03/05/2023
यह बात उन दिनों की है जब बाबासाहेब दिन-रात संविधान लिखने के काम में लगे हुए थे। चौधरी देवीदास जी इस रात अन्य लोगों के साथ बाबासाहेब की कोठी पर ठहरे हुए थे। रात को जब उनकी आंखें खुली तो उन्होंने देखा की बाबासाहेब के अध्ययन कक्ष की लाइट जली हुई है , खिड़की से झांक कर देखा तो पता चला कि बाबासाहेब ने अपनी बाई टांग छत के पंखे से बांधकर लटका रखी है!
यह देखकर चौधरी साहब की समझ में कुछ नहीं आया, सुबह होने पर चौधरी साहब ने साहस जुटाकर अचरज भरे स्वर में बाबासाहेब से पूछा बाबासाहेब रात को हमने देखा कि आपने अपनी एक टांग पंखे से बांध कर लटका रखी है।
बाबासाहेब बीच में ही तुरंत हंस पड़े और बोले अरे हमारी टांग में बहुत दर्द होता था और हमको नींद भी बहुत जोर से आ रही थी टांग पंखे से बांधकर लटकाने से दर्द भी भाग गया और नींद भी।
अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो संविधान के जरिए आपको कुछ भी नहीं दे पाएंगे" वास्तव में बाबा साहेब प्राकृतिक नियमों को भी ताक पर रखकर संविधान का कार्य पूरा करते रहे। ना कभी दर्द की परवाह की ना नींद की ना भूख की और ना ही प्यास की संविधान बनाने जैसे कठिन काम के करने से बाबा साहेब का स्वास्थ्य दिन-ब-दिन और अधिक बिगड़ता चला गया।
यह सब बाबासाहेब को हमारे गौरव वर्धन के लिए ही सहना पड़ा।
ऐसे थे हमारे बाबा साहेब।🙏🙏