वृन्दावन रसिको की वाणी

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28/07/2025

चारधाम वृंदावन

26/07/2025
26/07/2025

सभी भारतीय महिलाओं को हरियाली तीज की हार्दिक अनंत शुभकामनाएं

19/07/2025

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14/07/2025

इतने बड़े हो कि सावन के पहले सोमवार को हर हर महादेव भी नहीं लिख रहे

🚩ओम नमः शिवाय 🚩

14/07/2025

छंद:
नयन बहाए अश्रु धार, अधर जपे श्रीराम।
छुपे विरह में प्राण प्रीत, जीव करे अभिराम।।
न हर्ष को ठिकाना अब, न शोक का विस्तार।
राम सनेही जीव ये, खोया जग संसार।।

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अर्थ:
मेरे नयन निरंतर अश्रु की धार बहाते हैं, पर होंठों से केवल "श्रीराम" का नाम जपता हूँ।
विरह की उस अग्नि में मेरी प्राण-वृत्ति ही प्रीत बन गई है, और वही राम-प्रेम अब आनंद बनकर बस गया है।
अब ना तो हर्ष का कोई ठिकाना है, और न ही शोक का कोई मोल—क्योंकि राम ही सर्वस्व हैं।
ऐसा स्नेही जीव इस जगत को खो बैठा है, पर राम के प्रेम में पूर्ण हो गया है। 🌼 रसिक संत 🌼

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