16/09/2025
वृंदावन आकर रह रहीं हरियाणा की ज्योति बताती हैं- मायके में मेरे ताऊ के लड़के की शादी थी। अपने बेटे कार्तिक के साथ वहां जाने की तैयारी में लगी थी, लेकिन पति चाहते थे कि न जाऊं। जाने से एक दिन पहले वो रात में मेरे कमरे में आए और मुझे पीटने लगे। इतना मारा कि अधमरा कर दिया। कपड़े फाड़ दिए। गर्दन से पकड़ा और मुंह बेड में लड़ा दिया। मेरा एक दांत टूट गया और होंठ कट गए। खून से सारा कपड़ा भीग गया। वो पीरियड्स में भी मेरे साथ सेक्स करता था। आखिरकार मेरा तलाक हो गया।
बाद में मायके के दबाव में आकर दूसरी शादी की। दूसरा पति भी मुझे दहेज के लिए ताने मारने लगा। वो मेरे साथ अननेचुरल सेक्स करता था। शादी के 9 दिन बाद ही मैंने उसे तलाक दे दिया और वृंदावन में कृष्ण की शरण में आ गई। ये कहते हुए ज्योति रोने लगती हैं।
33 साल की ज्योति, हरियाणा के रोहतक की रहने वाली हैं। उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और एक अस्पताल में नौकरी भी। इनकी दो शादियां हुईं, लेकिन दोनों पतियों ने इतना तंग किया कि अब वृंदावन आकर कृष्ण भक्ति में लीन हैं। वृंदावन में आकर एक किराए के मकान में रहती हैं। घर का एक कमरा भगवान कृष्ण को समर्पित कर रखा है। वहां बेड पर कृष्ण व राधा की मूर्ति है और साथ में लड्डू गोपाल विराजमान हैं।
बातचीत शुरू करने से पहले ज्योति गाती हैं, ‘राधे मेरी स्वामिनी, मैं राधे की दास, जनम जनम मोहे दीजिए राधे, वृन्दावन में वास।'
वो बताती हैं 2012 में शादी हुई। मेरे पति मुझसे मर्चेंट नेवी में नौकरी का झूठ बोलकर शादी की। ससुराल पहुंची तो सच पता चला, लेकिन मम्मी-पापा की इज्जत का ख्याल रखते हुए ये रिश्ता मैंने स्वीकार कर लिया। शादी के कुछ महीनों बाद ही पति मुझे ताने मारने लगे। कहते- ‘तुम्हें कुछ नहीं आता, न अच्छा खाना बना पाती हो और न ही घर की साफ-सफाई कर पाती हो।’
मेरा जन्मदिन आया, उस दिन उन्होंने मुझे बधाई तक नहीं दी। एक साल बीता। शादी की सालगिरह आई, तो उस दिन भी मुंह फुलाए रहे। एक चॉकलेट तक लेकर नहीं आए। फिर भी सब नजरअंदाज करती रही, लेकिन जरूरी चीजें तक लाकर कभी नहीं देते। साबुन, तेल, शैम्पू तक मेरी छोटी बहन लाकर देती थी। ससुराल के लोगों को भी इसकी फिक्र नहीं होती। मेरे कपड़े मायके से मम्मी-पापा भिजवाते थे।
जब प्रेग्नेंट हुई, तब भी पति को मेरी कोई परवाह नहीं थी। प्रेग्नेंसी के दौरान एक दिन उनकी बुआ और मैं हंसी-मजाक कर रहे थे। उन्हें पता नहीं क्या हुआ आकर मुझे जोर का थप्पड़ मारा और घर से निकल गए। मैं तो उस दिन सन्न रह गई थी। सोच रही थी आखिर मेरी कोख में उनका बच्चा पल रहा है, लेकिन उन्हें इसका कोई ख्याल नहीं।
उसके बाद जब बेटा पैदा हुआ, तो भी उन्हें न मुझसे और न ही बेटे से कोई लेना-देना रहता। हमेशा घर से बाहर रहते। कोई काम करने को कहूं तो मुझे पीटते थे। एक दिन तंग आकर मायके चली गई। मम्मी-पापा से कहकर नर्सिंग कोर्स में दाखिला ले लिया। एक साल बीतने पर ससुराल वाले मुझे लेने आए, लेकिन वापस जाना नहीं चाहती थी। मेरे पति आए। उन्होंने पगड़ी रखकर कसम खाई कि अब वो मुझे नहीं मारेंगे और पूरा ख्याल करेंगे। फिर भी मेरी हिम्मत न हुई, मैंने मना कर दिया।
उसके बाद पंचायत बैठी। पंचायत में बुजुर्गों ने बहुत दबाव बनाया। आखिरकार अपने बच्चे के भविष्य के लिए ससुराल जाने को तैयार हो गई। पंचायत ने शर्त रखी- अब से न मोबाइल रखूंगी, न किसी से बात करूंगी, बिना पूछे घर से बाहर नहीं जाऊंगी और न ही टीवी देखूंगी। लेकिन कुछ दिन में ही पति की पहले जैसे हरकतें शुरू हो गईं। मम्मी-पापा से भी बात करने पर भी पाबंदी लगा दी। उनसे तभी बात करती जब वो साथ में खड़े रहते, ताकि मैं कोई शिकायत न कर पाऊं। ऐसे लगने लगा जैसे जिंदगी जेल हो गई है।