
30/08/2024
तनहा पड़ा हूँ कमरे में
सुनाई दे रहा हूँ क्या?
होंठ चटक रहे है सुख कर
सदियों का भूखा हूँ क्या?
धड़क रहा है दिल में कोई
ज़ोरो से सुनाई पड़ रहा है
मुझे कितना कुछ दिखता है
फिर भी कहाँ दिखाई पड़ रहा है।
महसूस हो रहा हूँ मैं तुमको
अभी ज़िंदा हूँ क्या ?
कोई समझ नहीं आता मुझको
यहीं का बाशिंदा हूँ क्या?
कोई देख लो माप कर नब्ज
कितनी बाक़ी है।
कहानी पूरी हो गई कबकी
बस मिटनी बाक़ी है।
✍🏻🌻