बंदी बनाना चाहिए, बल्कि यह संकेत है कि स्त्री और पुरुष दोनों को अपने आचरण में संयम और मर्यादा रखनी चाहिए, क्योंकि असंयम ही धोखे की ओर ले जाता है।

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🔸 3. धोखा देने वाली स्त्री से कैसे बचें?

चाणक्य ने संकेत दिए हैं कि ऐसी स्त्री से सावधान रहना चाहिए:

जो बिना कारण बार-बार बाहर जाए

जो पति से बात छुपाए

जिसे घर के सुख में रुचि न हो

जो दूसरे पुरुषों में रुचि ले

> "जो स्त्री अपने पति की सेवा नहीं करती, वह केवल दुःख और विनाश का कारण बनती है।"

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🔸 4. क्या करना चाहिए अगर पत्नी धोखा दे?

चाणक्य का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट और कठोर है:

> “जहाँ सम्मान नहीं वहाँ रहना व्यर्थ है।”
(यदि पत्नी आपके साथ ईमानदार नहीं है, तो ऐसे संबंध में टिके रहना व्यर्थ है।)

चाणक्य यहाँ यह सलाह देते हैं कि:

ऐसे रिश्ते से बाहर निकल जाना बेहतर है जो सम्मान और विश्वास से खाली हो।

समाज से नहीं, स्वयं के आत्म-सम्मान से समझौता करना सबसे बड़ी मूर्खता है।

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🔚 निष्कर्ष: चाणक्य की नजर में पत्नी द्वारा धोखा

🔹 स्थिति 🔸 चाणक्य की नीति

पत्नी ईमानदार परिवार का उत्थान
पत्नी धोखेबाज कुल का नाश
सम्मान नहीं वहाँ रहना मूर्खता
पत्नी संयमी सौभाग्य का कारण

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🧘‍♂️ यदि आप ऐसी स्थिति में हैं:

1. तथ्यों पर भरोसा करें, भावनाओं पर नहीं।

2. खुद से सवाल पूछें: क्या यह रिश्ता आगे चल सकता है?

3. अगर शक हो, पहले संवाद करें – निर्णय बाद में।

4. किसी योग्य मार्गदर्शक, काउंसलर या गुरु से सलाह लें।

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10/08/2025

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शादी न होने के योग बनते हैं, तो ज्योतिष में इसे विवाह में दोष (Dosha) या शादी में विलंब/अवरोध कहा जाता है। इसके पीछे कई ज्योतिषीय कारण (योग या दोष) हो सकते हैं।

यहाँ पर मैं प्रमुख कुंडली दोष और संकेत दे रहा हूँ जो यह दिखा सकते हैं कि शादी में रुकावट, बहुत देर, या शादी ही न हो पाने की संभावना है:

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🔍 शादी न होने के प्रमुख कुंडली दोष (Jyotish Reasons)

1. सप्तम भाव (7th House) में दोष

यह घर शादी का प्रमुख स्थान होता है।

यदि इसमें राहु, केतु, शनि, सूर्य या मंगल बैठे हों, या इनकी दृष्टि हो तो यह विवाह में बाधा डाल सकते हैं।

यदि सप्तम भाव शून्य (empty) हो और उसका स्वामी भी कमजोर या पाप ग्रहों से ग्रस्त हो, तो शादी नहीं होने का योग बनता है।

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2. शुक्र (Venus) या गुरु (Jupiter) कमजोर होना

पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में गुरु शादी के लिए महत्वपूर्ण ग्रह हैं।

अगर ये नीच राशि में, अस्त (combust), शत्रु राशि में या राहु-केतु से ग्रसित हों, तो विवाह में रुकावट आती है।

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3. मंगल दोष (Mangal Dosh)

अगर कुंडली में मंगल 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में है, तो 'मांगलिक दोष' बनता है।

यह दोष शादी में देर, तनाव, तलाक, या शादी न होने तक के कारण बन सकता है।

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4. शनि का प्रभाव

शनि अगर सप्तम भाव में बैठा हो या सप्तम भाव के स्वामी को प्रभावित कर रहा हो, तो शादी टलती रहती है।

यह देरी, ठंडापन, अकेलापन और मानसिक द्वंद्व ला सकता है।

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5. दशा/अंतर्दशा का प्रभाव

यदि कुंडली में शादी के योग हों लेकिन उस समय शनि, राहु, केतु, या मंगल की दशा चल रही हो, तो शादी में देरी हो सकती है या प्रस्ताव बार-बार टूट सकते हैं।

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6. राहु/केतु की विशेष स्थिति

राहु या केतु अगर लग्न और सप्तम के अक्ष (axis) पर हों, तो यह शादी में भ्रम, असमर्थता या अलगाव की भावना ला सकते हैं।

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🧿 संकेत जो शादी नहीं होने की ओर इशारा करते हैं:

संकेत अर्थ

7वें भाव में शनि-केतु शादी में देर, असफल प्रेम
गुरु और शुक्र दोनों नीच या पाप दृष्ट शादी से विरक्ति, संयास योग
बार-बार रिश्ता बनकर टूट जाना राहु/केतु या शनि की भूमिका
कोई ग्रह 7वें भाव के स्वामी को न देख रहा हो शादी का योग कमजोर

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🕉 उपाय यदि कुंडली में शादी न होने के योग हों:

> याद रखें: दोष होने का अर्थ यह नहीं कि शादी नहीं होगी। उपाय और सही समय पर निर्णय से बहुत कुछ सुधर सकता है।

ज्योतिषीय उपाय:

1. शुक्र या गुरु के बीज मंत्र का जाप

2. ग्रह शांति पाठ या नवग्रह पूजा

3. मंगल दोष हो तो – मंगल शांति कराएं, हनुमान चालीसा का पाठ करें

4. शिव-पार्वती की पूजा करें – विशेष रूप से सोमवार को

5. रत्न धारण – जैसे पुखराज (Jupiter) या ओपल (Venus) — लेकिन कुंडली देखकर ही

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"शादी टूटने के योग" (विवाह में बाधा, तलाक या अलगाव) को भी वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली के माध्यम से देखा जाता है। यह एक...
10/08/2025

"शादी टूटने के योग" (विवाह में बाधा, तलाक या अलगाव) को भी वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली के माध्यम से देखा जाता है। यह एक संवेदनशील विषय है, इसलिए इसका विश्लेषण सावधानीपूर्वक और व्यक्तिगत स्तर पर किया जाना चाहिए।

नीचे कुछ प्रमुख ज्योतिषीय संकेत (indicators) दिए गए हैं जो विवाह में अस्थिरता या शादी टूटने के योग की ओर इशारा करते हैं:

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🔍 कुंडली में शादी टूटने के योग कब बनते हैं?

1. सप्तम भाव (7th House) में दोष

यह घर शादी और जीवनसाथी का होता है।

यदि यहाँ राहु, केतु, शनि, मंगल जैसे "क्रूर ग्रह" बैठें हों या दृष्टि डाल रहे हों, तो यह वैवाहिक जीवन को तनावपूर्ण बना सकता है।

2. मंगल दोष (Mangal Dosh)

मंगल 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में हो तो यह मंगल दोष बनता है, जिससे वैवाहिक जीवन में कलह या टकराव हो सकता है।

3. शुक्र (Venus) पर पाप ग्रहों की दृष्टि या युति

शुक्र वैवाहिक सुख का कारक है। यदि उस पर राहु, केतु, शनि या मंगल का प्रभाव हो, तो विवाह में धोखा, गलतफहमी या अलगाव हो सकता है।

4. द्वितीय (2nd) और चतुर्थ (4th) भाव में अशुभ प्रभाव

दूसरा भाव परिवार और चौथा भाव घर-सुख को दर्शाते हैं। यदि इन पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो पारिवारिक असंतोष हो सकता है।

5. दशा / अंतर्दशा का प्रभाव

यदि किसी अशुभ ग्रह की दशा चल रही हो जो सप्तम भाव या उसके स्वामी को प्रभावित कर रही हो, तो उस दौरान वैवाहिक संबंधों में टूटने के योग बन सकते हैं।

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⚠️ विशेष योग जो शादी टूटने की ओर इशारा करते हैं:

योग प्रभाव

सप्तम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में विवाह में क्लेश या तलाक के संकेत
शुक्र और सप्तम भाव दोनों कमजोर हों वैवाहिक जीवन में स्थिरता की कमी
शुक्र-राहु की युति धोखा या आकर्षण में फंसना
मंगल-शनि की युति या दृष्टि झगड़े और आक्रोश

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क्या यह निश्चित होता है?

👉 नहीं। कुंडली में योग होना संभावना दिखाता है, निश्चितता नहीं। यदि नकारात्मक योग हैं लेकिन दशाएं अच्छी हों या दूसरे ग्रह उन्हें संतुलित कर रहे हों, तो विवाह बच भी सकता है।

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क्या उपाय हैं?

यदि कुंडली में ऐसे योग हैं, तो उन्हें कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं, जैसे:

मंत्र जाप (विशेषतः शुक्र, गुरु, या नवग्रह मंत्र)

रत्न धारण (जैसे हीरा, पुखराज – पर कुंडली देखकर)

विवाह से पहले कुंडली मिलान और मंगल दोष निवारण

उचित ग्रहों के दान और पूजा

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"Shadi ke yog" (शादी के योग) जानने के लिए ज्योतिष (Vedic Astrology) का उपयोग किया जाता है। इसके लिए आपकी जन्म कुंडली (Ja...
10/08/2025

"Shadi ke yog" (शादी के योग) जानने के लिए ज्योतिष (Vedic Astrology) का उपयोग किया जाता है। इसके लिए आपकी जन्म कुंडली (Janam Kundli) का विश्लेषण जरूरी होता है, जिसमें निम्नलिखित जानकारियाँ चाहिए होती हैं:

1. जन्म तिथि (Date of Birth)

2. जन्म समय (Time of Birth)

3. जन्म स्थान (Place of Birth)

इन जानकारियों के आधार पर कुंडली बनती है और निम्न बातों की जांच की जाती है:

शादी के योग देखने के मुख्य पहलू:

सातवां भाव (7th House): विवाह का घर माना जाता है। इसमें स्थित ग्रह और इस पर दृष्टि डालने वाले ग्रह विवाह के योग बताते हैं।

शुक्र (Venus) और गुरु (Jupiter): पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में गुरु का बहुत महत्व होता है।

दशा और अंतर्दशा: वर्तमान में चल रही ग्रहों की दशा भी शादी के समय को प्रभावित करती है।

मंगल दोष (Mangal Dosh): यह भी देखा जाता है क्योंकि इससे विवाह में विलंब या बाधा आ सकती है।

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अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी शादी कब और कैसे होगी, तो कृपया ये विवरण दें:

आपकी जन्म तिथि

जन्म समय

जन्म स्थान

06/08/2025

बुध ग्रह के उपाय (Budh Grah Ke Upay) – हिंदी में

अगर कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो (कमज़ोर, पीड़ित या वक्री), तो व्यक्ति को वाणी, तर्कशक्ति, शिक्षा, व्यापार, त्वचा और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। बुध ग्रह को मज़बूत करने और उसके दोषों को दूर करने के लिए नीचे दिए गए उपाय किए जा सकते हैं:

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🌿 साधारण और प्रभावी उपाय:

1. भगवान विष्णु की पूजा करें

रोज़ाना "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

गुरुवार को विष्णु सहस्रनाम पढ़ें।

2. बुध मंत्र का जाप करें

मंत्र: "ॐ बुं बुधाय नमः"

कम से कम 108 बार रोज़ जाप करें, खासकर बुधवार को।

3. बुधवार का व्रत रखें

हर बुधवार को उपवास रखें। हरे वस्त्र पहनें और हरे चने या मूंग का दान करें।

4. दान-दक्षिणा करें

हरे वस्त्र, हरा मूंग, कांसा, पत्तेदार सब्जियाँ और धनिया का दान बुधवार को गरीबों या ब्राह्मणों को करें।

5. तुलसी की पूजा करें

तुलसी का पौधा लगाएं और रोज़ जल चढ़ाएं। इससे बुध और विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं।

6. पन्ना रत्न (Emerald Gemstone)

बुध ग्रह के लिए पन्ना धारण किया जाता है।

इसे किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बाद ही धारण करें।

7. तोता (Parrot) को दाना डालें

बुध का संबंध पक्षियों विशेषकर तोते से होता है।

रोज़ या बुधवार को तोते को हरा दाना (जैसे हरा मिर्च या धनिया) खिलाएं।

8. सत्य बोलें और वाणी में मिठास रखें

बुध वाणी का कारक है। झूठ, कटु वाणी या निंदा करने से बुध और अशुभ हो जाता है।

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🚫 अशुभ बुध के संकेत:

तर्क में कमजोरी

वाणी दोष, हकलाना

व्यापार में घाटा

बार-बार त्वचा संबंधी रोग

मानसिक तनाव या decision-making में कठिनाई

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10/07/2025

Happy Guru Purnima

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