24/10/2025
प्रेमचंद का उपन्यास "कायाकल्प" समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और धार्मिक पाखंडों की आलोचनात्मक पड़ताल करता है। चक्रधर, मनोरमा और शंखधर जैसे केंद्रीय पात्र सत्य, आदर्शों और सुधार की इच्छा का प्रतिनिधित्व करते हैं। चक्रधर समाज में नैतिक और आध्यात्मिक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। उपन्यास प्रेम, त्याग और सामाजिक सुधार के विषयों को दर्शाता है। प्रेमचंद इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सच्चा धर्म दिखावटी धर्मपरायणता में नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और ईमानदारी में निहित है। "कायाकल्प" एक प्रेरक रचना है जो आध्यात्मिक विकास और सामाजिक परिवर्तन की वकालत करती है।
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प्रेमचंद का उपन्यास "कायाकल्प" समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और धार्मिक पाखंडों की आलोचनात्म....