ShaikhArshad شیخ ارشد

ShaikhArshad شیخ ارشد 🌍 Dreamer | Hard Worker | Believer in Kindness & Success!
💫 "The best among you are those who bring the most benefit to others." – Prophet Muhammad (ﷺ)
(1)

06/04/2025
"जो दुआओं में असर रखते हैं,वो अलविदा जुमा की बरकत से बेखबर नहीं रहते।रब की रहमत से दिल रोशन हो,गुनाहों से तौबा कर, हर दु...
28/03/2025

"जो दुआओं में असर रखते हैं,
वो अलविदा जुमा की बरकत से बेखबर नहीं रहते।
रब की रहमत से दिल रोशन हो,
गुनाहों से तौबा कर, हर दुआ कबूल हो।

अलविदा जुमा मुबारक!"

1. अल्लाह तआला हम सभी को अपने माता-पिता की सच्ची खिदमत करने की तौफीक़ दे! आमीन।कुरआन और हदीस में माता-पिता की सेवा का जि...
24/03/2025

1. अल्लाह तआला हम सभी को अपने माता-पिता की सच्ची खिदमत करने की तौफीक़ दे! आमीन।

कुरआन और हदीस में माता-पिता की सेवा का जिक्र

कुरआन:
अल्लाह तआला ने फरमाया:
"और हमने इंसान को उसके मां-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करने की ताकीद की है..." (सूरह लुक़मान 31:14)

हदीस:
एक शख्स नबी करीम ﷺ के पास आया और पूछा, "या रसूलअल्लाह! मेरे अच्छे सुलूक का सबसे ज्यादा हक़दार कौन है?"
आप ﷺ ने फरमाया, "तुम्हारी मां" फिर पूछा, "उसके बाद कौन?"
आप ﷺ ने फरमाया, "तुम्हारी मां" फिर पूछा, "उसके बाद कौन?"
आप ﷺ ने फिर फरमाया, "तुम्हारी मां" चौथी बार पूछा तो कहा, "तुम्हारे वालिद (पिता)"। (बुख़ारी, मुस्लिम)

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2. माता-पिता की खिदमत के तरीके

1. आदर और सम्मान करना

माता-पिता से ऊँची आवाज़ में बात न करें।

उन्हें अच्छे शब्दों से पुकारें और उनका दिल न दुखाएं।

उनकी जरूरतों का ख्याल रखें।

2. उनकी जरूरतों को पूरा करना

उनकी सेहत, खान-पान और आर्थिक ज़रूरतों का ध्यान रखें।

अगर वह बूढ़े हो जाएं तो धैर्य और प्रेम से उनकी सेवा करें।

3. उनकी दुआएं लेना

उनकी सेवा करके उनकी दुआओं को हासिल करें क्योंकि उनकी दुआओं में बरकत और कामयाबी है।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया, "माता-पिता की दुआ, इंसान की तक़दीर बदल सकती है।"

4. उनके लिए दुआ करना

अल्लाह तआला से दुआ करें:
"रब्बिर-हंम्हुमा कमा रब्बयानी सगीरा" (हे मेरे रब! उन पर रहम कर, जैसे उन्होंने मुझे बचपन में पाला-पोसा।) (सूरह इसरा 17:24)

5. माता-पिता की नाफरमानी से बचना

इस्लाम में इसे बड़ा गुनाह कहा गया है।

रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया, "क्या मैं तुम्हें सबसे बड़े गुनाहों के बारे में न बताऊं?"
सहाबा ने अर्ज़ किया, "जी हां!"
आप ﷺ ने फरमाया, "अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना और माता-पिता की नाफरमानी करना।" (बुख़ारी, मुस्लिम)

6. माता-पिता के गुजर जाने के बाद उनकी सेवा

उनकी रूह के लिए सदक़ा-ए-जारीया करें।

उनकी पसंद की नेकी के काम करें।

उनकी क़ब्र पर जाकर दुआ करें।

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3. माता-पिता की खिदमत के फायदे

1. जन्नत का रास्ता:

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया, "माता-पिता इंसान के लिए जन्नत के दरवाजे हैं।" (तिर्मिज़ी)

2. बरकत और लंबी उम्र:

जो इंसान माता-पिता की सेवा करता है, उसकी उम्र में बरकत होती है।

3. दुनिया और आख़िरत में कामयाबी:

माता-पिता की दुआओं से अल्लाह तआला दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाबी देता है।

नबी ए करीम हज़रत मुहम्मद ﷺ की तालीमात इंसान की ज़िंदगी को बेहतरीन बनाने के लिए बेहतरीन रहनुमाई फराहम करती हैं। नीचे 15 अ...
23/03/2025

नबी ए करीम हज़रत मुहम्मद ﷺ की तालीमात इंसान की ज़िंदगी को बेहतरीन बनाने के लिए बेहतरीन रहनुमाई फराहम करती हैं। नीचे 15 अहम नुक्ते दिए गए हैं जो ज़िंदगी को बेहतरीन बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं:

1. सच्चाई (सिद्क़) – हर हाल में सच बोलो, क्योंकि सच्चाई इंसान को कामयाबी और सुकून देती है।

2. अमाना-दारी – ज़िम्मेदारी को ईमानदारी से निभाओ, चाहे कोई देखे या न देखे।

3. सबर (सब्र) – मुश्किल हालात में सब्र से काम लो, क्योंकि सब्र के बाद राहत मिलती है।

4. शुक्र (शुक्रगुज़ारी) – अल्लाह की दी हुई नेमतों का शुक्र अदा करो, इससे नेमतों में इज़ाफ़ा होता है।

5. नर्मी (हलिमि) – दूसरों के साथ नर्मी और मोहब्बत से पेश आओ, इससे दिलों में जगह बनती है।

6. अख़लाक़ (अख़लाक़ियात) – अच्छे अख़लाक़ को अपनाओ, क्योंकि अख़लाक़ सबसे बेहतरीन दौलत है।

7. इल्म (इल्म हासिल करना) – इल्म को हासिल करना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है, इसलिए तालीम को तर्जीह दो।

8. दुआ (दुआ करना) – हर मुश्किल में अल्लाह से दुआ करो, क्योंकि दुआ बंदे का सबसे बड़ा हथियार है।

9. रहमदिली (रहम) – छोटों पर रहम करो और बड़ों की इज़्ज़त करो, इससे समाज में मोहब्बत बढ़ती है।

10. ग़ुस्सा कंट्रोल (कज़मे-ग़ैज़) – ग़ुस्से पर काबू रखो, क्योंकि ग़ुस्सा इंसान की अक्ल और फैसलों को खराब कर देता है।

11. रिज़्क़ में पाकीज़गी (हलाल रोज़ी) – हलाल कमाई करो और हराम से बचो, इससे ज़िंदगी में बरकत आती है।

12. अमानतदारी (अमानत) – जो चीज़ अमानत में दी जाए, उसे सही वक्त पर सही हक़दार को लौटाओ।

13. हमदर्दी (हमदर्द बनना) – दूसरों की तकलीफ़ को अपनी तकलीफ़ समझो और उनकी मदद करो।

14. ग़रीबों की मदद (सख़ावत) – ज़रूरतमंदों की मदद करो, क्योंकि अल्लाह सख़ी लोगों से मोहब्बत करता है।

15. इंसाफ़ (इंसाफ़-पसंदी) – हर मामले में इंसाफ़ करो, चाहे वो तुम्हारे ख़िलाफ़ ही क्यों न हो, क्योंकि इंसाफ़ अल्लाह को पसंद है।

अगर इंसान इन तालीमात पर अमल करे तो उसकी ज़िंदगी बेहतर, सुकून भरी और बरकत वाली हो जाएगी।
अल्लाह हर मुसलमान को इस्लाम सही से चलने वाला बना दे आमीन।


23/03/2025
23/03/2025

बिलकुल सही कह रहे हैं प्रोफेसर साहब नेता का कोई ईमान थोड़ी होता। ये लोग इतना चोरी घोटाला कर चुके हैं कि
कोई CBI तो कोई ED के डर से चुप बैठा हुआ है आपके अधिकारों के लिए बात नहीं करता है। क्यों कि उसको डर है कि अगर उसके आप लोगों के लिए बात किया तो
वो घोटालों में फसेगा। ये हमें समझना है कि ये लोग सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए जीत कर आए हैं। किसी को अपनी सत्ता बचानी है तो किसी को अपना हराम की कमाई।

23/03/2025

कोई भी नेता डेमोक्रेटिक नहीं है जो भी नेता खुद को सेकुलर बताते हैं असल में वे सेकुलर नहीं। ये लोग अपने हित की राजनीति करते हैं । इनका भरोसा नहीं है इनलोगों को जिस तरफ अपना फायदा दिखेगा उसके हो जाएंगे। आप लोगों का क्या कहना है इस मुद्दों पर।
Credit by_ Uc pragya Mishra

इतिहासकार जादूनाथ सरकार के मुताबिक़ अक्लमंदी, आचरण और बहादुरी में औरंगज़ेब एशिया के सबसे बड़े हुक्मरानों में से एक था, औ...
21/03/2025

इतिहासकार जादूनाथ सरकार के मुताबिक़ अक्लमंदी, आचरण और बहादुरी में औरंगज़ेब एशिया के सबसे बड़े हुक्मरानों में से एक था, औरंगज़ेब की पैदाइश गुजरात के दाहोद में सन् 1618 में हुई, औरंगज़ेब को करौंदा और सुपारी पसंद था,
चौदह साल की उम्र में हाथियों की लड़ाई के सिलसिले में एक हाथी उसपर हमलावर हो गया, सभी शहज़ादे डर कर भाग खड़े हुए, वो अकेला वहां मौजूद रहा,

शाहजहां ने शराब बनाने और बेचने पर पाबंदी लगा दी थी लेकिन क़ानून पर सख़्ती से अमल नहीं होता था, औरंगज़ेब जब हुक्मरान बना तो उसने शराब को रोकने के लिए एक डिपार्टमेंट बनाया, पकड़े जाने पर शराब बेचने वाले को सज़ा दी जाती थी, शराब पीने की वजह से औरंगज़ेब ने एक राजपूत मंसबदार का सज़ा के तौर पर तबादला कर दिया, शराब पीने की वजह से कई मंसबदारों के ओहदे घटा दिए गए,

औरंगज़ेब ने एक डिक्शनरी तैयार करवाई ताकि उससे फ़ारसी जानने वालों को हिन्दी सीखने में आसानी हो,
अकबर के ज़रिए शुरू किए गए सालगिरह की रस्म को औरंगज़ेब ने बंद कर दिया, उसका ख़्याल था के इस रस्म से छोटे सरदारों को काफ़ी परेशानी होती है, उसने रसिक दास नाम के ओहदेदार को किसानों का ध्यान रखने के काम पर लगाया, ताकि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन उनको तंग न करे,
औरंगज़ेब ने सती प्रथा पर पाबंदी लगाई, भांग की खेती और जुआ खेलने पर पाबंदी लगाई,

मासिर ए आलमगीरी के मुताबिक़ औरंगज़ेब ने फाइनेंस डिपार्टमेंट में हिन्दुओं की नियुक्ति पर पाबंदी लगा दी थी, इसकी वजह ये थी के डिपार्टमेंट में रिशवत और सूद बहुत आम हो गया था, लेकिन फिर सरकारी काम के लिए लोगों की कमी हो गई, और काम में रुकावट आने लगी तो हिन्दुओं की नियुक्ति फिर से शुरू की गई और उनकी हिस्सेदारी पचास फीसद तय कर दी गई, अर्थात पचास फीसद हिन्दू और पचास फीसद मुसलमान,
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने एक मामले में सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की, इसपर आप क्या सोचते...
20/03/2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने एक मामले में सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की, इसपर आप क्या सोचते हैं?

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