HINDI Stories-हिन्दी कहानियाँ

HINDI Stories-हिन्दी कहानियाँ �PLEASE LIKE OUR PAGE
�Here you can read new stories per day
�Visit our websitehttp://blogsonl

08/02/2025

एक बूढ़ी माता रोज मंदिर के सामने भीख माँगती थी।

एक संत ने पूछा - आपका बेटा लायक है, फिर यहाँ क्यों ?

बूढ़ी माता बोली - बाबा, मेरे पति का देहांत हो गया है। मेरा पुत्र परदेस नौकरी के लिए चला गया। जाते समय मेरे खर्चे के लिए कुछ रुपए देकर गया था, वे खर्च हो गये इसीलिए भीख माँग रही हूँ।

*संत ने पूछा - क्या तेरा बेटा तुझे कुछ नहीं भेजता ?

*बूढ़ी माता बोली - मेरा बेटा हर महीने एक रंग-बिरंगा कागज भेजता है जिसे मैं दीवार पर चिपका देती हूँ।*
*संत ने उसके घर जाकर देखा कि दीवार पर 60 बैंक ड्राफ्ट चिपकाकर रखे थे। प्रत्येक ड्राफ्ट ₹50,000 राशि का था।

पढ़ी-लिखी न होने के कारण वह नहीं जानती थी कि उसके पास कितनी संपति है। संत ने उसे ड्राफ्ट का मूल्य समझाया।

*हमारी स्थिति भी उस बूढ़ी माता की भाँति ही है।

*हमारे पास धर्मग्रंथ तो हैं पर माथे से लगाकर अपने घर में सुसज्जित कर के रखते हैं।

*जबकि हम उनका वास्तविक लाभ तभी उठा पाएगें जब हम*
*उनका अध्ययन*,
*चिंतन*,
*मनन करके*
*उन्हें अपने जीवन में उतारेगें

हम हमारे धर्मग्रंथों की वैज्ञानिकता को समझे, हमारे त्यौहारो की वैज्ञानिकता को समझे और अनुसरण करे...!!🙏🙏🙏🙏🙏🙏

06/12/2024

एक राजा की बेटी की शादी होनी थी। बेटी की यह शर्त थी कि जो भी 20 तक की गिनती सुनाएगा, वही राजकुमारी का पति बनेगा। गिनती ऐसी होनी चाहिए जिसमें सारा संसार समा जाए। जो यह गिनती नहीं सुना सकेगा, उसे 20 कोड़े खाने पड़ेंगे। यह शर्त केवल राजाओं के लिए ही थी।

अब एक तरफ राजकुमारी का वरण और दूसरी तरफ कोड़े! एक-एक करके राजा-महाराजा आए। राजा ने दावत का आयोजन भी किया। मिठाई और विभिन्न पकवान तैयार किए गए। पहले सभी दावत का आनंद लेते हैं, फिर सभा में राजकुमारी का स्वयंवर शुरू होता है।

एक से बढ़कर एक राजा-महाराजा आते हैं। सभी गिनती सुनाते हैं, जो उन्होंने पढ़ी हुई थी, लेकिन कोई भी ऐसी गिनती नहीं सुना पाया जिससे राजकुमारी संतुष्ट हो सके।

अब जो भी आता, कोड़े खाकर चला जाता। कुछ राजा तो आगे ही नहीं आए। उनका कहना था कि गिनती तो गिनती होती है, राजकुमारी पागल हो गई है। यह केवल हम सबको पिटवा कर मज़े लूट रही है।

यह सब नज़ारा देखकर एक हलवाई हंसने लगा। वह कहता है, "डूब मरो राजाओं, आप सबको 20 तक की गिनती नहीं आती!"

यह सुनकर सभी राजा उसे दंड देने के लिए कहने लगे। राजा ने उससे पूछा, "क्या तुम गिनती जानते हो? यदि जानते हो तो सुनाओ।"

हलवाई कहता है, "हे राजन, यदि मैंने गिनती सुनाई तो क्या राजकुमारी मुझसे शादी करेगी? क्योंकि मैं आपके बराबर नहीं हूँ, और यह स्वयंवर भी केवल राजाओं के लिए है। तो गिनती सुनाने से मुझे क्या फायदा?"

पास खड़ी राजकुमारी बोलती है, "ठीक है, यदि तुम गिनती सुना सको तो मैं तुमसे शादी करूँगी। और यदि नहीं सुना सके तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा।"

सब देख रहे थे कि आज तो हलवाई की मौत तय है। हलवाई को गिनती बोलने के लिए कहा गया।

राजा की आज्ञा लेकर हलवाई ने गिनती शुरू की:

"एक भगवान,
दो पक्ष,
तीन लोक,
चार युग,
पांच पांडव,
छह शास्त्र,
सात वार,
आठ खंड,
नौ ग्रह,
दस दिशा,
ग्यारह रुद्र,
बारह महीने,
तेरह रत्न,
चौदह विद्या,
पन्द्रह तिथि,
सोलह श्राद्ध,
सत्रह वनस्पति,
अठारह पुराण,
उन्नीसवीं तुम और
बीसवां मैं…"

सब लोग हक्के-बक्के रह गए। राजकुमारी हलवाई से शादी कर लेती है! इस गिनती में संसार की सारी वस्तुएं मौजूद हैं। यहाँ शिक्षा से बड़ा तजुर्बा है। 🙏🏻🙏🏻

06/12/2024

I gained 884 followers and received 36 reactions in the past 90 days! Thank you all for your continued support. I could not have done it without you. 🙏🤗🎉

Big shout out to my new rising fans! Big shout out to my new rising fans! Anilchandramishra Aniljee, Kuldeep Gupta
19/07/2024

Big shout out to my new rising fans! Big shout out to my new rising fans! Anilchandramishra Aniljee, Kuldeep Gupta

Big shout out to my newest top fans! 💎 Ramesh Kumar
17/06/2024

Big shout out to my newest top fans! 💎 Ramesh Kumar

Bhai paisa ho toh kya kuch nahi hoskta!!Nita Ambani , the wife of Mukesh Ambani, drinks the world's most expensive gold ...
02/06/2024

Bhai paisa ho toh kya kuch nahi hoskta!!

Nita Ambani , the wife of Mukesh Ambani, drinks the world's most expensive gold water.
According to reports, Nita drinks Acqua Di Cristallo Tributo a Modigliani (haan haan naam mujhse bhi poora nahi parha gaya, bus likh dia).

Its a luxury water that comes in a 24-karat gold 750ml container/bottle, designed by Fernando Altamirano.

Iss paani ki khaas baat ye hai k iss mei Iceland k original glacier ka paani hota hai blended with spring water from France and Fiji. Aur iss paani mei 5 grams ka gold bhi hota hai for alkalinity.

Ye jo ajeeb se naam walla dunya ka sabse mehengay paani ki worth $60,000 hai matlab around 1.5 crore rupees!
Credit-

29/05/2024

. "सार्थक गायन"

तानसेन बड़े संगीतज्ञ थे। अकबर के सामने एक बार उन्होंने 'मल्हार' राग गाया। अकबर उसे सुनकर विह्वल हो गया।
अकबर बोला–'तुमने कहाँ सीखा, इतना बढ़िया कोई गा नहीं सकता।'
तानसेन ने उत्तर दिया–'महाराज, मैं तो कुछ नहीं गा सकता, मेरे गुरुजी-हरिदासजी महाराज जैसा गाते हैं, वैसा तो आपने कभी सुना ही नहीं होगा। मैं तो उनके सामने सूर्य के सामने जुगनू जैसा हूँ।'
अकबर ने कहा–'उनका गायन सुनाओ।'
तानसेन ने उत्तर दिया–'उनका गायन सुनाना हमारे हाथ में थोड़े ही है। आपके हाथ थोड़े ही है, कि आप चाहें उनको बुलावा भेजें और वे आपके दरबार में आ जायँ, ऐसे तो वे हैं नहीं।' ‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ के साथ जुड़े रहें तथा अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें।
अकबर के मन में उत्सुकता जग गयी थी। उसने कहा–'क्या उपाय करें ? सुनना तो है।'
तानसेन ने सुझाव दिया–'थोड़ी देर के लिये बादशाहियत भूल जाइये। सादे कपड़े पहन कर वास्तव में साधारण आदमी बनकर हमारे साथ चलिये। तब कोई व्यवस्था करेंगे–सुनने की।'
इच्छा थी अकबर की, अत: जैसा तानसेन ने कहा वैसे ही वेश बदलकर कुटिया के पास पहुँचे।
तानसेन ने कहा–'पेड़ के नीचे बैठ जाइये अलग।' अकबर को समीप ही पेड़ के नीचे कुटिया के बाहर बैठा दिया और स्वयं अन्दर गये।
हरिदासजी अपने भगवान् के प्रेम-समाधि में मस्त थे। कुछ देर के बाद उनकी प्रेम-समाधि टूटी। बोले–'तानसेन अच्छे हो ! कैसे आ गये ?'
तानसेन ने उत्तर दिया–'महाराज, ऐसे ही आ गया। उस दिन जो राग आपने सुनाया था, वह मुझे ठीक याद नहीं रहा, मैं फिर सुनना चाहता हूँ। ‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ के साथ जुड़े रहें तथा अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें।
बोले–'सुनो–लाओ एकतारा।' लिया एकतारा और लगे सुनाने। उसके प्रभाव से अकबर भावविभोर होकर मूर्छित हो गये। उनको जो चीज आज श्रवण करने को मिली, वैसी जीवन में बड़े-बड़े गवैये, बड़े-बड़े संगीतज्ञ, कलाविद्, अच्छे कण्ठ वाले आये, पर ऐसा सुख नहीं मिला, जैसा आज प्राप्त हुआ।
अकबर को चेत हुआ। अकबर ने कहा–'तानसेन ! तुम बड़े गवैये बनते हो, तुम ऐसा क्यों नहीं गाते क्या बात है ?
तानसेन ने उत्तर दिया–'महाराज, बात यह है कि वे सुनाते हैं भगवान् को, और मैं सुनाता हूँ आपको। यही अड़चन है। बुलासा (बोली निकालना) अलग चीज हैं और भगवान् का गुणगान करना और चीज है।

० ० ०

"जय जय श्री राधे"
***********************************************

‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ के साथ जुड़े रहें तथा अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें।

26/05/2024

गर्भपात(भ्रूण-हत्या) एक महापाप और अपराध है।
गर्भपात निश्चित ही जीव-हत्या है । एक पंचेन्द्रिय जीव की हत्या है। भ्रूण-हत्या-चाहे नरभ्रूण हो या मादाभ्रूण हो - एक जिन्दा शिशु की हत्या है। भ्रूण-हत्या एक अजन्मे मासूम शिशु का कत्ल है । फिर चाहे वह भ्रूण 1 दिन का हो, 10 दिन को हो, 3 महीने का हो या 9 महीने का हो । गर्भपात गर्भाधान के बाद चाहे जितनी भी जल्दी कराया जाये, उसमें निश्चित ही एक जीव की हत्या होती है। इस भ्रम में मत रहिये कि गर्भाधान के कुछ महीनों बाद ही गर्भस्थ शिशु में प्राणों का संचार होता है। इससे पूर्व वह केवल एक माँस का पिण्ड ही होता है, जिसमें जीव नहीं होता है। सच्चाई तो यह है कि गर्भमे पहले जीव आता है फिर उसका शरीर, उसके अंगोपांग की रचना होती है। वह धीरि-धीरे वहाँ प्रगति करता है तथा अपनी विकास-यात्रा करता हुआ नो माह की कठिन साधना व लंबी प्रतीक्षा के बाद पृथ्वी पर पाँव रखता है। जब वह माँ की कोख से जन्म लेता है, तब वह नौ महीने का हो चुका होता है । जन्म लेना उस जीव की आयु की प्रथम तिथि नहीं है, अपितु उसके माँ की कोख से बाहर संसार में आने की तिथिहै। संसार में कोई जीव आता है तो पहले उसकी आत्मा आती है, बाद में उसका शरीर बनना शुरू होता है।
लेकिन दुर्भाग्य है कि उस आने वाले अतिथि के साथ कोई सम्मानजनक व्यवहार नहीं हो पा रहा है। जन्म लेने से पूर्व ही बड़ी क्रूरता व अमानवीय हिंसक तरीके से उसकी हत्या कर दी जाती है। ध्यान रखना : एक गर्भ्रपात से चार पाप होते हैं। पहला पाप तो आपने एक अतिथि की हत्या की है, क्योंकि गर्भमें आने वाला जीव अतिथि है। तुमने ही उसे निमंत्रण देकर बुलाया है। पति-पत्नी के आमंत्रण पर ही वह तुम्हारे घर आया है और घर आये अतिथि की हत्या तो इस देश में एक बहुत बड़ा पाप है, क्योंकि हमने अतिथि को देवता कहा है : अतिथि देवो भव। दूसरा पाप - वह शरणागत है, तुम्हारी शरण में आया है। शरण में आया हुआ जीव दया का पात्र होता है और जो दया का पात्र है, तुमने उसकी हत्या की है, इसलिए भी तुम पापी हो। शरण में आया हुआ दुश्मन भी अभयदान का पात्र है, तो गर्भ में आया हुआ जीव तुम्हारा दुश्मन तो नहीं है, उसे भी अभय का वरदान मिलना चाहिए क्योंकि वह शरणागत है। तीसरा पाप - वह अनाथ है, दीन-हीन है और आपने उस अनाथ की हत्या की है तथा चौथा पाप कि वह तुम्हारा बेटा है, तुम्हारी बेटी है, तुम्हारा पुत्र है, तुम्हारा खून है ओर अपने ही खून की हत्या करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा खूनी है। अतिथि के साथ विश्वासघात करना, शरणागत के साथ दुर्ग्यवहार करना, अनाथ व असहाय के साथ धोखा-धड़ी करना तथा अपनी संतान की हत्या करनाये केवल साधारण अपराध नहीं हैं, अपितु दुनियां के बड़े से बड़े अपराध हैं, दुनियां के बड़े से बड़े पाप हैं । गर्भपात एक और पाप-चार।
कैसा घोर कलियुग आ गया है कि पालनहार ही हत्यारे बन बैठे हैं। माँ-बाप जो कि संतान के रक्षक और पालक होते हैं, आज वे ही संतान के भक्षक और घातक सिद्ध हो रहे हैं। 'एबोर्शन' जीते-जागते निर्दोष प्राणी की सुनियोजित नृशंस हत्या है और इस हत्या के हत्यारे माँ-बापों की आज समाज में कमी नहीं है। गर्भपात आज एक अच्छा खासा व्यवसाय ही बन गया है। भ्रूण हत्याएँ दिन दूनी, रात चौगुनी बढ़ रही हैं। लाखों निर्दोष मासूम बच्चों की गर्भाशय में ही हत्या की जा रही है। निश्चित ही यह दुर्भाग्य का विषय है और इसके दूरगामी परिणाम समाज के हित में नहीं हैं। मैं चाहता हूँ कि मनुष्य की हत्या पर जितना दंड है, गर्भपात कराने वाले को भी उतना ही दंड मिलना चाहिए। वह महिला जिसने गर्भपात कराया है, वह पति जिसने गर्भ्रपात के लिए उसे प्रेरित किया है, अनुमोदना की है तथा वह डाक्टर जिसने इस कार्य को अंजाम दिया है - ये तीनों ही हत्यारे हैं । इनके हाथों में एक निरपराधी की हत्या का खून लगा है और ऐसा खून कि उस हत्या के खून को मेंहदी लगाकर छुपाया नहीं जा सकता।
मान्यवर, मेरा नम्र निवेदन है कि इस गर्भपात के रूप में बढ़ती हुई संज्ञी पंचेन्द्रिय मनुष्यों की हत्या, हिंसा पर रोक लगाने के लिए आप सामूहिक रूप से प्रयास करिए। आज पशु-पक्षियों की हिंसा को रोकने केलिए अनेक संगठन व संस्थाएँ प्रयासरत हैं लेकिन गर्भस्थ शिशु की निरन्तर बढ़ती हुई हत्या को रोकने के लिए कोई विशेष व सामूहिक प्रयास नहीं किये जा रहे हैं । यही वजह है कि हर वर्ष हमारे अपने ही धर्मप्राण देश में लाखों की संख्या में मासूम व निर्दोष बच्चों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।
मेरी उन माताओं -बहनों से, भाई-बंधुओं से गुजारिश है कि वे ऐसा पाप न करें। जो तुम्हारे घर, तुम्हारे आमंत्रण पर अतिथि बनकर आ रहा है उसका स्वागत व सम्मान करें। याद रखना : गर्भ में आने वाला जीव तुम्हारे निमंत्रण पर ही आता है क्योंकि स्त्री-पुरुष के संयोग से ही कोई जीव जन्म लेने की तैयारी करता है। वह तुम्हारा अतिथि है और घर आये अतिथि का तो हम आदर करते ही हैं । देश की परम्परा है कि हमें भोजन मिले ना मिले, लेकिन घर आये अतिथि को तो भोजन मिलेगा ही। हमें पानी मिले या ना मिले पर घर आये मेहमान को हम जरूर पानी पिलायेंगे। हम भूखे और प्यासे रहकर भी, घर आये अतिथि की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं लेकिन इस अतिथि के साथ हम कैसा व्यवहार करते हैं ? आप स्वयं सोचें। पहले तो प्रेम-निमंत्रण देकर बुला लिया और जब वह तुम्हारे घर आ गया तो तुम उसे निपट अकेला पाकर उस पर टूट पड़े। मेरी आपसे गुजारिश है, उसे आने दीजिए, वह जन्म लेने की तैयारी कर रहा है, उसे जन्म तो ले लेने दीजिए। उसे यदि तुम पाल सको तो पाल लेना,भोजन पानी दे सको तो दे देना, उसे यदि तुम माँ का प्यार,पिता का दुलार दे सको तो दे देना और यदि नहीं तो मत पिलाना दूध, मत देना उसे घर की छाया, मत देना उसे आँचल की छाया, मत सुनाना उसे लोरी, मत लेना उसे गोद, पैदा होते ही उसे पटक देना, फेंक आना किसी कचरे केढेर पर, जन्म लेते ही रख आना चुपके से किसी के दरवाजे पर - लेकिन कमप् से कम उसे जन्म तो ले लेने दो, उस आत्मा को इस पृथ्वी पर प्रकट तो हो जाने दो, उसे सही सलामत गर्भरूपी कक्ष से बाहर तो निकल आने दो।
जन्मोपरांत उस आत्मा को अपने हाल पर छोड़ देना, उसे अपने भाग्य भरोसे छोड़ देना। यदि उसका पुण्य होगा तो कोई न कोई उसे दूध पिलाने वाला मिल ही जायेगा, यदि उसका भाग्य होगा तो कोई न कोई उसका सहारा बन ही जायेगा, यदि उसकी किस्मत में होगा, तो किसी न किसी यशोदा की गोद मिल ही जायेगी। आज इस देश में ऐसी यशोदाएँ चाहिए जो इस तरह की अनचाही संतानों को माँ का प्यार दे सकें, माँ का दुलार दे सकें। देश को ऐसी यशोदाओं की सख्त जरूरत है जो किसी कारागृह में जन्मे कन्हैयाओं को आश्रय दे सकें, कंस के चंगुल से मुक्ति दिला सकें। तो तुम्हारे आस-पड़ौस में, तुम्हारे घर-परिवार में अगर ऐसी कोई महिला हो जो अपने गर्भ में पल रही संतान को, बेटे को, बेटी को नष्ट करने के लिए तैयार हो, तो आप उसे समझाइये। कहिये : बहिन! ऐसा पाप मत करो, जो आ रही है वह तुम्हारी ही बेटी है और क्या एक माँ अपनी बेटी के कत्ल की स्वीकृति दे सकती है ? नहीं, कभी नहीं। उसे कहें कि आने वाला जीव अपना पुण्य स्वयं लेकर आता है। अपनी व्यवस्था स्वयं करके आता है | माँ-बाप और परिवार के लोग तो केवल निमित्त होते हैं ।
उपरोक्त लेख क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागर जी महाराज की बहुचर्चित कृति "एक लड़की " से लिया गया है ।

22/05/2024

बिहारी जी की कथा
👣 चरण कमल में नयन 👣

एक बार वृन्दावन के मंदिर में एक संत अक्षय तृतीया के दिन "श्री बांके बिहारी" के चरणों का दर्शन कर रहे थे। दर्शन करने के साथ साथ एक भाव भी गुनगुना रहे थे कि

"श्री बिहारी जी" के *चरण* कमल में नयन हमारे अटके।
नयन हमारे अटके नयन हमारे अटके।

एक व्यक्ति वहीँ पर खड़ा खड़ा ये भाव सुन रहा था। उसे ये भाव पसंद आया। और इस भाव को गुनगुनाते हुए अपने घर पहुंचा। उसकी आँखे बंद है

"श्री बिहारी" के *चरण* ह्रदय में है और बड़े भाव से गाये जा रहा है। लेकिन उस व्यक्ति से एक गलती हो गई।

भाव था कि"श्री बिहारी जी" के चरण कमल में नयन हमारे अटके।
लेकिन उसने गुनगुनाया "श्री बिहारी जी" के नयन कमल में "चरण" हमारे अटके।

थोड़ा उल्टा हो गया। लेकिन ये व्यक्ति बड़ा मगन होकर गाने लगा। "श्री बिहारी जी" के नयन कमल में "चरण" हमारे अटके।

अब थोड़ा सोचिये हमारे नयन "श्री बिहारी जी" के चरणों में अटकने चाहिए। हमारा ध्यान "श्री बिहारी जी" के चरणों में होना चाहिए। क्योंकि भगवान के चरण कमल बहुत ही प्यारे हैं।

लेकिन उस व्यक्ति ने इतना मगन होकर गया कि भगवान बांके बिहारी आज सब कुछ भूल गए और श्री बिहारी जी उसके सामने प्रकट हो गए।

बांके बिहारी ने उससे मंद मंद मुस्कुराते हुए कहा – अरे भईया! मेरे एक से बढ़कर एक बड़ा भक्त है लेकिन तुझ जैसा निराला भक्त मुझे मिलना बड़ा मुश्किल है।

लोगो के नयन तो हमारे चरणों के अटक जाते है पर तुमने तो हमारे ही नयन अपने *चरणों* में अटका दिये।

वो व्यक्ति समझ ही नहीं पाया कि क्या हो रहा है। आज भगवान ने उसे साक्षात् दर्शन दे दिए।

फिर अपनी भूल का एहसास भी हुआ कि मैंने भगवान के नयनों को अपने *चरणों* में अटकने के लिए कहा। लेकिन फिर उसे समझ आया कि भगवान तो केवल भाव के भूखें है।

अगर मुझसे कोई गलती होती तो भगवान मुझे दर्शन देने ही नहीं आते। मेरे भाव पे आज भगवान रीझ गए।

ऐसा सोचकर वह भगवान के प्रेम में खूब रोया उसने साक्षात् भगवान को और भगवान की *कृपा* को बरसते हुए देखा। धन्य हैं ऐसे भक्त और भगवान।

भगवान के *चरणों* का बहुत ही महत्व है। आप भगवान के *चरणों* में मन को लगा दें बस। क्योंकि भगवान के *चरण* दुखों का हरण कर लेते हैं।

श्री हरी चरण – दुःख हरण।...🌸👏🏼
बोलो श्री बांके बिहारी लाल की जय

*🌸 !! जय जय श्री राधे !! 🌸*

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Sharma Komal, Vemuri Rajesh, Pritam Saha, Rishi Puri, Aka...
22/05/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Sharma Komal, Vemuri Rajesh, Pritam Saha, Rishi Puri, Akash Anand, Vicky Jain, Ajay Salampuriya, Mohd Arshad, Sarvan Singh, सुनिल पायमोडे, Amlesh Kumar, Jitendra Singh, Md Arshad Khan, Kumar Bittu Suresh, Manoj Gwala, Satish Panjwani, Sayyed Hashim, Rahul Sharma, Manoj Kumar, Deepak Sharma, Raju Verma, Manish Singh Singh, मनोज पुनीया, Narayan Prakash Awasthi, Virendra Kumar Jain Jain, Kashim Ali Kashim Ali, Rawan Rawan, Naman Agrwal, Bac Pa, Md Nabihasan Md Nabihasan, Pawan Singh, Mandeep Jangra, Kishan Gopal Purohit, Thakur Shiva Singh, Raghbir Shing, Manna Lal Sharma, रविन्द्र गोपाल, Pujaa Gupta, Nana Bhai Sanodiya, Aslam Kuan, Durga Das, Hussain Fumti, Chirag Bafna, Komal Sharma, Sangita Raj, Dileepkumar Yadav, Vihan Verma, Ragav Ragav, Sunil Kumar Singhal, Yash Vardhan

20/05/2024

प्रेरक कथा
💗 सफेद हंस की खोज 💗

दुर्गादास था तो धनी किसान; किन्तु बहुत आलसी था| वह न अपने खेत देखने जाता था, न खलिहान| अपनी गाय-भैंसों की भी वह खोज-खबर नहीं रखता था| सब काम वह नौकरों पर छोड़ देता था|

उसके आलस और कुप्रबन्ध से उसके घर की व्यवस्था बिगड़ गयी| उसको खेती में हानि होने लगी| गायों के दूध-घी से भी उसे कोई अच्छा लाभ नहीं होता था|

एक दिन दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया| हरिश्चंद्र ने दुर्गादास के घर का हाल देखा| उसने यह समझ लिया कि समझाने से आलसी दुर्गादास अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा| इसलिये उसने अपने मित्र दुर्गादास की भलाई करने के लिये उससे कहा- ‘मित्र! तुम्हारी विपत्ति देखकर मुझे बड़ा दुःख हो रहा है| तुम्हारी दरिद्रता को दूर करने का एक सरल उपाय मैं जानता हूँ|’

दुर्गादास- ‘कृपा करके वह उपाय तुम मुझे बता दो| मैं उसे अवश्य करूँगा|’

हरिश्चंद्र- ‘सब पक्षियों के जागने से पहले ही मानसरोवर रहने वाला एक सफेद हंस पृथ्वी पर आता है| वह दो पहर दिन चढ़े लौट जाता है| यह तो पता नहीं कि वह कब कहाँ आवेगा; किन्तु जो उसका दर्शन कर लेता है, उसको कभी किसी बात की कमी नहीं होती|’

दुर्गादास- ‘कुछ भी हो, मैं उस हंस का दर्शन अवश्य करूँगा|’

हरिश्चंद्र चला गया| दुर्गादास दूसरे दिन बड़े सबेरे उठा| वह घर से बाहर निकला और हँस की खोज में खलिहान में गया| वहाँ उसने देखा कि एक आदमी उसके ढेर से गेहूँ अपने ढेर में डालने के लिये उठा रहा है| दुर्गादास को देखकर वह लज्जित हो गया और क्षमा माँगने लगा|

खलिहान से वह घर लौट आया और गोशाला में गया| वहाँ का रखवाला गाय का दूध दुहकर अपनी स्त्री के लोटे में डाल रहा था| दुर्गादास ने उसे डांटा| घरपर जलपान करके हंस की खोज में वह फिर निकला और खेत पर गया| उसने देखा कि खेत पर अबतक मजदूर आये ही नहीं थे| वह वहाँ रुक गया| जब मजदूर आये तो उन्हें देर से आने का उसने उलाहना दिया| इस प्रकार वह जहाँ गया, वहीं उसकी कोई-न-कोई हानि रुक गयी|

सफेद हंस की खोज में दुर्गादास प्रतिदिन सबेरे उठने और घुमने लगा| अब उसके नौकर ठीक काम करने लगे| उसके यहाँ चोरी होनी बंद हो गयी| पहिले वह रोगी रहता था, अब उसका स्वास्थ्य भी ठीक हो गया| जिस खेत से उसे दस मन अन्न मिलता था, उससे अब पचीस मन मिलने लगा| गोशाला से दूध बहुत अधिक आने लगा|

एक दिन फिर दुर्गादास का मित्र हरिश्चंद्र उसके घर आया| दुर्गादास ने कहा- ‘मित्र! सफेद हंस तो मुझे अब तक नहीं दिखा; किन्तु उसकी खोज में लगने से मुझे लाभ बहुत हुआ है|’

*हरिश्चंद्र हँस पड़ा और बोला- ‘परिश्रम करना ही वह सफेद हंस है| परिश्रम के पंख सदा उजले होते हैं| जो परिश्रम न करके अपना काम नौकरों पर छोड़ देता है, वह हानि उठाता है और जो स्वयं करता है, वह सम्पत्ति और सम्मान पाता है

~~~~~~~~~~~~~~~~~
((((((( जय जय श्री राधे )))))))
~~~~~~~~~~~~~~~~~

20/05/2024

कृष्ण भक्ति कथा
🍂 परमभक्त कृष्णा बाई 🍂

एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। वह एक झोपड़ी में रहती थी। कृष्णा बाई का वास्तविक नाम सुखिया था पर कृष्ण भक्ति के कारण इनका नाम गांव वालों ने कृष्णा बाई रख दिया।

घर घर में झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाना ही इनका काम था। कृष्णा बाई रोज फूलों का माला बनाकर दोनों समय श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों कान्हा से बात करती थी। गांव के लोग यहीं सोचते थे कि बुढ़िया पागल है।

एक रात श्री कृष्ण जी ने अपनी भक्त कृष्णा बाई से यह कहा कि कल बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है तुम यह गांव छोड़ कर दूसरे गांव चली जाओ।

अब क्या था मालिक का आदेश था कृष्णा बाई ने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू किया और गांव वालों को बताया कि कल सपने में कान्हा आए थे और कहे कि बहुत प्रलय होगा पास के गाव में चली जा।

अब लोग कहाँ उस बूढ़ी पागल का बात मानने वाले जो सुनता वहीं जोर जोर ठहाके लगाता। इतने में बाई ने एक बैलगाड़ी मंगाई और अपने कान्हा की मूर्ति ली और सामान की गठरी बांध कर गाड़ी में बैठ गई। और लोग उसकी मूर्खता पर हंसते रहे।

बाई जाने लगी बिल्कुल अपने गांव की सीमा पार कर अगले गांव में प्रवेश करने ही वाली थी कि उसे कृष्ण की आवाज आई - अरे पगली जा अपनी झोपड़ी में से वह सुई ले आ जिससे तू माला बनाकर मुझे पहनाती है। यह सुनकर बाई बेचैन हो गई तड़प गई कि मुझसे भारी भूल कैसे हो गई अब मैं कान्हा का माला कैसे बनाऊंगी?

उसने गाड़ी वाले को वहाँ रोका और बदहवास अपने झोपड़ी की तरफ भागी। गांव वाले उसके पागलपन को देखते और खूब मजाक उडाते।

बाई ने झोपड़ी में तिनकों में फंसे सुई को निकाला और फिर पागलो की तरह दौडते हुए गाड़ी के पास आई। गाड़ी वाले ने कहा कि माई तू क्यों परेशान हैं कुछ नही होना। बाई ने कहा अच्छा चल अब अपने गांव की सीमा पार कर। गाड़ी वाले ने ठीक ऐसे ही किया।

अरे यह क्या? जैसे ही सीमा पार हुई पूरा गांव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया।

गाड़ी वाला भी अटूट कृष्ण भक्त था।येन केन प्रकरेण भगवान ने उसकी भी रक्षा करने में कोई विलम्ब नहीं किया।

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रभु जब अपने भक्त की मात्र एक सुई तक की इतनी चिंता करते हैं तो वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे। जब तक उस भक्त की एक सुई उस गांव में थी पूरा गांव बचा था

इसीलिए कहा जाता है कि :-

भरी बदरिया पाप की बरसन लगे अंगार
संत न होते जगत में जल जाता संसार।

~~~~~~~~~~~~~~~~~
((((((( जय जय श्री राधे )))))))
~~~~~~~~~~~~~~~~~

Address

Madhepur

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when HINDI Stories-हिन्दी कहानियाँ posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to HINDI Stories-हिन्दी कहानियाँ:

Share