मेरे अनुभव

मेरे अनुभव simple living high thinking

“Being yourself means shedding all the layers of looking good, wanting to be liked, being scared to stand out, and trying to be who you think people want you to be.”

बिगड़ी जुल्फ़ें, बड़ी दाढ़ी, गुमशुदा हालात,यार  तुमने  तो जुदाई का ढोल पीट दिया।
22/07/2025

बिगड़ी जुल्फ़ें, बड़ी दाढ़ी, गुमशुदा हालात,

यार तुमने तो जुदाई का ढोल पीट दिया।

18/07/2025

लड़की की इज्ज़त करना उसे खूबसूरत कहने से अधिक खूबसूरत हैं.. वो एक बार अपनी तारीफ भूल सकती हैं.. पर आपके द्वारा दी गई इज्ज़त कभी नहीं भूल सकती..
So प्लीज़ इज़्ज़त कीजिए.. इज़्ज़त लीजिए.. 🙏🙏🙏

Absolutely right 👍.....
14/07/2025

Absolutely right 👍.....

कुछ रिश्ते कभी टूटते नहींबस मौन हो जाते हैंचुप्पियां मार देती हैं उन्हेंजब हर पल किसी आवाज़ की आदत हो फिर अचानक उसका चुप ...
12/07/2025

कुछ रिश्ते कभी टूटते नहीं
बस मौन हो जाते हैं
चुप्पियां मार देती हैं उन्हें
जब हर पल किसी आवाज़ की आदत हो
फिर अचानक उसका चुप होना चुभता है
ख़ामोशी सहन नहीं होती
दम घुटता है खामोशी से
बात करने का कोई सिरा ही नहीं बचता
भयानक लगती है ये ख़ामोशी
लगता है कोई तिल तिल कर मार रहा हो
बहुत बार इंसान पुकारना चाहता है प्रिय को,
आ जाओ वापस
झेली नहीं जाती तुम्हारी चुप्पी
दुनिया उदास हो गई मेरी
हृदय बहुत बार पुकारता है उसको
कोशिशें करता है कि खामोशी की दीवार टूटे
पर आवाज़ लौट आती है वापस
दीवारों से टकराकर,गूँजती हुई
क्योंकि कोई सुनने वाला नही होता
फिर पुकारते हुए थक जाता है इंसान
कोई फायदा नहीं
उसके प्रिय को नहीं सुनाई देती कोई पुकार,
शायद उसकी आवाज़ नहीं पहुँचती
या कोई सुन कर भी अनसुना कर गया
धीरे धीरे आवाज़ घुट जाती है कंठ में ही
स्वर अवरुद्ध हो जाता है
आँखे बरसती है पहले
फिर आँसू भी सूख जाते हैं
आखिरकार आँसुओं की भी तो सीमा है
धीरे धीरे एक प्यारा रिश्ता दम तोड़ देता है
ख़ामोशी की चादर ओढ़कर सिसकते हुए...!!!

12/07/2025
Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Sonu Rajput, Pompy Begum
05/07/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Sonu Rajput, Pompy Begum

फासले तो हैं उससे पर इतने भी नहीं,,कि मैं ख्वाब में बुलाऊँ और वो न आएँ...!!मन...❣️
05/07/2025

फासले तो हैं उससे पर इतने भी नहीं,,
कि मैं ख्वाब में बुलाऊँ और वो न आएँ...!!

मन...❣️

03/07/2025

प्रेम में ठगी गई स्त्री एकाँत प्रिय हो जाती है
मौन की भाषा ज़्यादा सहज लगती है

बोलने से ज़्यादा चुप की भाषा में गहरे उतरती है
हथेली पर लिए चलती है कोई चित्र

अर्ध रात्रि में खिड़की के समीप
लंबी गहरी श्वास भरकर
शून्य में घंटों निहारती है
उसे दिखता है कोई पद-चिह्न

ईशान कोण में जला आती है एक दीया
एकटक देखते हुए
दिख जाता है उसे वह चेहरा
जो दुनियावी माया से विलग है

भरे कंठ से लेती है नाम
गहरे कुएँ में छुपा आती है उसके सारे निशान

हर बार चुन लेती है कठोर रास्ता
सूझ से परे जो सराय है

तेज़ प्यास में ईश्वर की प्रशँसा हो भी तो कैसे
समाप्ति पर पहुँचने से पहले हथेली का स्पर्श हो

वह जो देश की राजधानी में गुम है कहीं
जो रात के तीसरे पहर में देता है पीठ पर चुंबन

तुम्हारे छाती के ठौर से ज्यादा माकूल कोई जगह नहीं
जहाँ गाँठ दिया था अपना सारा अहम्

काठ से तरलता का आवेग
जीया जाता रहा उस पल

जवा-कुसुम की गंध से भर गया था
वह छोटा कमरा

इस अस्वीकृत रिश्ते में तुम मज़बूत पात्र हो
याकि प्रलय की रात में बढ़ता हुआ कोई हाथ

तुममें जो ठहराव है
वह किसी तालाब के पानी को भी हासिल नहीं

कितना कुछ बचा रह गया है
तुम्हारे चले जाने के बाद भी .....

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