श्री सतगुरू देवाय नमः

श्री सतगुरू देवाय नमः Jai sachidanand ji🙏🏻❤️ Like share and follow

दिनाँक 16 जुलाई सन् 1970 ई०, श्रावण संक्रान्ति के शुभ दिन श्री परमहंस अद्वैत मत के पंचम महाराजाधिराज, दिव्य गुण सम्पन्न,...
16/07/2025

दिनाँक 16 जुलाई सन् 1970 ई०, श्रावण संक्रान्ति के शुभ दिन श्री परमहंस अद्वैत मत के पंचम महाराजाधिराज, दिव्य गुण सम्पन्न, भक्ति के आगार, प्रातःस्मरणीय श्री श्री 108 श्री परमहंस सतगुरुदेव दाता दयाल जी महाराज ने प्रेममूर्ति, स्वनामधन्य, प्रातःस्मरणीय श्री श्री 108 श्री परमहंस सतगुरुदेव दीन दयाल जी श्री चतुर्थ पादशाही जी महाराज की दिव्य प्रतिमा उनके पुण्य स्मारक 'श्री आनन्द शान्ति धाम, श्री आनन्दपुर धाम' में विराजमान की।

यदि तुमने गुरु-शरण अपनाकर भी मन की शक्ति कम न की और मन के अनुसार ही काम किया, तो जीवन निरर्थक गया।
18/06/2025

यदि तुमने गुरु-शरण अपनाकर भी मन की शक्ति कम न की और मन के अनुसार ही काम किया, तो जीवन निरर्थक गया।

HAPPY FATHER'S DAY HMARE PYARE GURUMAHARAJ JI❤️🙏🏻😍🥰❤️💕APKE SIVA KOI NAHI NI HMARA
15/06/2025

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06/06/2025

दिनाँक 1 जून सन् 2025 ई० श्री प्रयाग शान्ति भवन, श्री प्रयागधाम

वक़्त के महापुरुष

महापुरुषों का संसार में जीवों के हित के लिये, भलाई के लिये ही आना होता है, जैसे कि हमारे श्री प्रथम पादशाही जी महाराज आये और श्री आनन्दपुर दरबार की स्थापना की। उन्होंने अपना पूरा समय जीवों के हित के लिये, भलाई के लिये लगाया और जो भी उनकी शरण में आया, उसे भक्ति के रास्ते पर लगाया।

गुरुमुखो ! इसी तरह श्री द्वितीय पादशाही जी महाराज, श्री तृतीय पादशाही जी महाराज ने भी अपने-अपने समय में जीवों को इस भक्ति के रास्ते पर लगाया। संसार में वक़्त के सन्त- महापुरुष ही जीवों को भक्ति के रास्ते पर लगा सकते हैं वे ही बताते है कि मत क्या है और असत् क्या है? सत् है मालिक का नाम, बाक़ी सारा संसार ही झूठा है; नाम और नाम की कमाई ही साथ जाती है, बाक़ी सब चीजें यहीं रह जाने वाली हैं। यह भेद महापुरुष ही बता सकते हैं, दूसरा कोई नहीं बता सकता।

इसलिये अपने समय में श्री प्रथम पादशाही जी महाराज ने बहुत-से जीवों का कल्याण किया, उद्धार किया; फिर श्री द्वितीय पादशाही जी महाराज ने भी अपने समय में जीवों का कल्याण किया और श्री आनन्दपुर दरबार की संस्था को आगे-से-आगे बढ़ाया। इसी तरह श्री तृतीय पादशाही जी महाराज ने भी अपने जीवन- काल में सब गुरुमुखों को इसी रास्ते पर लगाया कि नाम सत् है, बाक़ी जितनी भी चीजें हैं, वे सब असत् हैं-

नाम सत्त जग झूठ है, सुरत शबद पहचान ।।

नाम ही सत् है। सुरत और शब्द की पहचान कराने के लिये महापुरुष संसार में आते हैं।
तो गुरुमुखो ! आज, यह जितना सिलसिला आप देख रहे हैं, इसमें हमारे श्री चतुर्थ पादशाही जी महाराज ने बहुत ही कृपा की; काफ़ी कार्य उन्होंने जो करने थे, किये; श्री आनन्दपुर दरबार की संस्था को आगे-से-आगे बढ़ाया और अपने कार्य करके वे ज्योति ज्योत समा गये।

इसी तरीक़े से महापुरुष जीवों की भलाई के लिये संसार में प्रकट होते हैं और जीवों के हित के लिये जितना हो सके, कार्य करते हैं।

आप देखो ! श्री चौथी पादशाही जी महाराज ने श्री प्रयागधाम में ही देख लो, यहाँ जितना सिलसिला पहले-पहले शुरू हुआ, उन्होंने यहाँ रहकर काफ़ी ज़मीनों को आबाद कराया, काफ़ी कार्य कराये। तो जो भी वक़्त के महापुरुष होते हैं, वे अपने जीवन में जीवों के कल्याण के लिये ही सब कार्यवाही करते हैं, उनकी यही सोच होती है कि जिस तरह भी हो सके, जीवों का कल्याण करें।

हमारे श्री चतुर्थ पादशाही जी महाराज की बोली बहुत मधुर थी, उन्होंने मधुर और सरल भाषा में जीवों को परमार्थ के रहस्य समझाये।

Main चीज़ है कि जितने भी महापुरुष संसार में आते हैं, जीवों की भलाई के लिये, कल्याण के लिये आते हैं। हमारे श्री चतुर्थ पादशाही जी महाराज भी जीवों का कल्याण करते हुए अपनी याद इस संसार में छोड़ गये हैं।

सभी गुरुमुखों का फ़र्ज़ है कि जो भी वक़्त के हमारे महापुरुष हों, उनकी याद दिल में बनाये रखें; उनको हमेशा याद रखें कि संसार में आकर किस तरीक़े उन्होंने सबका जीवन ख़ुशहाल बनाया, संसार को चलाया और सबको भक्ति के रास्ते पर लगाया।

आज, हमारे श्री चतुर्थ पादशाही जी महाराज का दिव्य ज्योति दिवस है; सब गुरुमुख उनको याद कर रहे हैं, उनकी महिमा गा रहे हैं। तो गुरुमुखजन महापुरुषों को याद करते रहें; सब गुरुमुखों को बहुत-बहुत आशीर्वाद हो, बहुत-बहुत आशीर्वाद हो।

मन को टुकड़ों में मत बाँटो, बल्कि सब ओर से हटाकर पूरे के पूरे मन को प्रभु-परमात्मा में एकाग्र रखो।
17/05/2025

मन को टुकड़ों में मत बाँटो, बल्कि सब ओर से हटाकर पूरे के पूरे मन को प्रभु-परमात्मा में एकाग्र रखो।

हे करुणा के सागर! मैं आपकी बड़ाई किन शब्दों में लिखूँ, आप दयालुता के भण्डार हैं; आप उन पर भी कृपा करते हैं, जो आपकी महिम...
16/05/2025

हे करुणा के सागर! मैं आपकी बड़ाई किन शब्दों में लिखूँ, आप दयालुता के भण्डार हैं; आप उन पर भी कृपा करते हैं, जो आपकी महिमा को भूले हुए हैं।

जय सच्चिदानन्द जी,आज, ज्येष्ठ सं० 2082 विक्रमी की शुभ संक्रान्ति, दिनाँक 15 मई सन् 2025 ई० की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।श...
15/05/2025

जय सच्चिदानन्द जी,

आज, ज्येष्ठ सं० 2082 विक्रमी की शुभ संक्रान्ति, दिनाँक 15 मई सन् 2025 ई० की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

श्री श्री 108 श्री हुजूर सतगुरुदेव दाता दयाल जी महाराज की ओर से शुभ आशीर्वाद हो।

जैसे अन्धेरा और उजाला एक साथ नहीं रह सकते, वैसे ही विकारों वाले हृदय में निर्विकार प्रभु कैसे आयेंगे? यदि चाहते हो कि सत...
14/05/2025

जैसे अन्धेरा और उजाला एक साथ नहीं रह सकते, वैसे ही विकारों वाले हृदय में निर्विकार प्रभु कैसे आयेंगे? यदि चाहते हो कि सतगुरु हृदय में निवास करें, तो विकारों को हृदय से निकाल फेंको।

ज़िन्दगी को पानी के बुलबुले के समान समझो, क्योंकि पता नहीं कि कब इसका अन्त हो जाये। इसलिये ऐसे क्षणभंगुर शरीर से कुछ आत्...
13/05/2025

ज़िन्दगी को पानी के बुलबुले के समान समझो, क्योंकि पता नहीं कि कब इसका अन्त हो जाये। इसलिये ऐसे क्षणभंगुर शरीर से कुछ आत्म- कल्याण का कार्य ले लो।

सतगुरु की आज्ञा मानने में जो आदतें तुम्हें बाधा डालती हैं, उनका त्याग कर दो।
12/05/2025

सतगुरु की आज्ञा मानने में जो आदतें तुम्हें बाधा डालती हैं, उनका त्याग कर दो।

दुनिया में रहो, परन्तु दुनिया को अपने मन में मत बसाओ।
10/05/2025

दुनिया में रहो, परन्तु दुनिया को अपने मन में मत बसाओ।

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