05/07/2025
अपना दल और छोटे दलों को तोड़ने की साजिश रची जा रही है-
सूचना विभाग के 1700 करोड़ बजट के कारण
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सूचना विभाग के 1700 करोड़ के बजट का दबाव क्या और कैसा होता है! इस दबाव में क्या- क्या लिखना और करना पड़ता है। यह मीडिया के एक वर्ग से पूछिए ।इसी बजट के दबाव में को रोज तोड़ना पड़ता है। कभी नौ विधायको के भागने की खबर चलानी पड़ती है तो कभी 12 विधायकों के पाला बदलने की खबर ताननी पड़ती है। बड़ी भारी मजबूरी आ पड़ी है भैया।
वैसे मीडिया के इस वर्ग को एक समझदारी भरी और बिन माँगी मेरी सलाह है कि रोज-रोज का झंझट मत पालिये। एक ही दिन में बल्कि आज ही अपना दल (एस) को चाहे जितने हिस्सों में बांटना है, बांट दीजिये।अपने हिसाब से नौ या दस या बारह जितने विधायकों को जिन दलों में शामिल कराना हो, आज के आज ही करा डालिये। अपने दिल की खुशी के लिए लिख दीजिये कि अपना (एस) का अस्तित्व ही खत्म हो गया। सारा झंझट भी खत्म और आपके ऊपर दबाव डालने वाले भी खुश और सूचना विभाग के 1700 करोड़ के बजट का सही उपयोग भी हो जाएगा। रोज रोज आधारहीन और राजनीतिक रूप से मृत नेताओं के बयानों और झूठी सूचनाओं का गुलाम भी नहीं बनना होगा।
हां, वैसे एक बात और जान लीजिये। अपना दल को लाखों वंचितों और शोषितों ने अपने खून-पसीने से सींच कर खड़ा किया है। यह पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही लगातार ऐसी साजिशों का अभ्यस्त है। हमारे कार्यकर्ताओं को ऐसी साजिशों से भिड़ने की पुरानी आदत है। इसलिए लाख कोशिश कर लें, ये आपके बहकावे में नहीं आने वाले।यह कार्यकर्ता दलितों और पिछड़ों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के अन्याय और साजिशों के खिलाफ पहले से अधिक मजबूती से जंग लड़ेंगे। अपना दल एक ताश के पत्तों का महल नहीं बल्कि हर मुश्किलों में उग आने वाला घास है।
अंत में इन विघ्न संतोषियों और सूचना विभाग के 1700 करोड़ के बजट के दबाव में झुके लोगों के लिए अपना दल की ओर से #महाकवि_पाश की एक कविता समर्पित कर रहा हूँ-
मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा
बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर
बना दो होस्टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपड़ियों पर
मुझे क्या करोगे ?
मैं तो घास हूँ, हर चीज़ ढंक लूंगा
हर ढेर पर उग आऊँगा
मैं घास हूँ, मैं अपना काम करूँगा
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा।
( कापी पेस्ट Twitter )