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हमारे पुरखो का शौर्य, 28000 पेशवा ब्राह्मणों को कुछ ही घंटो में मिट्टी में मिला दिया नमन है उन 500 मूलनिवासी  योद्धाओ को...
01/01/2025

हमारे पुरखो का शौर्य, 28000 पेशवा ब्राह्मणों को कुछ ही घंटो में मिट्टी में मिला दिया नमन है उन 500 मूलनिवासी योद्धाओ को, #पराक्रम #शौर्य #विजय
ी_1818 #भिमाकोरगाँव #मूलनिवासी
#207वा_वर्ष
..... Alok Ambedkar....

04/04/2024

*महाबली बाबा चौहरमल 711 वीं जयंती पर विशेष*
(04 अप्रैल 2022)
***************************************
चौहरमल का जन्म बिहार में मोकामा अंचल क्षेत्र, जो प्राचीन काल मे मगध के नाम से जाना जाता था, के मोकामा ताल के शंकरवाड़ टोला में एक दुसाध ज़ाति के एक किसान परिवार में 04 अप्रैल 1313, तदनुसार चैत्र पूर्णिमा को हुआ था। इनके पिता बन्दीमल और माता रघुमती थी। उनका शरीरान्त 120 वर्ष की आयु में 01 नवम्बर 1433 को हुआ था। इनका कर्मस्थान मोकामा ताल के चाराडीह में था औऱ इससे 14 किलोमीटर दूर तुरकैजनी गावँ में इनका ननिहाल था। समाज हित हेतु ब्राह्मणी और सामंती ताकतों से लगातार संघर्षरत रहने के कारण इन्हें चारडीह,-तुरकैजनी भाग दौड़ करना पड़ता था। इनका ससुराल मोकामा ताल के खुटहा (बड़हिया) गावँ में था। इनकी जीवनसंगिनी, ससुरसल के लोग और इनके वंशज के सम्बंध में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।
चौहरमल का व्यक्तित्व और कृतित्व को निम्नलिखित बिंदुओं में दर्शाया जा सकता है:-
1. चौहरमल नैतिकता, मानवता, त्याग और शक्ति के प्रतिमूर्ति थे। 2. जब भी मान-सम्मान की रक्षा की बात आती है, चौहरमल बरबस ही स्मृति में आ जाते है। उन्होंने चरम छुआछूत के माहौल में भी शान और स्वाभिमान को शीर्ष पर बनाये रखा।
3. वे शीलव्रती थे। अपने गुरुभाई सामन्त अजबी सिंह की बहन आर्य सुंदरी रेशमा के बार बार के प्रणय निवेदन के बाद भी अपना शीलब्रत नहीं तोड़ा।
4. चौहरमल सामंती दमन के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक थे। उन्होंने चाराडीह में सामन्तो द्वारा की गई आर्थिक नानाबन्दी का संगठन बना कर कड़ा मुकाबला किया और अपने लोगों को संकट से बचाया।
5. वे चाराडीह में सामुहिक खेती-किसानी शुरू कर उस इलाके के लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। गियासुद्दीन मुहम्मद बिन तुगलक ने चौहरमल को 100 बिगहा खेती योग्य भूमि का भूमि-पट्टा दिया था जिस पर भूमिहार सामन्तो की नज़र गड़ी थी।
6. चौहरमल ने सामन्तो के अत्याचार से लोहा लेने हेतु चाराडीह को युद्ध कला ज्ञान हासिल करने का प्रशिक्षण केंद्र बनाया था जिसमे वे अस्त्र संचालन का प्रशिक्षण देते थे।
7. चौहरमल ज्ञान और शील के साथ युद्धकला में भी प्रवीण थे जिसके कारण उन्होंने विरोधियों को हर मोर्चे पर परास्त किया।
8. चौहरमल साम्प्रदायिक सौहार्द के भी प्रतीक थे। बिहार शरीफ के बड़ी दरगाह में हज़रत मखदूम साहब के मज़ार के बगल में चौहरमल का भी मज़ार है। इनके मज़ार पर उर्दू में चुल्हाय लिखा हुआ है। इससे पता चलता है कि मुस्लिम समाज मे भी चौहरमल पूज्य थे।
9. विहार शरीफ में चौहरमल को अदब से *चुल्हाय वीर* कहा जाता है।मखदूम एक सूफी संत थे जो चौहरमल के समकालीन और कल्याणमित्र थे। दोनों मिल कर मानवतावादी संदेशों को आसपास के क्षेत्रों में फैलाते थे।
10. बिहार शरीफ में पंचाने नदी के किनारे बसा कोसुत गावँ में निर्मित चौहर विहार में उनके अनुयायी शील के प्रतिक लंगोटा चढ़ाते हैं। प्राचीन काल से ही साधु-संत अपनी यौनेक्षा और यौनांगों के दमन के लिए लंगोट पहनते आये हैं। लंगोट एक पुरुष अंतःवस्त्र होता है। कोसुत में कार्तिक पूर्णिमा को प्रत्येक वर्ष मेला लगता है।
11. विहार यानि मगध बुद्ध का ज्ञान और कर्मस्थली रहा है। इस कारण बुद्ध की पंचीशील तथा मानववादी देशना का उन पर गहरा असर था, यही कारण है कि रेशमा के लाख कोशिश करने के बावजूद वे उसके कामवासना के फंदे में नहीं फंसे। पुराणों में बड़े बड़े ऋषि मुनियों की कथाएँ भरी पड़ी है जिनकी तपस्या रंभा, मेनका और उर्वशी जैसे अप्सराओं की हल्की सी मुस्कान पर स्खलित हो गई है। परन्तु चौहरमल जींवन भर रेशमा को बहन ही मानते रहे, यह बिना बुद्ध उपदेशित शील पालन के संभव नहीं।
12. चौहरमल को मोकामा के आस पास के लोग लोक-देवता और कुल-देवता के रूप में पूजते हैं। घर आंगन में मिट्टि की गुम्बदाकार पिंडी बना कर उनकी पूजा होती है।
13. बौद्ध संस्कृति में यही पिंडी स्तूप कहलाता है जिसमें बुद्धों और बोधिसत्वों का अस्थि भस्म रखा हुआ होता है।
14. चौहरमल की वीरता और महानता पर लोकगीतों की भरमार है। इनके पुजेरी को भगैत कहते हैं जो दुसाध ज़ाति का होता है न् कि कोई ब्राह्मण पुरोहित।
15. चाराडीह में उनका विहार है जहां प्रत्येक साल चैत्र माह में एक हप्ते का विशाल मेला लगता है। चौहरमल मेले में विभिन्न क्षेत्रों से 10 लाख से ज्यादा लोग आते हैं। यहां भी इनकी पिंडी है जिसकी पूजा कई सालों से होती आ रही है । बाद में यहां एक आदमकद प्रतिमा भी स्थापित किया गया है।
16. कुछ लोग चौहरमल के ब्राह्मणीकरण का भी प्रयास करते हैं और बताते है कि उनके पास चमत्कारिक शक्तिया थी। परंतु यह सत्य नहीं है। वे महामानव थे और अपने मंगल कृत्यों से पूजित हैं।
मोकामा के आसपास रेशमा-चौहरमल नाटक बहुत प्रसिद्ध है जिसके माध्यम से उनके कृतित्व को दर्शाया जाता है।
17. आज चौहरमल के व्यक्तित्व और कृतित्व का अनुशरण करने की आवश्यकता है क्योंकि आज भी समाज मनुवाद से ग्रसित है। यदि हमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गैर बराबरी से लड़नी है तो चौहरमल की तरह संगठित रूप से एकता बद्ध हो कर इज़्ज़त और हक़ के लिए लड़ना होगा।
18. उनकी शिक्षा है कि अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल मत करो, अपनी ज्ञान और ताक़त हमेशा समाज-हित में लगाओ, आलस और नशा से दूर रहो, स्त्री का सम्मान करो, प्रेम और एकता से रहो, घमंड मत करो, परिश्रम करो, स्वाभिमान से रहो, इज़्ज़त से जियो,
19. अत्याचार कभी मत सहन करो, न्याय का समर्थन करो, मेल-मिलाप से रहो, दुसरो की रक्षा एवम मद्त करो आदि।
20. चौहरमल का जींवन वृत लोक कथाओं में समाहित है।
समय के साथ लोककथा में अंधविश्वास और चमत्कार प्रवेश कर जाता है। अतः हमें बुद्धि और विज्ञान की कसौटी पर परख कर ही उनकी जीवनी को लिपिबध्द करनी चाहिए अथवा उनका फिल्मांकन करना चाहिए।
21. चौहरमल पर बहुत कम ही लिखा गया है। जो भी लिखा गया है वह बौद्धिकता और वैज्ञानिकता से कोसों दूर है।
22. मैंने बहुत ही परिश्रम करके चौहरमल पर एक शोधग्रंथ तैयार किया है, *महाबली बाबा चौहरमल* । इसे सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।अभी और खोज जारी रखने की आवश्यकता है।
Alok Kumar Bharti

महाबली बाबा चौहरमल की जयंती पर उन्हें शत शत नमन

महाराजा बिजली पासी(पासवान)जी के जन्म जयंती के अवसर पर शत् शत् नमन
25/12/2023

महाराजा बिजली पासी(पासवान)जी के जन्म जयंती के अवसर पर शत् शत् नमन

पासवान हिन्दू नहीं है बौद्ध हैहिन्दू शब्द मुगलों द्वारा ब्राह्मणों को दी गई गाली है उस गाली को कांग्रेस भाजपा सीपीआई द्व...
14/12/2023

पासवान हिन्दू नहीं है बौद्ध है
हिन्दू शब्द मुगलों द्वारा ब्राह्मणों को दी गई गाली है उस गाली को कांग्रेस भाजपा सीपीआई द्वारा धर्म बताकर दुसाध पर 1910 में थोप दिया गया।

 #राम_सेतू_का_पर्दाफाश -- दुनिया का सबसे बड़ा झूठ ..?रामसेतू 18 लाख वर्ष पूर्व "tectonic plates" के घर्शन द्वारा उत्पन्न...
04/11/2023

#राम_सेतू_का_पर्दाफाश -- दुनिया का सबसे बड़ा झूठ ..?

रामसेतू 18 लाख वर्ष पूर्व "tectonic plates" के घर्शन द्वारा उत्पन्न हुआ, जो समुद्र तल तक गड़ा हुआ है | जबकि मानव जाति के जन्मे हुए अभी 1 लाख वर्ष भी
नहीं हुए, करोङो वर्षो पूर्व के डायनासौर्स (Dianasaurs) के अवशेष भी मिल गये मगर वानर सेना का कोई अता पता नहीं | इस प्रकार के सेतू जापान-कोरिया के बीच में भी हैं, और इससे कई गुना बड़ा सेतु
तुर्की द्वीप मे भी है।

राम सेतु (Adams bridge) इसे अधिक पुराना होने के कारन आदम पुल भी कहाँ जाता है । राम सेतु (Adams bridge) पर नासा ने रिसर्च कर बताया कि यह पुल
प्रकृति निर्मित है, मानव निर्मित नहीं। यह समुद्र में पाये जाने वाले मूँगा (CORAL) में पाये जाने वाले केल्शियम कार्बोनेट के छोड़े जाने से निर्मित श्रंखला है । जिसकी लंबाई 30Km. है । नासा ने इसके सैम्पल लेकर रेडियो कार्बन परिक्षण से बताया कि
यह सेतु 17.5 लाख वर्ष पुराना है । मूंगा (Coral) समुद्र के कम गहरे पानी में जमा होकर श्रंखला बनाते है । विश्व में मूँगा से निर्मित ऐसी 10 श्रृंखलाएँ है इनमे से सबसे
बड़ी ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर है । इसकी लंबाई रामसेतु से भी कई गुणा अधिक 2500 Km है । विश्व की इन सभी देशों की मूँगा श्रंखलाओं को सेटेलाईट के द्वारा देखा जा चूका है । नासा के रिसर्च अनुसार
रामसेतु जब 17.5 लाख वर्ष पुराना है, तो इसे राम निर्मित कैसे कहाँ जा सकता है । जबकि मानव ने खेती करना/कपडे पहनना 8000 हजार वर्ष ईसा पूर्व सीखा है । मानव ने लोहा (Iron) की खोज 1500 ईसा पूर्व की है । मानव ने लिखना 1300 ईसा पूर्व
सीखा है । फिर # राम नाम लिखकर दुनियाँ के पहले पशु सीविल इंजनियर भालू नल-निल ने इसे कैसे बनाया होगा।
---- ये सब सोचने वाली तार्किक विज्ञानवादी बुध्दि की बातें हैं....?
👉 आलोक अंबेडकर✍️✍️✍️...!!!

✍🏼🌹 राम के दरवार में  #विधवा धोबिन को पेट से पैदा बच्चे की जानकारी के लिए बुलाया गया। पूरा दरबार लगा था?गुरु विश्वामित्र...
25/10/2023

✍🏼🌹 राम के दरवार में #विधवा धोबिन को पेट से पैदा बच्चे की जानकारी के लिए बुलाया गया। पूरा दरबार लगा था?

गुरु विश्वामित्र ने औरत से बाप का नाम पूछा।

औरत ने प्रतिष्ठित आदमी होने के कारण बताने से इनकार कर दिया तो गुरु ने उस
औरत को फांसी की सजा सुनाई और उसकी आखिरी इच्छा जाननी चाही।

औरत ने कहा आप मेरे बच्चे के पिता का नाम पूछ रहे हैं,

पहले आप अपने पिता का नाम बता दें। (क्योंकि #विश्वामित्र को घास से पैदा बताया गया है)।

गुरु के पिता का नाम पूछते ही राम तुरंत झल्ला कर बोले- गुरु की इतनी #बेइज्जती करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई ?

तो औरत ने राम से पिता का नाम पूछ लिया,

(इन चारों के पिता ऋषि बताये जाते हैं, वैसे इनकी माताओं ने खीर खाई थी श्रृंग ऋषि की गुफा में)।

तो लक्ष्मण तुरंत बोले -तूने बड़े भाई का #अपमान किया।

तुझे जिंदा नहीं छोड़ूगा।

औरत ने इनसे भी बाप का नाम पूछ लिया।

इसके बाद सीता बोली तूने मेरे देवरजी का अपमान किया।

इसकी जबान काट लो,

औरत ने सीता से भी बाप का नाम पूछा (जो घड़े से पैदा हुई है)।

सीता का अपमान सुनकर तुरंत हनुमान बोल पड़े,

तुने सीता माता का अपमान किया, तुझे मैं गदे से जमीन में गाड़ दॅूगा,
औरत ने तुरंत हनुमान के बाप का नाम पूछा।
हनुमान भी बाप का नाम नहीं बता पाये,

अंत में औरत ने कहा कि यहां सब के सब #नाजायज बाप के हराम की औलादें है और मेरे बेटे के बाप का नाम पूछ रहे हैं।

सबसे पहले अपने अपने बाप के नाम पता करके आओ फिर हमसे पूछना,...

Moral- जिसे सोने के हिरण और असली हिरण का फर्क समझ में न आए, वो कैसा अंतर्यामी, कैसा भगवान ??

दिमाग की बत्ती जलाइए !
अन्धविश्वास दूर भगाइए !!
#पाखंड_का_पर्दाफाश

💯🇪🇺🙏 #क्रांतिकारी_जयभीम🙏
☸💖🍀Jai✺Bhim Namo✺Buddhay🍀💖☸

✍🏼🌹 Alok Ambedkar

👉🏻 अब यह प्रश्न उठता है कि दुर्गा की मूर्ति के लिए केवल वैश्या के ही घर की मिट्टी की जरूरत क्यों ??? इसके पीछे क्या रहस्...
25/10/2023

👉🏻 अब यह प्रश्न उठता है कि दुर्गा की मूर्ति के लिए केवल वैश्या के ही घर की मिट्टी की जरूरत क्यों ??? इसके पीछे क्या रहस्य है !

दुर्गा की जिन मूर्तियों की स्थापना की जाती है उन में देवी द्वारा अन्य अस्त्र-शस्त्र धारण करने के इलावा महिषासुर का मर्दन (वध) भी दिखाया जाता है. महिषासुर के बारे में यह प्रचारित किया गया है कि वह बहुत बुरा असुर (दानव) था जिस का वध दुर्गा ने चामुंडा देवी के रूप में किया था. यह देखा गया है कि ब्राह्मणों ने अपने साहित्य में अपने विरोधियों का चित्रण बहुत बुरे स्वरूप में किया है. वेदों में भी आर्यों ने मूल निवासियों को असुर, दानव और दस्यु तक कहा है. दरअसल यह शासक वर्ग की अपने विरोधियों को बदनाम करने की सोची समझी रणनीति का हिस्सा होती है.
महिषासुर बंगाल के सावाताल अथवा संथाल में आदिवासियों का अत्यंत बलशाली ( मुलनिवशी ) राजा था । ब्राह्मण विदेशी इसके राज्य पर कब्जा करना चाहते थे, जिसके लिए कई बार युद्ध किया ।लेकिन ब्राह्मणों को हमेशा हार का ही मुँह देखना पड़ा

इतिहास गवाह है कि जिसे बल से नहीं जीता जा सकता है, उसे सुरा व सुंदरी के माध्यम से जीता जा सकता है ।वैसे ये ब्राह्मणों की ही शैतानी नीति है ।

कई बार हारने के बाद ब्राह्मण महिषासुर के शक्ति को समझ गये थे ।इसलिए सुरा सुंदरी वाले शैतानी नीति को अपनाया ।

ब्राह्मणों ने दुर्गा जो कि एक अत्यंत सुंदर वैश्या थी, को षड़यंत्र के तहत महिषासुर को अपने मायाजाल में फाँसकर हत्या करने के लिए भेजा ।

दुर्गा ने 8 रात सुरा पिलाते हुए, कई नाटक करते हुए महिषासुर के साथ बिताई । नौवे रात को मौका मिलते ही इस वैश्या ने महिषासुर की हत्या कर दी । इसीलिए दुर्गा की नवरात्रि मनाई जाती है ।

चूँकि दुर्गा वैश्या थी, इसीलिए वैश्या के घर से मिट्टी लाने का रिवाज आज भी है ।

मूलनिवासी राजा महिषासुर की हत्या दुर्गा ने किया जिससे ब्राह्मण उस राज्य पर कब्जा करने में कामयाब हुए ।इसलिए ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों से उनके पूर्वजों की हत्यारिनी दुर्गा का पूजा ही करवा डाला।

भारत के मूलनिवासी लोग आँख, अक्ल और दिमाग के इतने अंधे हैं कि उसके बारे में जानने की जरूरत नहीं समझी । बिना जाने ही हत्यारों का पूजा करना शुरू कर दिया ।

किसी ने आज तक किसी भी ऐसे मनुष्य को देखा है जिसके 8 हाथ, 3 गर्दन, आधा शरीर मनुष्य का और आधा जानवर का, गर्दन हाथी का इत्यादि हो । आदिम मानव काल में भी जायेगे, तब भी ऐसा किसी मनुष्य का जिक्र नहीं मिलता है ।फिर ऐसे प्राणियों की पूजा कैसे शुरू हो गया ।

इसका मतलब साफ है कि ब्राह्मण, मूलनिवासियों के दिमाग में इतने हावी हैं कि उनके दिमाग में बुद्धि के जगह गोबर भर दिया है । जिससे कि खुद से सोचने और समझने की शक्ति चली गयी है । अंधभक्त हो गये हैं ।

कई लोग ऐसे अंधभक्त है कि जानने के बावजूद भी इसे अपने बाप दादाओं की परम्परा मानकर ढोते हैं । अरे तुम्हारे बाप दादाओं से पढ़ने लिखने का अधिकार छिन लिया गया था ।इसलिए उन्हें जो बताया गया, मानते गये । तुम्हें तो पढ़ने लिखने का अधिकार है, पढ़ लिखकर भी गोबर को लड्डू मानकर खाओगे तो पढ़ना लिखन बेकार है !...Alok Ambedkar ✍️✍️✍️

 #ब्राह्मण_राम_को_क्यों_पूजते_है...??ब्राह्मण क्षत्रिय से ऊंच होते हैं तो अपने से नीच क्षत्रिय राम को क्यों पूजते है? क्...
25/10/2023

#ब्राह्मण_राम_को_क्यों_पूजते_है...??
ब्राह्मण क्षत्रिय से ऊंच होते हैं तो अपने से नीच क्षत्रिय राम को क्यों पूजते है?
क्योंकि राम क्षत्रिय नहीं #ब्राह्मण था।
राम का वास्तविक नाम #पुष्य_मित्र_सुंग था जो कि ब्राह्मण था।
अंतिम मौर्य सम्राट बृहदत मौर्य की धोखे से हत्या करने वाला ब्राह्मण सेनापति पुष्य मित्र सुंग था।
बृहदत मौर्य जो कि बुद्धमय भारत का बौद्ध सम्राट बृहदत मौर्य बहुत ही #शक्तिशाली और दानवीर सम्राट था पूरा भारत बुद्धमय था उस समय ब्राह्मणों का वर्चस्व खत्म हो चुका था।
ब्राह्मण पुष्य मित्र सुंग ने #ब्राह्मणों का #वर्चस्व कायम करने के लिए बृहदत मौर्य से अपनी बहन का शादी करके रिश्ता बढ़ाया और सेना पर कब्जा कर लिया और एक सुबह #बृहदत मौर्य की धोखे हत्या कर दिया और साकेत का शासक बन बैठा और बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम कराया पूरे भारत में बौद्धों का कत्लेआम कराया बौद्ध विहारो को तोडकर मदिर बनाया गया और ब्राह्मणों का वर्चस्व कायम करा दिया था इसलिए ही ब्राह्मण पुष्य मित्र को पूजने लगे।
ब्राह्मण #अग्नि_शर्मा उर्फ #वाल्मीकि ने पुष्य मित्र सुंग को #राम और बृहदत मोर्य को ही उसके नौ पूर्वज मौर्य सम्राटों के सिरो को जोड़ कर रावण नाम दिया और रामायण नामक काल्पनिक नाटक लिखा।
अपनी नफरत जारी रखने के लिए #ब्राह्मण हर साल रावण को जलाते हैं और ब्राह्मण पुष्य मित्र सुंग को अर्थात राम को हर दिन पूजते है और अपनी कमाई करने के लिए लोगों से पुजवाते है।......AlokAmbedkar......✍️ ✍️✍️✍️

नमो बुद्धाय
13/05/2023

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